Ghalti se Ishq Hua - 3 in Hindi Love Stories by Tabish Sultan books and stories PDF | ग़लती से इश्क़ हुआ - 3

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ग़लती से इश्क़ हुआ - 3

        

एक शैतान जिसका नाम था इद्रिल जो जहन्नम के किसी कोने में रहता था

जिसे ऐनी नाम की हूर से प्यार करता था ,वो जहन्नम के कोने में बैठ के

दूर से ऐनी को ही देखता था | वो ऐनी को देख देख के मुस्कुराता रहता, शायद जब से ऐनी को खुदा ने बनाया था वो तबसे उस से प्यार करता आया था । वो ऐनी की खूबसूरत आँखों का दीवाना था,उसके सफ़ेद सफ़ेद लिबास उसे वाबस्ता अपनी तरफ खिंचते थे | उसके मखमली पंखों को छु के इद्रिल देखना चाहता था ,वो मन ही मन सोचता था कि काश वो भी

कोई फरिश्ता होता ।काश उसे भी खुदा ने फरिश्ता बना के जन्नत में भेजा होता लेकिन जब वो खुद को देखता अपने हाथ को देखता ,हाथ के नुकीले नाखून और दांतों को देखता ,सिर पे लगी सींगो को देखता।ये सब देख के वो सिहर जाता ।उसे लगता था कि वो ऐनी को कभी नहीं पा पायेगा क्योंकि वो बुरा है और वो कभी अच्छा नहीँ बन पाएगा ,उसे शिकायत है ख़ुदा से की उसे ऐसा क्यों बनाया ? 

ऐनी और उसके बीच बस अच्छाई और बुराई का ही फासला ,काश वो इन फासले को मिटा के 

ऐनी के पास आ पाए और उसे अपनी दिल की बात बता पाये ,वो सोचता रहता कि काश ऐसा

हो जाये कि वो किसी तरह फरिश्ते की टोली में आ जाये ,काश ऐसा कुछ कर दे की वो भी एक फरिश्ता बन जाए ,उसे भी वो मखमली पंख और सफ़ेद लिबास मिल जाये |

एक दिन फरिश्तो की टोली दूसरे आसमान पे गश्त करने जा रही थी ,इद्रिल ने देखा की मौका

अच्छा है ,आज वो फरिश्ता जैसा बन सकता है ।उसने उन फरिश्तो की टोली में से एक फरिश्तो 

को मार डाला और मारकर उसके पंख और लिबास को चुरा लिया। इद्रिल खुश था कि आज वो अपने बरसों की

तमन्ना को पूरा करेगा। आज वो ऐनी से मिल लेगा, शायद आज का दिन उसके लिए सबसे ज़्यादा ख़ुशी का दिन था।आखिर वो ऐनी को पास से देखेगा।उसे करीब से महसूस करेगा । आज वो देखेगा की फरिश्ता होना कैसा होता है।

सालों से वो इसकी तमन्ना करता आ रहा था, आखिर आज वो पूरी हुई ।होना ना हो ज़रूर उसने कभी कुछ अच्छा काम किया होगा,जिसकी वजह से उसे ये मौका मिला |

सभी फ़रिश्ते गश्त से वापस जा रहे थे ,इद्रिल भी उनकी टोली में मिल गया और साथ जाने लगा ।

जन्नत का दरवाज़ा खुलने ही वाला था ,इद्रिल रुक गया और ये सोचने लगा कहीं ऐसा न हो ऐनी को पता चल जाये मेरे बारे में ,कहीं वो मुझसे नफ़रत न करने लगे ।इद्रिल के कदम रुक गए और सोचने लगा, आखिर वो है तो शैतान ही और अपनी ख्वाहिश को पूरा करने के लिए उसने काम भी शैतान वाले ही किए। आज उसने एक फ़रिश्ते को मार दिया। पल भर की उसकी खुशी अब ग़म में बदल गयी,अब वो ऐनी का सामना नहीं कर पायेगा |

वो शैतान था और शैतान ही रहेगा ये सोच के वो जन्नत के दरवाज़े से वापस लौट आया ,वापस आके जहन्नम

में जाकर उसी कौने में बैठ गया ।शायद इद्रील कयामत तक ऐसे ही बैठा रहेगा,कयामत तक वो ऐनी को यूंही देखता रहेगा। वो जान गया था कि ख़ुदा ने उसे ऐसा क्यूँ बनाया ,शायद उसके ख्वाहिशात की वजह से आज वो शैतान है।

कहानी खत्म हुई और मैंने देखा अधुनामुझे ही देख रही और उसका इस तरह से देखना मुझे uncomfortable कर देता है | ऐसा लगता है कि मानो वो कुछ छुपा रही थी और अब बस बोलने ही वाली है |

“nice ,अच्छी है बहुत ,कहीं इद्रिल तुम्हीं तो नहीँ ??",.

अधुनाने हमेशा की तरह अपने चुटकीले अंदाज़ से मेरी खिंचाई करते हुए कहा

“विराज ,वाकई में कहानी बहुत अच्छी है !”

ये बात अधुनाने बड़े ही गंभीर स्वाभाव में कही ,मुझे भी सुन के अच्छा लगा चलो अधुनाने कुछ तो तारीफ की मेरी वर्ना ..!

इसी बीच अधुना का घर भी आ जाता है और अधुना कार से उतरकर घर के गेट के तरफ बढ़ती है कि उसे किसी का फ़ोन आ जाता है और फ़ोन पर बात करते करते वो अंदर चली जाती है।उसे मौका ही नहीँ मिलता कि वो मुझे Bye कह सके और सच में उस वक़्त मैं खुद को इद्रिल समझ रहा था और अधुना ऐनी की तरह थी और इत्तेफ़ाक़ से उसने सफेद सूट भी पहना हुआ था।

मेरा मन हो रहा था कि मैं उसके देखता जाऊँ और सिर्फ सदियों तक देखता ही जाऊँ।अधुना ठीक उसी तरह लग रही थी जैसे आज से 12 साल पहले लगती थी। उसके चेहरे की रंगत तो आज भी उसी तरह बरक़रार है। गोरा रंग, काली आँखे, लंबी सी नाक और गाल जैसे किसी खरगोश के! 

हालाँकि अब उसके पलकों के ऊपर हल्की चोट का निशान था, जो उसे भी exactly याद नहीँ था कि वो निशान कैसे आ गया लेकिन फिर भी वो निशान उसकी ख़ूबसूरती के साथ नाइंसाफी नहीँ करते थे।

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