Baazi Kisi Ne Pyar Mein Jiti Ya Hari - 3 in Hindi Fiction Stories by S Sinha books and stories PDF | बाजी किसी ने प्यार की जीती या हारी - 3

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बाजी किसी ने प्यार की जीती या हारी - 3

                                        Part 3 -  बाजी किसी  ने प्यार की जीती या हारी  


नोट - पिछले अंक में आपने कि अमित और रीना दोनों कॉलेज में पढ़ रहे थे  . अमित सिविल सर्विसेज का प्रिलिम में सफल होता है और रीना उसे कहती है कि अमित मेन्स में भी सफल होगा  . अब आगे पढ़ें  …. 

इस मिलन के बाद दोनों अपनी अपनी पढ़ाई में लग गए  . कुछ दिनों के बाद रीना का कैंपस इंटरव्यू भी होना था  . रीना को एक अमेरिकी आईटी कम्पनी से  कैंपस में ही ऑफर मिल गया  .  उसे अच्छा पैकेज  भी मिला था  . फाइनल ईयर रिजल्ट के बाद उसे गुरुग्राम ऑफिस में ज्वाइन करना था  . रीना ने अमित को यह बात  फोन कर के बताई तब उसने बधाई देते हुए कहा “ लो अभी से तुम्हारी नौकरी भी लग गयी  . पता नहीं हमें कब तक पापड़ बेलने पड़ेंगे  . “


“  सिविल सर्विसेज की नौकरी में शुरू से ही समाज में जहाँ भी रहोगे तुम्हारा बड़ा  रुतबा रहेगा  . रोज सैकड़ों लोग तुम्हें सलामी ठोकेंगे  . तुमसे मिलने के लिए अपॉइंटमेंट लेना पड़ेगा  . “ 


“ ये सब छोड़ो , एक ट्रीट बनता है  . है कि नहीं ? “ 


“ बिल्कुल , अगर फ्री हो तो फ्राइडे शाम को मिलते हैं  . नरूला में साथ में डिनर करेंगे  . “ 


नरूला में डिनर के दौरान अमित ने रीना से कहा “ अब अगली मुलाकात मेन्स के बाद हो होगी  . “ 


“ मैं समझ सकती हूँ  .  टेक केयर  . “ 


अक्टूबर के मध्य तक अमित का मेन्स एग्जाम भी समाप्त हो गया था  . इसके बाद जब रीना मिली तो उसने पूछा “ मुझे पूरी उम्मीद है तुम्हारा मेन्स अच्छा गया होगा  . “


“ मैंने तो अपना बेस्ट एफर्ट लगाया था  . बाकी  समय पर रिजल्ट ही बताएगा  . वैसे एक ही प्रयास में सिविल सर्विसेज में क़्वालीफाई करना बहुत कठिन है  . “ 


“ यस , कठिन है पर  नॉट इम्पॉसिबल  . तुम जरूर मेन्स भी निकाल लोगे  . “ 


“ तुम्हारे मुंह में घी शक़्कर  . “   अमित  ने हँस कर कहा 


“ अरे सिर्फ घी शक़्कर से काम नहीं चलेगा  . तब तो बहुत बड़ा  ट्रीट बनता है  . “ 


“ मेन्स अगर निकल भी लेता हूँ तब उसके बाद इंटरव्यू और पर्सनालिटी टेस्ट और भी कठिन होता है  . “ 


“ वह भी तुम  सफलतापूर्वक  निकाल सकते हो , आई एम श्योर  .   “ 


लगभग दो से तीन महीने के अंदर ही  अमित का  फाइनल इंटरव्यू होना था   . वह जी जान से इसकी तैयारी में लग गया था  . इसके लिए वह कोचिंग भी ले रहा था विशेषकर भारतीय विदेश सेवा से संबंधित विषयों पर अध्ययन कर रहा था  . उर्दू , सिंधी , स्पैनिश और चीनी भाषाओँ की बेसिक जानकारी उसे थी  . 


