Hur Subah Station par milti thi wo - 5 in Hindi Love Stories by Rishabh Sharma books and stories PDF | हर सुबह स्टेशन पर मिलती थी वो… पर एक दिन कुछ ऐसा कहा कि सब बदल गया - 5

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हर सुबह स्टेशन पर मिलती थी वो… पर एक दिन कुछ ऐसा कहा कि सब बदल गया - 5

"हर सुबह स्टेशन पर मिलती थी वो… पर एक दिन कुछ ऐसा कहा कि सब बदल गया"

 

🎬 Episode 5 — “जो वो कहने आई थी…”

 

📞 "आरव, मुझे तुमसे मिलना है… आज ही… कुछ बहुत ज़रूरी है।"

फोन पर उसकी आवाज़ काँप रही थी,
लेकिन मेरे भीतर एक तूफान सा उठ चुका था।

कौन थी वो नेहा जिसे मैं जानता था…
और कौन है वो, जो मुझसे अब मिलने आ रही है?


शाम 5:45 PM — स्टेशन का वही कोना…

नेहा पहले से खड़ी थी।
आज वो पहले जैसी नज़ाकत में नहीं थी,
बल्कि चेहरे पर कुछ ऐसा था —
डर, पछतावा और एक फैसला।


मैंने पास जाकर पूछा —
"नेहा… तुम ठीक हो?"

उसने मेरी आंखों में देखा।
धीरे से बोली —

"मुझे माफ कर दो, आरव…"

"क्यों? अब और क्या बाकी है बताने को?"


वो कांपते हुए बैठ गई,
और बोली —

"मैं तुमसे हर रोज़ मिलने इसलिए आती थी क्योंकि तुम… मुझे ज़िंदा महसूस कराते थे।"


"पर तुमने सब छुपाया…"

"क्योंकि कुछ सच्चाइयां इतनी डरावनी होती हैं,
कि इंसान खुद को भी उनसे छुपा लेता है।"


वो चुप हो गई।
फिर जेब से एक छोटा सा पेपर कटिंग निकाला।

"ये क्या है?"

"पढ़ो…"


हेडलाइन थी —

"लोकल बिजनेसमैन अरेस्टेड इन ह्यूमन ट्रैफिकिंग केस — पुलिस को मिली पत्नी की शिकायत"

मैंने चौंककर पूछा —
"ये… ये तुम्हारे पति के बारे में है?"

"हाँ… और ये शिकायत मैंने ही की थी।"


"पर तुमने तो कहा कि… तुम…"

"उस वक्त मेरी जान को खतरा था।
वो मुझे मार डालता अगर उसे पता चल जाता कि मैं स्टेशन पर किसी से मिल रही हूँ।
इसलिए मैं गायब हो गई थी।"


"अब वो बाहर है क्या?"

"नहीं… बेल पर है।
और उसने मुझे धमकी दी है कि अगर मैं फिर किसी से मिली… तो… तुम्हें खत्म कर देगा।"


आरव की साँसे तेज़ हो गईं।

"तुम मुझे क्यों बता रही हो ये सब?"

नेहा की आँखों से आँसू बहने लगे —
"क्योंकि मैं नहीं चाहती कि तुम मेरी वजह से खतरे में पड़ो।
तुम मेरी सबसे खूबसूरत गलती थे, आरव…"


"गलती?"

"हाँ… एक अधूरी, लेकिन सच्ची गलती।
जिसे मैं कभी सुधार नहीं पाऊँगी।"


मैं चुप हो गया।

उसकी आँखों में जो सच्चाई थी,
वो किसी कोर्ट, किसी केस से बड़ी लग रही थी।


"अब तुम क्या चाहती हो?"

"कि तुम मुझसे दूर चले जाओ…
और मुझे भूल जाओ।"


मैंने उसकी ओर देखा।

"इतनी आसानी से?"

"नहीं… ये आसान नहीं होगा, लेकिन ज़रूरी है।"


अचानक —
नेहा का फ़ोन फिर बजा।

वो कांप गई।

"वो है…"
उसने फ़ोन नहीं उठाया,
बस बैग उठाया और जाने लगी।


"नेहा… आखिरी बात पूछूं?"

"हाँ?"

"क्या तुम मुझसे कभी प्यार करती थीं?"

वो रुकी।

पलटी… और धीरे से बोली —

"हर उस सुबह से… जब तुम बिना कुछ कहे मेरी चाय ले आते थे।"

💔 और वो चली गई।


आरव अकेला खड़ा था।

स्टेशन की भीड़ थी, पर उसके दिल में सन्नाटा।


लेकिन तभी —
आरव के मोबाइल पर एक और मैसेज आया।

"वो सिर्फ एक मोहरा थी। असली कहानी अब शुरू होगी…"

🧠 क्या नेहा की कहानी का अंत हो चुका है…
या कोई और परत अभी बाकी है?
कौन है वो, जो पर्दे के पीछे से सब देख रहा है?

 

📢 अगर आपको ये सीरीज़ पसंद आ रही है, तो एक बार ज़रूर बताइए।
आपका प्यार और फीडबैक ही तय करेगा कि ये कहानी और कितनी परतें खोलेगी…
❤️ कमेंट में लिखें(Quora) — “अगला पार्ट चाहिए” — तभी मैं इसे और आगे लेकर जाऊँगा!