Pyaar ki Jeet - 2 in Hindi Fiction Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | प्यार की जीत - 2

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प्यार की जीत - 2

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सुबह चाय की आवाज सुनकर उसकी नींद टूटी थी।उसने मोबाइल में समय देखा।छ बजे थे ट्रेन माधोपुर पर खड़ी थी।उसने वेटर को आवाज दी,"चाय

वह चाय की ट्रे रख गया था।अरुण वाशरूम गया।फ्रेश होकर अपनी सीट पर आ बैठा।वह कप में चाय डाल ही रहा था कि फोन की घण्टी बजी।उसने फोन उठाया  अरुणा का था

"क्या कर रहे हो।"फोन को कान से लगाते ही अरुणा की मधुर आवाज सुनाई पड़ी थी।

"चाय पी रहा हूँ,"अरुण बोला,"तुंमने पी।"

"बनाउंगी तब पिऊंगी,"अरुणा बोली,"और दिन तो सुबह की पहली चाय तुम बनाते थे।अब तो मुझे खुद बनानी होगी।"

"यह तो है।"अरुण बोला,"बना लो।"

""घर कब पहुंचोगे?"अरुणा ने प्रश्न किया था।

"दस बजे तक।"अरुण चाय पीते हुए बोला था

"बताना माँ ने अचानक क्यो बुलाया है

और अरुण चाय पीते हुए बाहर का नजारा देखने लगा।चाय पीकर वह फिर लेट गया था।और उसे फिर नींद आ गयी और मथुरा आने से पहले उसकी आंख खुल गयी थी।और मथुरा आने पर वह स्टेशन से बाहर आया।उसने ओला बुक की और घर पहुंच गया था।घर  पहुचकर माँ से बोला,"तू ठीक तो है।""हॉ।मुझे क्या हुआ है।"

"कुछ नही हुआ तो मुझे अचानक  क्यो बुलवाया है।"

"क्या माँ बेटे को बुला नहीं सकती

"बुला सकती है,"अरुण बोला,"लेकिन मेरी माँ बिना बात बुलाने वाली नही है।

"अब तू सफर करके आया है।अब तू नहा धो खाना खा ले फिर आराम से बात करेंगे

और अरुण को मा की बात माननी पड़ी थी।अरुण क़े आने का पता चला तो उससे मिलने कई लोग आ गए थे।दोपहर में लीला ने एक फोटो दी थी।वह एक लडक़ी की फोटो थी।लीला बोली कैसी है।"

"अचछी है।सुंदर है,"अरुण फोटो देखकर बोला,"किसकी है।"

"मेरी मिलने वाली है सुनीता।उसकी बेटी नीरू है।"लीला ने बेटे को नीरू के बारे में बताया था।

"लेकिन माँ तू मुझेयह सब क्यो बता रही है।"अरुण ने अपनी माँ से पूछा था।

"बेटा हर मां चाहती है उसका बेटा एक दिन दूल्हा बने।मैं भी त चाहती हूँ मेरे बेटे की शादी हो।मैने तेरे लिये नीरू को पसन्द किया है।"लीला ने बताया था माँ की बात सुनकर बोला

"लेकिन अरुणा

"यह अरुणा कौन है?"बेटे की बात सुनकर लीला ने प्रश्न किया था।

"अरुणा

एक युवती खिड़की क़े पास बैठी,पटरियों पर दौड़ती ट्रेन से पीछे छूटते पेड़,जंगल, नदी नाले और पीछे छूटते स्टेशनो पर आती जाती यात्रियो की भीड़ को देख रही थी।अचानक उसकी नजरे सामने गयी तो वह चोंक गयी थी।कुछ देर पहले जो सीट खाली थी।उस पर न जाने कब एक युवक आकर बैठ गया था।जैसे ही उस युवक की नजरें सामने बैठी युवती से मिली वह बोला,"मैं अरुण--

"मैं अरुणा--उस युवक का परिचय जानकर अरुणा ने भी अपने बारे में उसे बताया था।

अरुणा आज की उभरती नारी शक्ति का प्रतीक थी।वह एक1 महत्वाकांक्षी युवती थी और लॉ ग्रेजुट थी।उसे मुम्बई की एक नामी कम्पनी मे लॉ असिस्टेंट क़े रूप।मे काम करने का अवसर मिल रहा था।

अरुण एक होनहार युवक था।उसने सॉफ्ट वेयर में एम सी के6किया था औऱ उसे एक बहुराष्ट्रीय कंपनी मे सॉफ्ट वेयर इंजीनियर के पद पर कार्य करने का अवसर मिल रहा था।अरुण बोला,"तुम कहाँ से हो?""

"दिल्ली से"अरुणा बोली,"और तुम?"

"व्रन्दावन।"अरुण ने बताया था।और उनमें बातचीत होने लगी।तभी वेटर शूप ले आया था।और दोनों शूप लेकर पीने लगे ट्रेन अपनी रफ्तार में थी