जनवरी के अंतिम सप्ताह में उसे इंटरव्यू लेटर भी मिला  . यूनियन पब्लिक कमीशन में इंटरव्यू भी सम्पन्न  हुआ  .   रीना ने अमित से इंटरव्यू के बाद पूछा तब उसने कहा  “ मैंने लगभग  सभी प्रश्नों के संतोषजनक और सही उत्तर दिए हैं  . बोर्ड मेंबर्स के मूड और चेहरे के एक्सप्रेशन से मुझे लगा कि वे भी मेरे उत्तर से संतुष्ट थे  . बाकी ऊपर वाले पर छोड़ देना ही बेहतर है  . मैंने भारतीय विदेश सेवा में अपनी रूचि भी उन्हें बता दिया है पर यह तो रैंक पर निर्भर करता है  .   “ 


“ मुझे भी पूरा विश्वास है कि तुम्हारा नाम फाइनल सिलेक्शन लिस्ट में होगा  . “ 


“ देखो , दो तीन महीने  में सब पता चल ही जायेगा  . “ 


अभी तक सब ठीक होता आया है तो वह भी ठीक हो जायेगा  . हाथी निकल गया है बस पूँछ भर रह गयी है  . मुझे तुमसे कुछ और बात भी करनी है  . “ 


“ कहो ना , बिना संकोच के कहो  . “ 


“ मेरे पेरेंट्स मेरी शादी के लिए चिंतित है  . पापा जल्द ही रिटायर करने वाले हैं  . वे चाहते हैं कि उनके रिटायरमेंट और मेरे नौकरी ज्वाइन करने के पहले शादी हो जाये  . उन्होंने मेरी राय लेनी चाही  . वो हम दोनों के बारे में जानते हैं  . उन्हें हमारे रिश्ते से कोई एतराज नहीं है  . वे कह रहे थे कि तुम्हारा सिलेक्शन तो तय ही है  .  तुम्हारे पेरेंट्स को एक करोड़ या उससे भी ज्यादा का दहेज़ का ऑफर  मिलेगा , कहीं ऐसा न हो कि   …. ..   “ 


“ मैं दहेज़ के विरुद्ध हूँ चाहे शादी किसी से भी हो  . दूसरी बात तुम्हें लेकर मेरे यहाँ भी ऐतराज की कोई बात नहीं  है न ही मैं होने दूंगा  . मुझ पर भरोसा रखो  . अभी तक मैं दूसरे उद्देश्य में लगा था , बस उसे पूरा होने दो  . उसके बाद इस विषय पर भी जल्द ही मुहर लग जायेगी   . “     इतना बोल कर अमित ने रीना के दोनों हाथ पकड़ कर उसे भरोसा दिलाया 


आगे  तीन चार महीने अमित अपने सिविल सर्विसेज के परिणाम को लेकर चिंतित  रहता था  . इसी दौरान उसका सिविल सर्विसेज का ऑफर भी मिला और उसे अच्छा रैंक भी मिला  . उसका आल इंडिया रैंक 119  था और उसे  पसंदीदा फॉरेन सर्विसेज के लिए सिलेक्ट किया गया था  . अमित को अपनी मेहनत का उचित फल मिला था इसलिए वह बहुत खुश था  . स्थानीय पेपर में उसका एक फोटो भी छपा था जिसके नीचे लिखा था 


“ शहर का गौरव अमित सिन्हा जो  सबसे कम आयु में भारतीय विदेश सेवा के अफसर बनने वाला पहला व्यक्ति है  . . अमित को हमारी हार्दिक शुभकामनाएं  . “


रीना उस समय दिल्ली में थी और अमित अपने घर पर था  . उसने उसे फोन कर के  बधाई दिया और कहा “ मैं भी दो दिनों के बाद हॉस्टल खाली कर वहां आ रही हूँ तब जमकर जश्न मनाएंगे  . “


 अमित के माता पिता की  ख़ुशी का ठिकाना न था  . वे अपनी मन्नतें पूरी होने की ख़ुशी में बनारस गए थे  .  इस ख़ुशी में एक बड़ी पार्टी का आयोजन किया गया था  . रीना भी दिल्ली से आ गयी थी  . वह अमित  से मिलने उस के घर गयी  . पहली बार अमित ने ख़ुशी के मारे उसे अपनी बाँहों में भर लिया  . रीना ने भी रत्ती भर बिना संकोच किए स्वयं को उसकी बाँहों में छोड़ दिया  . दोनों कुछ पल ऐसे ही रहे  . इसके बाद अमित ने उसे चूमना चाहा तब रीना ने अलग होते हुए कहा “ प्लीज ऐसा न करो कि दोनों के धैर्य की सीमा टूट जाए  . अभी अच्छे बच्चे की तरह इतने में संतोष कर लो  .  . “   


