Baazi Kisi Ne Pyar Mein Jiti Ya Hari - 5 - last part in Hindi Fiction Stories by S Sinha books and stories PDF | बाजी किसी ने प्यार की जीती या हारी - 5 (अंतिम भाग )

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बाजी किसी ने प्यार की जीती या हारी - 5 (अंतिम भाग )

Last Part 5 - बाजी किसी ने प्यार की जीती या हारी 5

 

नोट - पिछले अंक में आपने कि अमित और रीना दोनों की शादी होती है और उन्हें एक बेटी होती है. अमित सिविल सर्विसेज ज्वाइन करता है और उसकी पोस्टिंग रा में होती है और उसके कुछ समय के बाद अमित दुश्मन देश में जासूसी करते पकड़ा जाता है और उसे गोली लगती है. वह नदी में कूद जाता है और उसे मृत घोषित किया जाता है. रीना की दूसरी शादी होती है. रीना की एक सहेली उसे अपनी एनिवर्सरी पर बुलाती है. अब आगे पढ़ें

 

शीला की पार्टी के एक दिन पहले रीना और सुशील अपने तीनों बच्चों के साथ मुंबई एयरपोर्ट पहुंचे. शीला उन्हें रिसीव करने एयरपोर्ट गयी थी. एयरपोर्ट से उन्हें अपने घर ले कर आयी. उसका घर बहुत बड़ा था. उसने मेहमानों को ऊपर के दो कमरों में ठहराया था. 

 

पार्टी का आयोजन एक प्राइवेट क्लब में किया गया था. पार्टी में ज्यादा लोगों को नहीं बुलाया गया था बस शीला और उसके पति के ख़ास दोस्तों को. क्लब के हॉल के एक कोने में एक टेबल पर एक आदमी बैठा था, उसका बायां हाथ नहीं था और दाढ़ी व बाल बहुत बढे थे. उसके साथ एक बूढ़ी औरत भी बैठी थी. दोनों ने शीला और उसके पति का अभिवादन वहीँ बैठे बैठे किया. बूढ़ी औरत ने कहा “ तुम दोनों अपने गेस्ट्स को एंटरटेन करो, हम आते हैं. “

 

रीना ने शीला से पूछा “ वे दोनों माँ बेटे वहां अकेले क्या कर रहे हैं ? “

 

“ वे माँ बेटे नहीं हैं. ओल्ड लेडी एक एडवोकेट है, मिस ईरानी. वह आदमी उसका क्लाइंट है, मुझे फोन पर ईरानी ने बताया था. किसी एक्सीडेंट में बेचारे का हाथ कट गया था. ईरानी हमारी फैमिली एडवोकेट है. आदमी को तो मैं नहीं जानती हूँ पर ईरानी को जब मैंने इनवाइट किया था तब उसने कहा था उसके पास एक गेस्ट है जिसे मैं जानती हूँ. वह उस गेस्ट के साथ आएगी , तब मैंने भी ओके कह दिया था. उसके बारे में मुझे तो कुछ याद नहीं है, क्या तुम उसे जानती हो ? “

 

“ नहीं. तुम्हारा गेस्ट है जब तुम्हें ही नहीं पता है तब मैं कैसे जान सकती हूँ ? “

 

जब पार्टी समाप्त हुई तब ईरानी ने जाते समय शीला से कहा “ कल मैंने अपने गेस्ट के आने की ख़ुशी में एक छोटा सा गेटटुगेदर रखा है. मेरे घर पर ही है. तुम सब लोग जरूर आना और अपने सभी मेहमानों को भी साथ में लाना. एक सरप्राइज है सभी के लिए. बस तुमलोग, मैं और मेरा यह गेस्ट रहेगा. माइंड इट, नो एक्सक्यूज़. “ 

 

अगले दिन शीला अपने पति और रीना के परिवार के साथ ईरानी के यहाँ गयी. उसने देखा कि वहां पार्टी जैसा कोई माहौल नहीं था. उसने ईरानी से पूछा “ आपने तो कहा था कि गेटटुगेदर है पर यहाँ तो वैसा कुछ भी नहीं नजर आ रहा है. और आप भी अकेली हैं, आपके गेस्ट भी नजर नहीं आ रहे हैं. “

 

“ मैंने कहा था न कि बस हम लोग रहेंगे. “ ईरानी ने कहा

 

“ और आपके गेस्ट ? “

 

