Part 4
नोट - पिछले अंक में आपने कि अमित और रीना दोनों आपस में प्यार करते थे. अमित सिविल सर्विसेज ज्वाइन करता है और उसकी पोस्टिंग रा में होती है. अब आगे पढ़ें
“ गुड, तुम्हें कुछ दिनों के लिए विशेष ट्रेनिंग दी जाएगी. एक पड़ोसी शत्रु देश में तुम्हारी पोस्टिंग होगी. तुम कहाँ काम कर रहे हो और क्या काम कर रहे हो यह तुम्हारे परिवार में किसी को भी नहीं पता होना चाहिए, तुम्हारी पत्नी को भी नहीं वरना उनकी जान को भी खतरा बना रहेगा. हम यहाँ तुम्हारे परिवार की सुरक्षा की जिम्मेदारी हमारी होगी. बोलो, क्या अब भी तुम रेडी हो ? “
“ बेशक, सर. मैं पूरी तरह से देश के लिए कमिटेड हूँ. आप मुझ पर भरोसा कर सकते हैं. “
“ तुम्हारा नाम आज से बदल जायेगा. तुम्हारा कोड नेम होगा टिम ( TIM ) जो लगभग तुम्हारे सही नाम का आधा नाम पर उल्टी दिशा में. कोई एतराज ? “
“ नो सर. “
“ गुड, यू कैन गो. दो तीन दिन आराम कर लो, फिर मिशन में जुटना होगा.”
अमित घर वापस आया. उसने घर वालों को सिर्फ इतना ही कहा “ मुझे किसी बहुत जरूरी काम से बाहर भेजा जा रहा है. दो साल या ज्यादा भी लग सकता हैं .मैं परिवार को साथ नहीं रख सकता हूँ.बीच बीच में ऑफिस के माध्यम से तुमसे संपर्क में रहूंगा. अब मेरा एक कोड नेम होगा.सरकार तुम लोगों की देखभाल करती रहेगी .”
बाहर भेजने के पहले अमित का खतना किया गया. उसे एक मित्र देश भेज कर वहां की विख्यात जासूसी संस्था में कुछ दिनों के लिए स्पेशल ट्रेनिंग दी गयी. इसके बाद अमित को पड़ोस के शत्रु देश में एक विशेष मिशन के लिए भेजा गया. वह उस देश का पहनावा, बोल चाल , बाल, दाढ़ी , कुरान की आयतें, कलमा,खानपान और रहन सहन आदि अच्छी तरह सीख चुका था. उस देश में पहले से ही भारत के कुछ एजेंट अमित की सहायता के लिए मौजूद थे. भारत से उसका सीधा सम्पर्क न होकर इन्हीं एजेंट के माध्यम चोरी छुपे से होता था, कभी फोन पर तो कभी वीडियो चैट भी.
वहां पर अमित एक छोटी सी कोठरी में किराए पर रहने लगा था. वहां के लोगों से घुलमिल कर रहने लगा था. मोहल्ले के बच्चों को वह बहुत प्यार करता था. वहां एक तलाकशुदा महिला के बच्चे से वह बहुत प्यार करता था. यह देख कर वह औरत भी उसे प्यार करने लगी थी. दोनों ने शादी भी कर ली थी. वह औरत उस देश के एक सेना के अफसर के यहाँ काम करती थी. वह अफसर उससे बहुत सहानुभूति रखता था. उसने अपने नए पति की नौकरी के लिए अफसर से आग्रह किया. कुछ दिनों के बाद अमित को उसी अफसर के यहाँ माली का काम मिल गया. अमित अपनी बीबी के साथ दिन भर वहीँ रहता था और शाम के बाद दोनों अपने घर लौटते थे. अमित खाने पीने, चाय आदि के लिए किचेन के पिछले दरवाजे से किचेन में जाता था. कभी अमित की बीबी को आर्डर मिलता कि फलां साहब के लिए चाय नाश्ता ले कर आओ. उन नामों में कभी किसी आतंकवादी का नाम सुन कर अमित के कान खड़े हो जाते थे. उसकी बीबी जब चाय आदि सर्व कर के लौटती तब उससे कुछ और जानकारी अमित निकलवा लेता था, जैसे फलाने को भारत की सीमा पर किसी अन्य सैन्य अधिकारी से मिलने को कहा जाता था. इस तरह अमित अपनी बीबी की मदद से शत्रु सेना और आतंकी ठिकानों की गुप्त सूचना अपने देश भेजता था. उसकी बीबी को कोई शक भी नहीं होता और इस बीच वह अपना काम भी करता रहा . जो कुछ जानकारी उसे मिलती वह इस देश के भारतीय एजेंट को भेजता और वह एजेंट इंडिया भेजा करता था. इसके लिए अक्सर वह बीबी के फोन से मेसेज भेज कर डिलीट कर देता था.