कुछ दिनों के बाद अमित के यहाँ पार्टी थी  . इस बीच रीना के माता पिता ने  अमित के माता पिता से मिल कर दोनों के रिश्ते के लिए बात कर ली थी  . दोनों पक्षों  ने इस रिश्ते पर मुहर लगा दी   . पार्टी के दिन ही दोनों के मंगनी की रस्म संपन्न हुई थी  . लगभग तीन महीने बाद अमित को ट्रेनिंग के लिए रिपोर्ट करना था  . इसी बीच रीना के पिता को हार्ट अटैक हुआ था  .  हालांकि वे इस अटैक से बच गए थे फिर भी उन्हें अपने स्वास्थ्य की चिंता थी क्योंकि डॉक्टर के अनुसार उनका हार्ट बहुत डैमेज हो चुका था  . किसी समय मैसिव हार्ट अटैक की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता था  . इसलिए वे रीना की शादी अपने जीवनकाल में ही करा देना चाहते थे  . आनन फानन में दोनों की शादी भी हो गयी  . 


अमित को 21 महीने की ट्रेनिंग के लिए मसूरी  LBSNAA ( लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ़ अडमिंस्ट्रेशन ) जाना था  . विदेश सेवा के लिए  18 महीने की बेसिक ट्रेनिंग के बाद तीन महीने लैंगुएज ट्रेनिंग होनी थी . यहाँ उसने  हिब्रू और अरबी भाषा भी सीखी  . फिर इसके बाद दिल्ली स्थित SSIFS ( सुषमा स्वराज इंस्टिट्यूट ऑफ़ फॉरेन सर्विस ) में ट्रेनिंग होनी थी . यहाँ पर अफसर को विदेश सेवा से संबंधित  फॉरेन पालिसी , इंटरनेशनल रिलेशन , कूटनीति आदि  विषयों पर जोर दिया जाता है  . 


शादी के बाद अमित मसूरी चला गया और रीना ने गुरुग्राम में जॉब ज्वाइन किया  . शुरू के कुछ महीनों में कोर ट्रेनिंग में अमित को कोई छुट्टी नहीं मिलती थी  . उसके बाद छुट्टी में वह या तो रीना के साथ मसूरी के किसी होटल में रहता या कभी खुद गुरुग्राम चला जाता था  . ट्रेनिंग की समाप्ति पर अमित की पोस्टिंग दुबई स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास ( कांसुलेट ) में सेकंड सेक्रेटरी के पद पर हुई थी  . रीना की कंपनी ने भी उसे दुबई ऑफिस में ट्रांसफर कर दिया  . इस बीच रीना प्रेग्नेंट हुई और दुबई में एक बेटी को जन्म दिया  . अमित और रीना ने बेबी का नाम खुशबू रखा  . 


अमित को सरकार की  तरफ से गुप्त रूप से दुबई से हवाला ट्रांसफर द्वारा रुपये भेजने वालों पर नजर रखने के लिए कहा गया था  . सरकार को शक था की इन रुपयों को  देश में मनी लॉन्ड्रिंग , आतंकवादी आदि अन्य  गैरकानूनी कामों में इस्तेमाल किया जाता है  . यहाँ उसने कुछ तस्करों द्वारा हवाला ट्रांसफर धंधे का भंडाफोड़ किया था  . लगभग दो साल के बाद अचानक अमित को दुबई छोड़ कर दिल्ली रिपोर्ट करने का आदेश मिला  .  


अमित परिवार के साथ दिल्ली लौटा  . उसका परिचय RAW के सीनियर अफसर से हुआ  . अफसर ने उस से पूछा “ क्या तुम अपने देश के लिए कुछ बड़ा और जोखिम वाला काम करने को तैयार हो ? “


“ बेशक , सर . “ 


“ गुड , हमें तुमसे यही अपेक्षा थी . तुम्हारा ट्रैक रिकॉर्ड देख कर सरकार ने तुम्हें एक विशेष मिशन के लिए चुना है . हो सकता है इस मिशन में तुम्हें दो तीन साल या और ज्यादा भी परिवार से अलग रहना पड़े . जैसा कि तुम जानते हो रॉ एजेंट जो विदेश में देश के लिए गुप्त सूचनाएं इकठ्ठा करते हैं , उनकी जान पार चौबीसों घंटे खतरा मंडराता रहता है . और कभी पकडे जाने पर या शहीद होने पर देश तुम्हें अपना नागरिक मानने से इंकार भी कर सकता है . “ 


“  डोंट वरी सर ,मुझे सब पता है . “ 


क्रमशः 


नोट - यह कहानी पूर्णतः काल्पनिक है