“ वह, आता ही होगा. वह होटल में ठहरा है. “

 

“ आपका गेस्ट और ठहरा है होटल में, यह क्या बात हुई ? “ 

 

“ यही तो सरप्राइज है. “

 

तब तक कॉल बेल बजा तब ईरानी बोली “ लो वह आ गया. “ बोल कर ईरानी ने दरवाजा खोला 

 

ईरानी के सभी गेस्ट सोफे पर बैठे थे और उनकी पीठ दरवाजे की ऒर थी इसलिए आने वाले को कोई नहीं देख सका था. जैसे ही वह उनके सामने आया शीला और रीना दोनों आँखें फाड़ कर गौर से उसे देखने लगी थीं. उसका बायां हाथ नहीं था. 

यह वही आदमी था जो कल शीला की पार्टी में था पर आज उसका हुलिया पूरा बदला हुआ था. दाढ़ी और बाल दोनों कटे और सँवारे हुए थे और वह सूट बूट में था. 

 

रीना उसे देख कर अपनी जगह से उठ खड़ी हुई. ईरानी ने कहा “ मैं अपने मेहमान से तुम लोगों का परिचय करा देती हूँ. “

“ इसकी कोई जरूरत नहीं है. “ रीना और शीला ने एक साथ कहा

 

वह रीना का पूर्व पति और खुशबू का पिता अमित सिन्हा था जिसे पहचानने में रीना और शीला दोनों को कोई कठिनाई नहीं हुई. तीनों वर्षों तक एक साथ पढ़े थे और पुराने दोस्त भी थे. 

 

“ फिर रीना और अमित सिन्हा तुम दोनों अंदर जा कर आराम से बातें कर सकते हो. “ ईरानी ने कहा

 

“ सभी लोग आ सकते हैं, मुझे कोई आपत्ति नहीं है. “ अमित ने कहा

 

“ मैं सुशील के साथ जाना चाहूंगी. “

 

रीना, सुशील और अमित तीनों अंदर के कमरे में गए. रीना ने अमित से कहा “ यह मैं क्या देख रही हूँ ? मुझे तुमने अँधेरे में क्यों रखा था इतने दिनों तक ? “

 

“ मैं खुद अँधेरे में था, दूसरों को क्या अँधेरे में रखूंगा.बेहतर होगा पहले मेरी पूरी बात सुन लो. “

 

“ हाँ, कहो. “

 

अमित ने अपनी कहानी शुरू की “ हमारे शत्रु देश ने मुझे गोली मारने और मेरे नदी में कूदने के बाद मुझे मृत घोषित कर दिया था और यहाँ हमारी सरकार ने भी. मुझे एक मछुआरे ने बचा लिया था. अहमद उसका नाम था. वह मुझे किसी तरह अपने घर ले गया. मैंने अपनी पूरी कहानी उसे सुनाई. उसकी बीबी का मायके भारत में है. दोनों को मुझ पर दया आयी. गोली लगने के कारण कोई भी डॉक्टर मेरा इलाज बिना पुलिस केस के नहीं कर रहा था. वह जान पहचान के एक डॉक्टर के पास ले गया और बोला - ‘ मैं उसका कजन हूँ. संपत्ति विवाद में गोली चल गयी और पुलिस में नहीं जाना चाहता है. किसी तरह से बेचारे की जान बचाइए और पुलिस के चक्कर में नहीं डालें. ‘ बहुत मुश्किल से बहुत रुपये लेने पर डॉक्टर मान गया. मेरी सर्जरी हुई. डॉक्टर ने बुलेट तो निकाल दिया था. मेरा खून बहुत बह गया था. इन्फेक्शन फ़ैल रहा था. मेरा बायां हाथ काटना पड़ा था. इसके बाद भी बहुत दिनों तक मेरे इन्फेक्शन का इलाज जारी रहा था. मैं बहुत कमजोर भी हो गया था. संयोग से अहमद का ब्लड ग्रुप मुझसे मिलता था. उसने मुझे खून भी दिया था. मुझे ठीक होने में एक साल से ज्यादा ही लग गया था. मैं अहमद के घर पर ही रहने लगा. अहमद ने अपने पड़ोसियों से भी मुझे अपना कजन बताया था और कहा कि फिशिंग के समय घड़ियाल ने मेरा हाथ काट खाया था. “

 

“ ओह, आपकी कहानी बहुत दर्द भरी कहानी है. आपने देश के लिए कितना दुख सहा है ? “ सुशील बोला

