Demon The Risky Love - 73 in Hindi Horror Stories by Pooja Singh books and stories PDF | दानव द रिस्की लव - 73

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दानव द रिस्की लव - 73

तक्ष का मकसद.....

अब आगे...........

विवेक वहीं मंदिर के प्रांगण में बैठ जाता है....और बस अघोरी बाबा के आने का इंतजार करता है । त्रिशूल विवेक की हालत देखकर थोड़ा परेशान हो जाता है और उसे समझाता है...." देखो गुरुजी की साधना भंग नहीं करी जा सकती इसलिए बेहतर होगा तुम अपने दोस्त का ध्यान रखो..." विवेक उसी दुखी थी आवाज में कहता है..." मुझे अघोरी बाबा से मिलना है , डाक्टरों ने साफ कह दिया है वो जिंदा नहीं है लेकिन मैं जानता हूं उस पिशाच का तोड़ सिर्फ अघोरी बाबा कर सकते हैं..."
त्रिशूल के बार बार समझाने पर विवेक नहीं मानता तभी जमीन पर से डंड के ठक की आवाज आती है... दोनों अघोरी बाबा को आते देख हैरान रह जाते हैं । विवेक तुरंत अघोरी बाबा के पास जाता है लेकिन अघोरी बाबा उसे हाथ के इशारे से वही रूकने के लिए कहते और मंदिर के गर्भगृह में जाकर शिवलिंग की परिक्रमा करके वापस आते हैं.....
अघोरी बाबा अपने आसन पर बैठते हैं और दोनों को बैठने का इशारा करते हैं फिर विवेक से अचानक आने का कारण पूछते......" बताओ क्या बात बेटा...?. तुम्हारी परेशानी की आवाज से हमारा ध्यान भंग हुआ है शायद भोलेनाथ भी यही चाहते हैं की हम तुम्हारी सहायता करें....." अघोरी बाबा की बात सुनकर विवेक को सुकून सा मिलता है...
विवेक जल्दबाजी में अपनी अब तक की सारी घटना बता देता है। अघोरी बाबा उसकी बात बड़े ध्यान से सुनते हुए बोले...." तुम्हारे कहने का मतलब है तुम्हारे दोस्त को उस कीड़े ने काटा है जिससे उसके शरीर में जहर फैल रहा है..."
विवेक : जी .....
अघोरी बाबा : तुम अब उस पिशाच के खतरनाक दायरे में आ चुके हो ....तुम जितनी जल्दी हो सके, हमारे बताएं हुए उपाय को कर दो और तुम निश्चिन्त रहो तुम्हारा दोस्त बिल्कुल ठीक हो जाएगा.....तुम यहीं रूको हम अभी आए
अघोरी बाबा वहां से उठकर वापस अपने साधन कक्ष की तरफ चले जाते हैं उधर अदिति के रूप में तक्ष हाॅस्पिटल पहुंचता है.....
अदिति को आया देख कंचन उसके गले लग जाती है और रोते हुए कहती हैं..." हमारा बेस्ट फ्रेंड चला गया अदिति अब वो लौटकर कभी नहीं आएगा...." अदिति (तक्ष ) अपने से दूर करती है और हितेन की मां के पास जाकर कहती हैं...." हितेन जरूर वापस आएगा...."
अदिति (तक्ष) के इस तरह कहने से हितेन की मां तुरंत उसके हाथों को पकड़कर रोते हुए कहती हैं...." तू ठीक कर सकती हैं बेटा.....बचा ले मेरे बेटे.... मेरे जीने का इकलौता सहारा वहीं है..."
अदिति (तक्ष) उसी कांफिडेंस के साथ कहती हैं...." हां मैं बिल्कुल ठीक कर दूंगी...."
श्रुति अदिति के पास जाने से झिझकती है लेकिन फिर भी कहती हैं....." अदिति तू कैसे ठीक करेगी उसे....?.."
अदिति (तक्ष) : मैं अजनबी से बात नहीं करती ...आप चिंता मत कीजिए मैं उसे ठीक कर दूंगी....
अदिति वहां सीधा वार्ड में जाती है क्योंकि हितेन को आई यू से नार्मल वार्ड में शिफ्ट कर दिया था......
