समीक्षा : ढाई चाल लेखक नवीन चौधरी
अब बात करते है : ढाई चाल
लेखक नवीन चौधरी का उपन्यास जनता स्टोर की कहानी को आगे बढ़ाते हुए अगली कहानी है इस उपन्यास में भी पिछले उपन्यास के जैसे दोस्ती , प्यार , गद्दारी ,और राजनीति दांव पेचों से भरे हुए किस्सों के साथ भरा हुआ मनोरंजक उपन्यास है ! ये आपको अपने आप में बांधे रखता है , जनता स्टोर और ढाई चाल पढ़ते हुए एक बात की अनुभति होती है के जब आप किसी से नफरत करते है तो आपकी नफरत सच और झूठ के अंतर को खत्म कर देती है और अपने सामने सिर्फ नफ़रत ही रहती है ! जब सत्य के ऊपर नफरत के रंग चढ़ जाते हैं की वो सत्य नहीं रह जाता, सत्य को देखते हुए भी उसे नाकार देते है !
यह उपन्यास जनता स्टोर के दो मुख्य किरदार मयूर भारद्वाज और राघवेंद्र शर्मा के इर्दगिर्द घूमती है या ये कहे के उनकी दुश्मनी के, पर ऐसा नहीं है ....इस उपन्यास में भी वही किरदार है जो जनता स्टोर में थे या वही छात्र राजनीति है यह उपन्यास एक छात्र नेता के विधायक और उसके बाद मंत्री बनने के संघर्ष को दर्शाती है और फिर उसके किंग मेकर बनने से लेकर उसके पतन तक .. सत्ता के गलियारों में होने वाली राजनीति के परिवेश को आपके सामने प्रस्तुत करती है , किस तरह एक पुरानी कहावत को सच करती है दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है !
अब बात की जाए इस उपन्यास के किरदारों की तो राघवेंद्र शर्मा को मुख्य किरदार के तौर पर पेश किया एक दबंग विधायक और मंत्री के तौर पर उनकी स्थिति काफी मजबूत और अच्छे स्वरूप में पेश की गई हैं वहीं जनता स्टोर में गृहमंत्री रहे श्याम जोशी की के किरदार को थोड़ा छोटा पर असरदार रूप से पेश किया उनका और राघवेंद्र शर्मा का एक छोटा पर महत्वपूर्ण संवाद जिसे आप गुरु मंत्र कह सकते है जो आज के राजनैतिक परिवेश में एक राजनेता की नजरों में जनता की हकीकत को बयान करती है ( जो भी लोग राजनीति करना चाहते है ये संवाद को गुरु मंत्र मान उसे धारण कर ले तो उनको राजनीति में आगे ले जाने में काफी हद तक मदद कर सकते है ) मुख्यमंत्री अचला सिंह का दबंग किरदार में आपको वसुंधरा राजे की याद दिलाता है इस उपन्यास में दो महिला किरदार सीमा और राघवेंद्र की पत्नी माधवी का किरदार इसे और भी रोचक बनाता है हां एक किरदार और अचला सिंह के पति मानव सिंह का ...
इस उपन्यास में प्रेम विवाह के बाद के विवाद ,लव जिहाद , बलात्कार , गौ रक्षा, भ्रष्टाचार, हिन्दू - मुस्लिम और राजनीतिक दांव पेचों का बहुत बढ़िया सा मिश्रण पढ़ने को मिलेगा जो इस उपन्यास को और भी रोचक बना देता है ....
इस उपन्यास के अंत इतना नाटकीय मोड़ के साथ कहानी को काफी रोचक बना देता है जो एकदम से पूरी कहानी को बदल देता है किरदारों का लेखन है जो इसको रोचक बनाता है कुल मिला कर ये उपन्यास बढ़िया फिल्मी स्टोरी की तरह मनोरंजक है !
अगर आपने जनता स्टोर पढ़ा है तो ढाई चाल भी जरूर पढ़े और यह एक राजनीतिक परिवेश से भरपूर मनोरंजन उपन्यास है अंत को बखूबी एक ट्विस्ट के साथ छोड़ा गया हैं जिससे ऐसा प्रतीत होता है शायद उसका नया भाग फिर पढ़ने को मिले....!