“मम्मी, आपके फ़ोन का पासवर्ड क्या है?”
मैंने ये सवाल कई बार पूछा था।
हर बार उनका जवाब होता — “जब ज़रूरत होगी, मिल जाएगा।”
शायद मम्मी को टेक्नोलॉजी समझने में परेशानी होती थी, या फिर वह कुछ बातें मेरे सामने छुपाना चाहती थीं। बचपन में तो मैं इसे मामूली बात समझता था, लेकिन अब समझता हूं कि उस सवाल के पीछे उनकी एक बड़ी वजह थी — मुझे किसी दर्द से बचाना।
मम्मी अब इस दुनिया में नहीं थीं।
अचानक, बिना किसी चेतावनी के, एक दिन सुबह अस्पताल के डॉक्टर ने बताया,
“हार्ट अटैक था, हम कुछ नहीं कर पाए।”
हमारे पूरे घर में जैसे कोई सन्नाटा छा गया था।
दुनिया अचानक कुछ अधूरी-सी लग रही थी।
घर लौटा तो सब कुछ वैसा ही था जैसे मम्मी अभी अभी गई हों।
रसोई के बर्तन, उनके लिए रखा गिलास, उनके पुराने कपड़े — सब कुछ मुझे देख रहा था, मानो मुझसे कुछ कहना चाहता हो।
मैंने कांपते हाथों से मम्मी का फोन उठाया।
स्क्रीन पर वही पुराना चार अंकों वाला पासवर्ड लॉक चमक रहा था।
मुझे याद था कि मम्मी ने कभी पासवर्ड नहीं बताया था।
पर आज दिल में एक आवाज़ आई —
“खोलो, ये कुछ खास है।”
फोन में छुपा था मम्मी का पूरा जीवन।
हर दिन, हर पल का एक हिस्सा।
फोन खोलते ही मेरी आँखें उस फ़ोल्डर पर अटक गईं —
“मेरे ऋषु के लिए 💙”
यह फ़ोल्डर सिर्फ तस्वीरों का नहीं था, बल्कि वीडियोस का भी था।
18 वीडियो, हर महीने की एक-एक, पिछले डेढ़ सालों से।
पहला वीडियो मैंने खोला —
मम्मी की आवाज़ थी, थोड़ी कांपती हुई, पर प्यार से भरी।
“बेटा, आज मैंने तुझे कॉलेज जाते देखा। पहली बार गाड़ी खुद चला रहा था। मैंने दूर से फोटो खींची है, देखना ज़रूर। तेरी माँ हमेशा तेरे साथ है, हमेशा। Proud of you, champion!”
मेरी आँखों में नमी आ गई।
मम्मी की वो मासूमियत और प्यार... जो उन्होंने कभी ज़ुबानी तौर पर नहीं बताया।
जैसे-जैसे वीडियो चले, पता चला कि मम्मी बीमार थीं।
हर महीने की वीडियो में उनका दर्द छुपा था, पर उन्होंने कभी मुझे चिंता नहीं करने दी।
“आज तू घर देर से आया... तेरे आँखों में आँसू थे। शायद प्रिया से झगड़ा हुआ। बेटा, कोई भी लड़की तेरी मुस्कान से बड़ी नहीं हो सकती। तेरे आँसू मैंने नहीं देखे, महसूस किए हैं।”
मम्मी का ये प्यार, उनकी फिक्र — मेरे दिल को छू गई।
हर वीडियो के साथ मेरी समझ बढ़ती गई — मम्मी ने अपनी बीमारी छुपा कर मेरी खुशी को प्राथमिकता दी थी।
उन्होंने अपने दर्द को मेरी हंसी के पीछे छुपा रखा था।
अंतिम वीडियो में मम्मी ने कुछ ऐसा कहा, जिसने मेरी रूह को हिला दिया:
“अगर तू ये वीडियो देख रहा है, तो शायद मैं इस दुनिया में नहीं हूँ। पर मैं कभी पूरी तरह से गई नहीं... मैं तेरे हर फैसले में, तेरे हर डर में, तेरे हर हंसी के पीछे खड़ी हूँ। जब भी लगे, कुछ कहना है — ये फोन खोल लेना… मैं यहीं हूँ, हमेशा।”
मैंने फोन को दिल से लगा लिया।
समझ गया कि ये पासवर्ड सिर्फ मोबाइल खोलने के लिए नहीं था, बल्कि मम्मी का दिल मेरे लिए खोलने का तरीका था।
दिनों बाद, जब मैं मम्मी के पुराने सामान में खोज रहा था, तो मुझे एक पुरानी डायरी मिली।
डायरी के हर पन्ने पर मम्मी की लिखी कुछ बातें थीं — जो उन्होंने शायद कभी मुझे बताई नहीं।
डायरी में एक पन्ना ऐसा था, जिस पर लिखा था:
"मेरे ऋषु के लिए — तेरा दर्द देखना मेरी सबसे बड़ी परीक्षा है। मैं चाहती हूँ कि तू खुश रहे, चाहे मेरी वजह से तुझे कितना भी दर्द क्यों न हो। मैं तेरे लिए जियूँगी, तेरे लिए मरूँगी, और तेरे साथ हर मोड़ पर खड़ी रहूँगी। ये चिट्ठियाँ तेरे लिए हैं, जब मैं न रहूँ। पढ़ लेना, ताकि मेरा प्यार तेरे साथ बना रहे।"
मम्मी के इस प्यार ने मुझे गहराई से झकझोर दिया।
मैंने महसूस किया कि मम्मी मेरे लिए जितनी बड़ी लड़ाई लड़ रही थीं, मैं उससे अनजान था।
उस दिन मैंने ठाना कि मैं मम्मी की याद में अपनी ज़िंदगी बदलूँगा।
उनकी लड़ाई को बर्बाद नहीं होने दूंगा।
मैं उनके सपनों को पूरा करूँगा।
यह कहानी सिर्फ एक बेटे और माँ की नहीं, बल्कि हर उस रिश्ते की कहानी है, जिसमें प्यार छुपा होता है, लेकिन ज़ुबां तक नहीं आता।
माँ के पासवर्ड ने मुझे सिखाया कि
कभी-कभी, जो कुछ छुपा होता है, वो ज़्यादा गहरा प्यार होता है।
और ज़िंदगी की सबसे बड़ी ताकत —
माँ का दिल होता है, जो हमेशा हमारे लिए धड़कता रहता है।
अगर तुमने ये कहानी पढ़ी, तो शायद तुम्हारे दिल में भी अपनी माँ के लिए एक नया एहसास जागा होगा।
क्योंकि हर माँ की एक कहानी होती है, जिसे सुनना हमारे लिए सबसे बड़ी खुशी होती है।