Pyaar ki Jeet - 3 in Hindi Fiction Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | प्यार की जीत - 3

Featured Books
  • THE ULTIMATE SYSTEM - 6

    शिवा के जीवन में अब सब कुछ बदल रहा था एक समय पर जो छात्र उसक...

  • Vampire Pyar Ki Dahshat - Part 4

    गांव का बूढ़ा गयाप्रसाद दीवान के जंगल में अग्निवेश को उसके अ...

  • स्त्री क्या है?

    . *स्त्री क्या है?*जब भगवान स्त्री की रचना कर रहे थे, तब उन्...

  • Eclipsed Love - 13

    मुंबई शहर मुंबई की पहली रात शाम का धुंधलापन मुंबई के आसमान प...

  • चंद्रवंशी - अध्याय 9

    पूरी चंद्रवंशी कहानी पढ़ने के बाद विनय की आँखों में भी आँसू...

Categories
Share

प्यार की जीत - 3

"क्या मुम्बई में तुम्हारा कोई परिचित हैं"?अरुण ने उससे पूछा था"

"नही, कोई नही,"अरुणा बोली"और तुम्हारा?"

"मैं तो मुम्बई ही पहली बार जा रहा हूँ।"अरुण ने जवाब दिया था।

"तो फिर रहोगे कहा?"अरुणा ने प्रश्न किया था।

"जाहिर सी बात है, किराये के लिय मकान देखना होगा।"अरुण ने बताया था।

"तो क्या मेरे लिए भी तलाश कर दोगे।"अरुणा ने उससे अनुरोध किया था।

अरुणा की बात सुनकर उसने कुछ देर के लिए सोचा फिर धीरे से बोला था,"अगर तुन्हे एतराज न हो तो हम एक फ्लैट लेकर लिव इन मे रह सकते हैं

कुछ क्षण तक सोचने के बाद अरुणा बोली,"मेरी एक शर्त है।"."

"बोलो"अरुण बोला

"तुम्हे मेरी निजता और गरिमा का सम्मान करना होगा।"

"ऐसा कोई काम नही करूंगा जो तुम्हारे सम्मान को ठेस लगे।"

और खाना आ गया था।वे खाना खाने लगें थे।खाने के बाद वे अपनी सीट पर लेट गए।वे लेटे लेटे कुछ देर तक बाते करते रहे औ र फिर वे सो गए थे।अगले दिन वे मुम्बई पहुंचे थे।अरुण बोला था,"अभी तो हमे किसी होटल मे चलना होगा।"

"क्यो?" अरुणा ने पूछा था।

"आज तो सबसे पहले हमें तैयार होकर अपने ऑफिस ड्यूटी जॉइन करने के लिये जाना होगा।"

"तुम ठीक कह रहे हो।वह बोली थी।

और दोनों स्टेशन से बाहर आये और पास में ही एक होटल में डबल बेड रूम ले लिया था।और वे तैयार होने लगे थे।अरुण और अरुणा क़े ऑफिस अलग अलग थे लेकिन उन दोनों को एक ही जगह  चर्च गेट जाना था।और वे होटल से निकले और  वे चले गए थे।अरुणा और अरुण दोनों को ही ऑफिस में फॉरमैलिटी में पूरा दिन लग गया था शाम को जब वे होटल पहुंचे तो अरुण बोला,"तैयार हो लो फिर चलेंगे।"

"कहाँ?"अरुणा ने पूछा था।

"आस पास घूम लेगे और किसी होटल मे खाना भी खा लेगे और वे दोनों निकल गए।रात को वे देर से लौटे थे।औऱ सुबह  ऑफिस के लिये निकल गए।निकलते समय अरुण बोला था,"आज।मै मकान के बारे में पता करूंगा

और अरुण ने एक दलाल का पता किया।दलाल ने उसे एक सोसायटी मे फ्लेट बताया था।ऑफिस के बाद वह दलाल क़े साथ गया उसे फ्लेट पसन्द आ गया जब वह रात को होटल लौटा तब उससे बोला,"मैं आज एक फ्लैट तय कर आया हूँ।कल शनिवार है, ऑफिस कि छुट्टी कल चलेंगे और वे सुबह ही जल्दी निकल गए।अरुण बोला,"देख लो।पसन्द है या नही।"

अरुणा ने पूरा फ्लेट देखने के बाद कहा,"अच्छा है।"

और उन्होंने अगले दो दिन जरूरी सामान  खरीदने में लगाय थे।

मुम्बई में सबसे बड़ी समस्या रहने की है और अरुण को ज्यादा भाग दौड़ नही करनी पड़ी।पहला देखा और वह पसन्द आ गया था.।

और वे दोनों सुबह घर से एक साथ निकलते।स्टेशन तक पैदल आते और फिर  ट्रेन पकडते लेकिन शाम को वे अंतराल से वापस लौटते।कभी अरुण पहले आ जाता तो कभी अरुण6

वे सब काम मिलकर करते घर के हर काम मे अरुण,अरुणा के साथ बराबर से  हर काम करवाता।छुट्टी का दिन वे घर से बाहर बिताते।साथ घूमते,पिक्चर देखते और खरीददारी करते।

अरुण और अरुणा की दोस्ती भी हो गई थी।जब अरुण को कोई दोस्त अपने घर बुलाता तो वह अपने साथ अरुणा को भी ले जाता और अरुणा भी ऐसा ही करती थी,वह भी अरुण को ले जाती