रॉनित
"सर, इंटरव्यू?" मेरे असिस्टेंट राज ने पूछा।
आज मैं खुद इंटरव्यू लेने वाला था, अपने नए असिस्टेंट के लिए। क्योंकि राज का कल आख़िरी दिन है और मैं चाहता हूँ कि वह अपने रिप्लेसमेंट को सबकुछ खुद समझा दे।
"राज, तुम ही देख लो। मुझे हॉस्पिटल जाना है।" मैं कुर्सी से उठा और ऑफिस से बाहर निकल गया।
काव्या के एक्सिडेंट के बाद से सबकुछ संभालना मेरे लिए बहुत मुश्किल हो गया है। वह मेरी सबसे अच्छी दोस्त है... कॉलेज से ही।
अब हम चार हैं — आकाश और आदित्य, जो हमारे सीनियर थे... अब अच्छे दोस्त हैं।
अक्की और मैं यहीं हैं, और आदि कहाँ है, पता नहीं। वह आजकल बहुत बिज़ी रहता है — या शायद जानबूझकर खुद को अलग कर रहा है। कुछ बताता ही नहीं, हमेशा से ऐसा ही है।
रात के क़रीब आठ बजे मैं घर आया, खाना खाने के लिए। कई दिनों से शेड्यूल इतना बिज़ी था — या तो ऑफिस, या हॉस्पिटल।
इन दिनों मेरा और अक्की का काव्या के पास रहना ज़रूरी हो गया है।
तभी मॉम का कॉल आया —
"कहाँ है?"
"मॉम, घर आया था, डिनर करने।"
"सॉरी बेटा, मुझे अर्जेंटली बाहर जाना पड़ा।"
"कोई बात नहीं मॉम, वैसे भी आज मैं हॉस्पिटल में ही रुकने वाला हूँ। बस डिनर करके निकल रहा हूँ..."
अचानक मेरे प्राइवेट नंबर पर एक कॉल आया — हॉस्पिटल से।
"मॉम बाद में कॉल करता हूँ। इम्पॉर्टेंट कॉल है।"
मॉम कुछ कहतीं उससे पहले ही मैंने कॉल काट दिया और दूसरा कॉल रिसीव किया।
"सर, मिस काव्या सहगल के गार्जियन में आपका भी नाम है। हमें आपको सूचना देनी थी कि उन पर हमला हुआ है।"
मेरे तो जैसे शब्द ही नहीं निकले।
"अभी मेडिकल अटेंशन की वजह से वह स्थिर हैं लेकिन होश में नहीं आई हैं। आप जल्द से जल्द हॉस्पिटल पहुंचिए।"
"व्हाट द हेल..." मेरे तो होश ही उड़ गए।
"ड्राइवर!" मैंने ज़ोर से आवाज़ दी।
मैं खुद ड्राइव नहीं कर सकता था उस वक़्त... हालत नहीं थी।
घर से हॉस्पिटल पहुंचने में मुझे दो घंटे से ज़्यादा लग गए।
तब तक वहाँ दानिश पहुंच चुका था। हॉस्पिटल ने उससे कंसेंट फॉर्म साइन करवा लिया था।
इसी इमरजेंसी के चलते हम चार लोग — मैं, अक्की, अंकल, और दानिश — काव्या के गार्जियन लिस्ट में थे।
लेकिन मैं असफल रहा। अक्की उसे मेरी ज़िम्मेदारी पर छोड़कर गया था। और मैं... सिर्फ एक डिनर के लिए घर चला गया।
दोस्ती के नाम पर धब्बा हूँ मैं।
तभी सामने से अक्की आया और मुझे गले लगा लिया।
हम दोनों बस डरे हुए थे।
हम उसे खोना नहीं चाहते... कभी नहीं। बुरे सपने में भी नहीं।
"कुछ पता चला उस आदमी के बारे में?" आकाश ने दानिश से पूछा।
"भाग चुका है। भागने दो... छिपने दो। बस एक बार बॉस की सर्जरी हो जाए, फिर उसे दुनिया के किसी भी कोने से निकाल लाऊंगा।"
दानिश ने ऑपरेशन थिएटर की तरफ देखते हुए कहा। वह काव्या के बहुत करीब है।
"इस बार मैं उसे नहीं छोड़ूंगा।"
मैंने कहा — और मैं सच में मतलब रखता हूँ।
दो घंटे बीत चुके थे।
हम सब वहीं बैठे थे, चुपचाप।
आकाश फ़ोन पर हर्षवर्धन सहगल से बात कर रहा था।
"अंकल, अभी सर्जरी चल रही है। आप टेंशन मत लीजिए... सब ठीक हो जाएगा।"
उन्हें बहुत चिंता हो रही होगी...
उन्होंने अपनी बेटी को हमारे भरोसे छोड़ा था — और हम...
अब वो सुबह आ रहे हैं।
तभी डॉक्टर जय राजशेखर ऑपरेशन थिएटर से बाहर निकले।
लेकिन हमसे बात करने की बजाय वो सीधे एक लड़की की तरफ बढ़े जो पास खड़ी थी —
कितना अनप्रोफेशनल है ये!
"कैसी है वो?" मैंने पूछा।
"अभी बेहतर है, लेकिन... हमें उन्हें ऑब्ज़र्वेशन में रखना होगा। क्योंकि वो अब तक पूरी तरह से रिकवर नहीं हुई थीं, और अब दोबारा चोट आई है — उसी हिस्से पर।
वो भी ट्रॉमा के साथ। उनके दिमाग पर इसका गहरा असर हो सकता है। सदमा लगा है उन्हें। अब आप बताइए, वो आदमी कौन था?"
जय ने गंभीरता से अक्की से पूछा।
"धाट्स नॉन ऑफ यौर बिज़नेस." आकाश ने बिना नज़र उठाए, अपने फ़ोन की स्क्रीन देखते हुए कहा।
अक्की और दानिश पुलिस स्टेशन के लिए निकल गए।
मैंने कांच के दरवाज़े से उसे देखा —
"आई एम सारी, काव्या ... मैंने ठीक से तेरी केयर नहीं की। प्लीज़ मुझे माफ़ कर दे।"
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