अंदर रूम में आते ही तक्ष उसके घाव वाले हिस्से पर वो लेप लगाता है और कुछ पत्ती के रस जो उसने एक छोटी सी बोतल में रख रखे थे,  उसके मुंह में डालता है...और अब अपने आप से कहता है....." जहर तो खत्म हो गया तेरा लेकिन मैं तुझे यहां ठीक करने नहीं आया था मुझे ये मजबूरन करना पड़ा बस तेरे दिमाग़ से वो याद देख लूं..." इतना कहते ही तक्ष उसकी तरफ देखता है ...तक्ष के आंखें अब पूरी तरफ लाल हो चुकी थी जिससे वो तुरंत हितेन के पास जाकर उसकी आंखों को खोलकर अपनी हल्की सी लाल रोशनी को उसकी आंखों में डालकर तुंरत हट जाता है...... जैसे ही तक्ष उसके दिमाग से बीते हुए पलों को देखने लगता है तभी उसके कंधे पर कोई हाथ रखता है जिससे तक्ष अचानक चौंक जाता है और पीछे पलटकर देखता है......
" भाई आप...." अदिति (तक्ष) ने कहा 
आदित्य : अदि क्या हुआ तू अचानक चौंक क्यूं गई...?
अदिति (तक्ष) : नहीं भाई मैं तो बस हितेन को लेप लगा रही थी....(आगे की बात अपने आप से बड़बड़ाता है)...सारा काम बिगाड़ दिया....आधी याद ही चुरा पाया हूं , इसे भी अभी आना था....
आदित्य अदिति के सामने हाथ घुमाता है...." अदि कहां खो गई...?.."
अदिति (तक्ष) : कहीं नहीं भाई.....ये अब बिल्कुल ठीक है.....
आदित्य हैरानी से पूछता है..." सच .." हितेन के सीने पर हाथ रखकर उसकी दिल की धड़कनों को महसूस करता है उसके बाद अदिति से कहता है..." ये कैसे हो गया..?..इसकी हार्ट बीट को फिर से चलने लगी...."
अदिति ( तक्ष) : हां ये देखो उसके हाथों में मूवमेंट होने लगी है.....
उधर अघोरी बाबा विवेक को कुछ जड़ी बूटी देते हैं जिससे उस पिशाची जहर का असर खत्म हो सके और साथ ही कुछ सुरक्षा कवच तावीज भी उसे देकर कहते हैं ....." ये तुम अपने सबसे करीबी को पहनाना क्योंकि उसका निशाना तुम्हारा ही कोई खास सदस्य होगा..." विवेक अघोरी बाबा की बात पर सहमति जता कर वहां चला जाता है.....
 इधर हितेन को होश आ चुका था .....आदित्य खुशी से तुंरत रूम से बाहर जाकर कहता है..." हितेन अब बिल्कुल ठीक है..."
सब हैरानी से उसकी तरफ देखते हैं..... आदित्य वहीं बात दोबारा दोहराता है...." हितेन बिल्कुल ठीक है और उसे होश भी आ गया है....." 
सुविता  : ये तो चमत्कार हो गया....
शालिनी (हितेन की मां) : नहीं... अदिति ने सब ठीक किया है...(जल्दी से रूम जाती है..)...
अदिति (तक्ष)  : मैंने कहा था न मैं हितेन को ठीक कर दूंगी...
सुविता : वैसे बेटा तूने ये सब किया कैसे....?
आदित्य : हां अदि बता सबको....
अदिति (तक्ष) : भाई ये सब औषधि बनाना तक्ष ने सिखाया है...उसी ने मुझे कुछ चीजों के बारे में बताया जिससे उसकी बताई दवाई आज काम आ गई...
शालिनी : बेटा तूने आज जो किया है , उसका एहसान में नहीं उतार सकती.....
अदिति (तक्ष) : उतार सकती हो ...बस हितेन को विवेक से दूर रहने देना.....
अदिति की बात सुनकर सब हैरान थे........
 
....................to be continued.............….
क्या होगा जब ये बात विवेक को पता चलेंगी...?
जानने के लिए जुड़े रहिए......
आपको कहानी कैसी लगी मुझे रेटिंग के साथ जरुर बताएं......