करीब तीन साल तक अमित शत्रु देश की गुप्त सूचनाएं भारत भेजता रहा . कुछ महीने बाद एक दिन अफसर की बीबी ने अमित को किसी पब्लिक बूथ से फोन करते देखा जबकि अमित और उसकी बीबी के फोन का रिचार्ज खुद अफसर की बीबी ने उसी दिन कराया था. इसे लेकर उसके मन में कुछ संदेह हुआ और उसने यह बात अपने पति से कही. उस अफसर ने अमित और उसकी बीबी दोनों पर कड़ी निगरानी रखना शुरू किया. सेना के अफसर को जल्द ही पता चल गया कि अमित यहाँ रह कर उनके दुश्मन देश के लिए जासूसी कर रहा था. एक दिन रात में जब अमित और उसकी बीबी दोनों सो रहे थे अचानक दरवाजे पर दस्तक हुई. अमित ने दरवाजे की दरार से देखा कि पुलिस और सेना के आदमी दरवाजे पर खड़े थे. वह खिड़की के रास्ते कूद कर भाग निकला. पर पुलिस ने उसका पीछा किया और उस पर गोली चलाई. गोली उसके बाएं हाथ में लगी थी. उसकी बीबी को गिरफ्तार कर लिया गया था. अमित का ज़ख्म गहरा था पर वह किसी तरह जान बचा कर भाग गया और उसने इंडियन एजेंट को यह सूचना दे दी थी. उस एजेंट ने भारत में भी इसकी सूचना भिजवा दिया था. अमित जब भाग रहा था पुलिस भी उसका पीछा कर रही थी. जब वह एक पुल से गुजर रहा था उसने दोनों तरफ से पुलिस की जीप आते देखा और वह नदी में कूद पड़ा. इसके बावजूद पुलिस उस पर गोलियां चलाती रही थी. इसके बहुत दिनों तक उसकी कोई खबर नहीं मिली थी. शत्रु देश के समाचार पत्रों में इंडियन जासूस के मारे जाने की सूचना छपी जिसे देख कर इंडियन एजेंट ने भारत में यह खबर दे दिया था.अमित की मौत की दुखद सूचना उसके परिवार को भी दी गयी. रीना को भारत सरकार की तरफ से मुआवजा मिला था और उसे एक नौकरी भी देने का आश्वासन मिला.
दुःख कितना भी गहरा हो समय का मरहम यह ज़ख्म भर देता है. रीना की उम्र ही अभी क्या थी. उसके साथ एक छोटी मासूम बच्ची भी थी. रीना के माता पिता, उसके मित्र और अन्य लोग उस पर शादी का दबाव बना रहे थे, यहाँ तक कि उसके सास ससुर को भी इसमें कोई एतराज नहीं था. उन्होंने ने भी उसे समझाया “ मेरा बेटा तो अब लौट कर नहीं आने वाला है. तुम्हारे आगे एक लम्बी जिंदगी है जिसके साथ खुशबू की जिंदगी भी जुड़ी है. अभी वह छोटी है और तुम्हारी जिंदगी में जो भी आएगा उसे अपना पापा समझने में बच्ची को कोई कठिनाई नहीं होगी. “
रीना की एक निकट सहेली शीला उस समय दिल्ली में थी. उसकी शादी दो साल पहले हुई थी और शादी के बाद वह मुंबई शिफ्ट कर गयी थी. उसके पति का अच्छा ख़ासा ट्रेवल बिजनेस था. पति पत्नी दोनों ने भी रीना को शादी करने की सलाह दी थी.
रीना ने भी हालात से समझौता कर डेढ़ साल बाद दूसरी शादी कर ली. दूर के रिश्ते के सुशील नाम के एक व्यक्ति से उसकी शादी हुई. सुशील रीना और खुशबू दोनों को बहुत प्यार करता था. रीना अपने नए जीवन में एडजस्ट कर गयी थी. दो साल के अंदर उसे जुड़वाँ बच्चा हुआ एक बेटा और एक बेटी. वह अब तीन बच्चों की माँ थी. सुशील तीनों बच्चों को भरपूर प्यार करता था. रीना को इस बारे में सुशील से कोई शिकायत नहीं थी. उसके तीनों बच्चे स्कूल जाने लगे थे और रीना भी खुद नौकरी करने लगी थी.
देखते देखते करीब आठ साल बीतने को थे. एक दिन अचानक रीना की सहेली शीला का मुंबई से फोन आया. शीला ने रीना से कहा “ मेरी शादी की दसवीं सालगिरह पर तुम्हें सपरिवार आना होगा. “
“ मैं अभी से शुभकामनाएं दे रही हूँ. तीन तीन बच्चों के साथ कैसे आऊंगी ? तीनों बच्चे स्कूल जाते हैं. “
“ कोई बहाना नहीं चलेगा. मेरी पार्टी अगले सप्ताह लॉन्ग वीकेंड में है. तुम्हारे जीजा का भी यही कहना है. वे तुम लोगों के लिए रिटर्न एयर टिकट भेज रहे हैं. “
“ अरे नहीं, टिकट की क्या जरूरत है ? मैं आने की कोशिश करूंगी. “ रीना ने कहा
“ नो कोशिश, यू हैव टू कम. और नॉट ओनली मैं, सभी को आना ही है. तुम्हारे जीजा को बहुत सारे एयरलाइंस की तरफ से कंप्लीमेंट्री टिकट मिलते रहते हैं. तुम्हें कोई टिकट लेने की जरूरत नहीं है. मैं सब के लिए कल ही टिकट मेल कर रही हूँ. कोई बहाना नहीं चलेगा , तुम्हें मेरी कसम आना ही है. और हाँ, मेहमानों में यहाँ कुछ तुम्हारे पुराने जान पहचान के आदमी से सरप्राइज मुलाकात भी हो सकती है. “
क्रमशः अंतिम भाग 5 में