 

“ नहीं दुःख की बात नहीं है. मैं तो स्वेच्छा से वहां गया था. मुश्किल तो देश के लिए हो जाता है कि ऐसे समय में देश जासूस को अपना नहीं मानने के लिए मजबूर हो जाता है. शत्रु जासूस को भी तोड़ने के लिए भयंकर प्रताड़नाएं देता है. ऐसे में कभी जासूस टूट भी सकता है, उसे असहनीय पीड़ा से बचने के लिए कभी सच बोलना पड़ सकता है. “ अमित ने कहा

 

रीना सब चुपचाप सुन रही थी और उसकी आँखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे. अमित ने सुशील से कहा “ वाइप हर टीयर्स फर्स्ट. “

 

सुशील जब रीना के आंसूं पोंछने के लिए बढ़ा तब रीना ने अपने आंचल से खुद पोंछते हुए अमित से कहा “ इट्स ओके, तुम अपनी बात कहो पर पहले यह बताओ कि तुम पहले न मिल कर मुझसे इतने साल बाद क्यों मिले ? “

 

अमित ने आगे बात शुरू किया “ मुझे पूरी तरह स्वस्थ होने में बहुत लम्बा समय लगा. मेरे लिए देश लौटना इतना आसान भी तो नहीं था. मैं यहाँ अपने को भारतीय बताने की स्थिति में नहीं था.पहले तो अपने कॉन्सुलेट या हाई कमीशन से संपर्क करना ही कठिन था. अगर मैं वहां जाता तो निश्चित रूप से गेट के अंदर जाने के पहले ही वहां की पुलिस और जासूस मुझे पकड़ लेते. मेरा कटा हाथ मेरी एक आसान पहचान बन चुका था. अहमद चाह कर भी मेरी मदद नहीं कर सकता था, बेचारे की इतनी औकात या हिम्मत नहीं थी कि हाई कमीशन से मेरी बात कहे. एक बार किसी तरह किसी बिचौलिए की मदद से कॉन्सुलेट से अनौपचारिक बात हुई थी. उसे जवाब मिला कि मैं तो बहुत पहले ही मर चुका था. अगर जिन्दा भी हूँ तो बेहतर होगा मुंह बंद रखूँ और बिना अपनी असलियत बताये सरेंडर कर दूँ. वैसे भी दोनों देशों के बीच का रिश्ता बहुत नाजुक दौर से गुजर रहा था. ऐसे में कांसुलेट या हाई कमीशन कुछ खास मदद नहीं कर सकता था. किसी तरह चोरी छुपे बॉर्डर क्रॉस करने में बहुत बड़ा रिस्क था. भारत में प्रवेश करने के बाद में ही मैं अपनी सच्चाई बता सकता था. “

 

“ आखिर तुम इंडिया कब आये ? “ रीना ने अमित से पूछा

 

“ मेरी बदकिस्मती मेरा पीछा नहीं छोड़ रही थी. अहमद परदे के पीछे मेरी मदद की कोशिश कर रहा था. अहमद का एक रिश्तेदार जो पाकिस्तान में ही था उसकी शक्ल कुछ अमित से मिलती थी. बाल और दाढ़ी बढ़ने पर दोनों में फर्क करना मुश्किल था. एयरपोर्ट पर ज्यादा सख्त चेकिंग होती है इसलिए हमलोग या तो लैंड रूट या किसी अन्य देश होते हुए भारत जाने पर विचार कर रहे थे. इसी बीच एक दुर्घटना हुई. अहमद अपने अन्य साथियों के साथ अपनी नाव से मछली पकड़ने निकला था. गलती से वह भारत की सीमा में प्रवेश कर गया. अहमद और उसके सभी साथी पकड़े गए थे और नौका जब्त कर ली गयी थी. उन दिनों वहां भी अनेक भारतीय मछुआरों को बंदी बना कर रखा गया था. वैसे तो पानी के बीच कोई दीवार या फेंसिंग नहीं होती है. अक्सर मछुआरे गलती से दूसरे देश की सीमा में प्रवेश कर जाते हैं और उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता है. जब तक दोनों देशों के बीच मछुआरों के आदान प्रदान का समझौता हुआ करीब दो साल और गुजर गए थे. “

 

“ इस बीच तुमने मुझसे या सरकार से संपर्क क्यों नहीं किया था ? “

 

