विवेक की मदद कौन करेगा...?
अब आगे.............
सीनियर डाक्टर बाहर आते हैं जिन्हें देखकर विवेक तुरंत उनके पास जाकर हितेन की हालत की बारे में पूछता है... डाक्टर उदासी से अपना सिर झुकाकर कहता है...." एम सॉरी लेकिन हम उन्हें बचा नहीं पाएंगे....जहर उनकी पूरी बाॅडी में फैल चुका है...अब हम कुछ नहीं कर सकते...."इतना कहकर डाक्टर वहां से चले जाते हैं और हितेन की मां रोने लगती है लेकिन विवेक तुंरत गुस्से में वहां से चला जाता है.....इशान विवेक को रोकता है लेकिन विवेक सब बात को अनसुना करके बस इतना कह जाता है...." मेरे आने से पहले हितेन को कोई कहीं नहीं ले जाएगा, मेरे आने तक ये यही रहना चाहिए...." और विवेक वहां से हाॅस्पिटल के बाहर आकर अपनी कार में बैठकर सीधा चला जाता है...
इधर आदित्य ब्रेकफास्ट के लिए डाइनिंग टेबल पर बैठा था.. बबिता नाश्ता दे रही थी... आदित्य बबिता से पूछता है कि अदि नहीं उठी और तक्ष ....
बबिता : अदिति दी को तो आप ही उठाते हैं इसलिए नहीं आई है.....
आदित्य : अरे हां... काम के चक्कर में मैं तो बिलकुल भूल गया....
आदित्य जैसे ही अदिति को उठाने के लिए जाता है तभी अदिति आती है जोकि तक्ष है.....
आदित्य : लो आज ड्रामा क्वीन बिना मेहनत के ही उठ गई.....
अदिति (तक्ष) : भाई जल्दी उठना चाहिए न....
आदित्य : हां वो तो मैं तुझे कबसे कहता हूं ।तू ही नहीं सुनती...
अदिति(तक्ष ) : हां ठीक है....(अदिति(तक्ष) डायनिंग टेबल पर ब्रेकफास्ट के लिए बैठती है...)
आदित्य अदिति के वर्ताब में बदलाव लगने की वजह से आदित्य उसे देखता हुआ कहता है...." अदि आज कुछ बदली बदली सी लग रही है..."... आदित्य के इस सवाल से तक्ष घबरा जाता है और नार्मल होकर कहता...." मैं तो बिलकुल ठीक हूं। फिर आपको कैसी बदली हुई लग रही हूं..."
आदित्य समझाते हुए उससे कहता है..." अदि मुझे पता है तू विवेक के झगड़े की वजह से ऐसे रियेक्ट कर रही है लेकिन कोई बात नहीं तू चिंता मत सब ठीक हो जाएगा...
अदिति (तक्ष ) अपने आप से कहती हैं...." अब कुछ ठीक नहीं होगा... होगा तो बस मौत का तांडव...(एक तीखी सी मुस्कान उसके चेहरे पर आ जाती है)...
आदित्य: ये तक्ष अभी तक सो रहा है क्या...?
अदिति ( तक्ष) : अरे नहीं भाई वो किसी काम से गया है...
आदित्य हैरानी से पूछता है...." काम से लेकिन कहां और वो भी बिना बताए....?
अदिति ( तक्ष) : नहीं भाई उसने मुझे बताया था....वो अचानक कल रात को ही निकल गया था , उसने कहा है दो तीन दिनों में आ जाएगा.....
आदित्य : अचानक (आदित्य कुछ और पूछता इससे पहले ही उसका फोन रिंग होता है).... हेलो...!
दूसरी तरफ से आवाज़ आती है इशान की जो हितेन के बारे में बताता है.... जिसे सुनकर आदित्य शाक्ड होकर खड़ा होता है....
आदित्य : लेकिन ये सब हुआ कैसे.....?
इशान : विवेक बता रहा था किसी कीड़े ने काटा है....
आदित्य : लेकिन कोई इंसेक्ट इतना जहरीला नहीं हो सकता...
इशान : वहीं समझ नहीं आ रहा है...
आदित्य : मैं आता हूं वहां पर....(आदित्य काॅल कट कर देता है)...
अदिति (तक्ष) : क्या बात है भाई....?
आदित्य सारी बात अदिति को बताता है....
आदित्य : तू चलेंगी....?
अदिति (तक्ष) : हां भाई... मैं बस पांच मिनट में आई...
आदित्य : ठीक है जल्दी जा...