“ मैं कैसे करता ? दोनों देशों के बीच इतना तनाव रहता था कि दोनों एक दूसरे के नागरिक पर कड़ी नजर रखते थे. दोनों के कांसुलेट और हाई कमीशन के स्टाफ और वहां आने जाने वालों पर जासूसी की जाती है. मैं अपने कटे हाथ के चलते बाहर बहुत नहीं निकलता था. वो तो भला हो अहमद और उसकी बीबी का जिसने इतने दिनों तक मुझे रख कर अपनी जान को खतरे में रखा था. अहमद जब छूट कर अपने देश आया तब मुझसे बहुत ख़ुश हो कर मिला था. मैंने पूछा भी था कि भारत में जेल में बहुत स्वागत हुआ था क्या. उसने कहा - ऐसा ही समझो. उस से बड़ी बात जो उसने कही वह यह थी कि मेरे भारत लौटने का रास्ता साफ़ हो गया है. मैंने पूछा भी कि क्या तुमने मेरे बारे में वहां बता दिया है, तब उसने कहा नहीं. पर मैंने सोच लिया है, एक बहुत आसान तरीका है. बस कुछ दिन इंतजार कर लो. कोई वीजा, पासपोर्ट या डॉक्यूमेंट की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. मेरे “ कैसे “ पूछने पर उसने कहा -’ इस बार बोट पर तुम भी मेरे साथ मछली पकड़ने चलोगे और हम भारतीय सीमा में जानबूझ कर जायेंगे. हम सभी अरेस्ट होंगे. तुम अपने देश में होगे फिर तुम्हें कोई परेशानी नहीं होगी. ‘ अहमद ने फिर इतना बड़ा रिस्क सिर्फ मेरे लिए लिया था. भारत में कोस्ट गार्ड द्वारा पकड़े जाने के बाद मैंने अपनी पूरी कहानी बताई. मेरे पास कोई आई कार्ड नहीं था. मुझे अपनी पहचान प्रूफ करने के लिए विदेश विभाग और रॉ के अफसरों को आ कर मुझसे लंबी पूछताछ करनी पड़ी. फिर मैं छूट कर यहाँ तक पहुंचा हूँ. “

 

“ मेरे बारे में तुम्हें कब पता चल ? “

 

अहमद ने इंडिया में जेल से छूटने पर किसी तरह तुम्हारे घर सम्पर्क किया था और मुझे पता चला कि तुम्हारी शादी हो गयी थी और तुम अब तीन बच्चों की माँ हो. मुझे तुम्हारी और खुशबू की याद रोज सताती थी. पर सच मानो मुझे यह जान कर ख़ुशी हुई कि यू हैव मूव्ड ऑन. मेरा तो कोई अपना ही भविष्य नहीं दिख रहा था मैं तुम्हारे और खुशबू के लिए भला क्या कर सकता था ? मैं प्यार और जीवन दोनों की बाजी पहले ही हार चुका था पर सच मानो तुम फिर से लाइफ में सेटल्ड हो, जान कर मुझे बहुत ख़ुशी हुई. “

 

रीना सिसक सिसक कर रोये जा रही थी, अमित ने कहा “ कोई इस के आंसू पोंछे भाई. “

 

“ इस बार रीना के आँसू तुम्हें ही पोंछने होंगे क्योंकि ये आंसू उसे तुमने दिए हैं. “ शीला बोल उठी

 

अमित सुशील की ओर देखने सवालिया नजरों से लगा तब सुशील ने भी यही कहा “ शीला ने ठीक कहा है, जाओ पोंछो उसके आंसू. “

 

अमित रीना के आंसू पोंछ रहा था और इस बार रीना उसे मना नहीं कर सकी. तब सुशील ने कहा “ अब बच्चों और ईरानी मैम को भी बुला लो. “

 

कुछ पल बाद सभी एक साथ बैठे थे. सुशील ने अमित की ओर इशारा कर के खुशबू से कहा “ इन्हें पहचानती हो बेटी ? “

खुशबू से कुछ कहते नहीं बन रहा था, उसने अमित को नमस्ते अंकल भर कहा था. अमित ने उसे गले लगा कर प्यार किया और ढ़ेर सारे आशीर्वाद दिये. उस दिन खाने पीने के बाद रीना अपने पति और बच्चों के साथ शीला के घर लौट आयी. सुशील ने अमित से उसका फोन नंबर और पता ले लिया था. अगले दिन रीना सपरिवार अपने घर लौट आयी. घर पहुँच कर उसने एल्बम में खुशबू के बचपन के फोटो उसे दिखाए जिनमें खुशबू अमित की गोद में थी. रीना को खुशबू को समझाने की जरूरत नहीं पड़ी कि वह अमित की बेटी है. फिर रीना ने बेटी को पापा की पूरी कहानी विस्तार में बताई और कहा “ बेटा वे तुम्हारे पापा हैं.तुम्हारे जन्म के बाद सरकार ने उन्हें विशेष काम से विदेश भेजा और उसके बाद वे परिवार से बिछड़ गए और कोई पारिवारिक सुख उन्हें नहीं मिला.उन्होंने इतनी बड़ी क़ुर्बानी देश के लिए दी है. बेचारे की किस्मत ही ख़राब है “

 

सुशील ने कहा “ ऐसा मत कहो. हमलोगों को उन पर गर्व होना चाहिए कि देश के लिए उन्होंने अपना सुख चैन सब त्याग दिया है. अब किस्मत ने उन्हें ऐसी स्थिति में ला खड़ा किया है कि परिवार रहते हुए भी उनकी जिंदगी में अकेलापन है. “

 

सभी खामोश थे. फिर सुशील ने ही आगे कहा “ मेरे पास एक आईडिया है. मैं सोच रहा था कि …. “

 

खुशबू ने पापा की बात काटते हुए कहा “ सॉरी पापा, मेरे पास भी एक आईडिया है. हम सभी यहाँ खुश हैं और पापा, आई मीन अमित पापा. वे बिल्कुल अकेले हैं , ऊपर से उनका एक हाथ भी नहीं है. क्यों न मैं उनके साथ चली जाऊं ? “

 

सुशील ख़ुशी से बोला “ बेटे तुमने मेरे मुंह की बात छीन ली है. मेरा भी यही आईडिया था. क्यों रीना, कैसा रहेगा ? “

 

“ तीनों बच्चे तो मेरे ही हैं. अगर खुशबू और अमित दोनों एक साथ रहें और अमित की ख़ुशी इसी में है तो मुझे भी बहुत ख़ुशी मिलेगी. “

 

कुछ दिनों के बाद अमित को सुशील ने अपने यहाँ बुलाया और अपना प्लान बताया. यह जान कर अमित के मुरझाये चेहरे पर ख़ुशी और आशा छलकने लगी थी. उसने कहा “ मैं तो समझ बैठा था कि जिंदगी और प्यार की बाजी मैं पूरी तरह से हार चुका हूँ. पर हारते हारते जीत का एक क़तरा मुझे भी मिल ही गया. “

 

“ जीवन की बाजी में जीत हार आनी जानी है. तुम ऐसा न सोच कर बस यूं समझो कि इस बाजी में कोई भी लूजर नहीं है. मैं, रीना, खुशबू और तुम सभी ही विनर हैं. है न बेटा ? “ सुशील ने खुशबू की तरफ देख कर कहा

 

“ एक्जेक्टली, मैं तो डबल विंनर हूँ. दो दो पापा का प्यार मुझे मिलेगा.”

 

पर क्या रीना खुशबू से अलग रह सकेगी ? “ अमित ने पूछा

 

“ अलग कहाँ, खुशबू तो मेरे दिल में बसी है. बस सोच रही थी कि वैसे भी वह ट्वेल्फ्थ क्लास तक ही मेरे साथ रहती, उसके बाद उसे पढ़ाई के लिए बाहर निकलना ही पड़ता. फिर पढ़ाई लिखाई और शादी के बाद उसे मुझ से अलग रहना ही था. और क्या तुम्हारे पास खुशबू से मिलने मैं नहीं आ सकती हूँ ? “

 

“ तुम अपनी बेटी से जब चाहो जितना चाहो मिल सकती हो. “

 

“ हाँ, आखिर उसका कन्यादान मुझे ही करनी है न. “ रीना ने कहा

 

“ माय स्वीट मम्मी, माय ग्रेट मम्मी. “ बोल कर खुशबू रीना के गले लग गयी

 

अमित को मुंबई में सरकार की तरफ से एक फ्लैट मिला था. ट्वेल्फ्थ की पढ़ाई के बाद अमित और खुशबू वहीँ एक साथ रहने लगे. 

 

 

समाप्त

 

नोट - यह कहानी पूर्णतः काल्पनिक है.

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