अदिति (तक्ष) अपने रूम में जाती है और दरवाजा बंद कर लेती है....तक्ष वापस अपने रूप में आता है तभी उबांक भी आ जाता है..... उबांक को देखकर तक्ष हैरानी से पूछता है..." तू इतनी जल्दी आ गया..."
उबांक : दानव राज मैं गिद्ध के रूप में गया था और वैसे भी आपकी दी हुई शक्तियों के कारण ही तो मैं जल्दी आ गया हूं... वैसे आप कुछ परेशान लग रहें हैं.....?
तक्ष : नहीं उबांक मैं परेशान नहीं हूं। तूने जिस लड़के को छुआ था, वो अब अपना दम तोड़ने वाला है...
उबांक : ऐसा तो होना ही था न दानव राज ...... सांप के जहर से तो कोई बच भी जाए लेकिन मेरे जहर से कोई नहीं बच सकता...
तक्ष : मुझे पता है। तुझे ये जहर मैंने ही दिया है...... लेकिन मैं सोच रहा था आखिर तुझे छुने से उस विवेक को कुछ क्यूं नहीं हुआ....?..... कहीं उसे हमारे बारे में पता तो नहीं जल गया....तू भी खबर लाया है तो आधी....वो लड़का भी न विवेक के साथ था.....(उबांक से पूछता है)...
उबांक : हां दानव राज वो चारों साथ थे.....
तक्ष : अगर मैं उसका दिमाग पढ़ लूं तो मुझे सबकुछ पता चल जाएगा... लेकिन अब मैं अपने असली रूप में कैसे आऊं....?
उबांक : दानव राज उसकी जरूरत नहीं है आपको आप इस लड़की के भेष में ही उस तक पहुंच सकते हैं नहीं तो वो आपको क्या पता जाने न दे....
तक्ष : तूने बिल्कुल ठीक कहा उबांक ....अब देख उस विवेक को मैं कैसे सबके सामने अपनी होशियार के लिए सबक सिखाता हूं......तू यहीं रह उबांक....और ये वैषिले पत्ते मेरे कमरे में ले जा.....
उबांक : जी दानव राज....
आदित्य अदिति को आवाज लगाता है.... अदिति (तक्ष ) हाथ में कुछ लेप सा लेकर बाहर आती है, उसके हाथ में ये कटोरी देखकर आदित्य कंफ्यूजन में पूछता है....." अदि ये क्या हैं...?..."
अदिति ( तक्ष) : भाई ये लेप तक्ष ने बताया था... उसने बताया था अगर कोई जहरीला इंसेक्ट काट लें तब उसे इस चीज से ठीक कर सकते हैं....
आदित्य को लगा शायद हितेन की बात सुनकर अदिति पागल हो गई है इसलिए उसे समझाते हुए कहता है...." अदि हि इज नो मोर....मर चुका है वो..."
अदिति (तक्ष) जैसे समझने के लिए तैयार नहीं होती..." आप चिंता मत कीजिए वो बिल्कुल ठीक हो जाएगा..."
आदित्य ने अब और कुछ समझाना ठीक नहीं समझा इसलिए चुपचाप गाड़ी में बैठ गया.....उधर विवेक जो काफी दुखी था बार बार हितेन के बारे में सोचकर उसके आंसू निकल रहे थे, उन्हें नजरअंदाज करता हुआ फुल स्पीड में कार ड्राइव कर रहा था....... थोड़ी ही देर बाद विवेक रोज वैली पहुंच जाता है.....
विवेक सीधा वहीं पुराने शिव मंदिर पहुंचता है और मंदिर के गर्भगृह में पहुंचकर शिवजी को प्रणाम करके त्रिशूल से अघोरी बाबा के लिए पूछता है..." अघोरी बाबा कहां है मुझे उनसे बहुत जरूरी काम है...."
त्रिशूल उसे बताता है कि गुरूजी तीन दिनों के लिए साधना में लीन है.....
विवेक हैरानी और दुख भरे शब्दों में कहता है...." मुझे उनसे मिलवा दो... प्लीज़ मैं अपने बेस्ट फ्रेंड को नहीं खोना चाहता..."
त्रिशूल साफ शब्दों में मना करता है..." माफ़ करना लेकिन मैं उनकी साधना भंग नहीं कर सकता... इसलिए यहां से चले जाओ....."
…..............to be continued................
क्या होगा हितेन का ...?
जानने के लिए जुड़े रहिए......
आपको कहानी कैसी लगी मुझे रेटिंग के साथ जरुर बताएं.......