शिमला की बर्फ़ीली हवाएँ और उसकी शांत गलियाँ हमेशा एक अनोखी आभा से घिरी रहती हैं, लेकिन आज ये शहर मेहर के लिए एक भूतिया अहसास दे रहा था। मेहर खोसला, एक जर्नलिस्ट, अपने माता-पिता की संदिग्ध मौत की सच्चाई जानने के लिए यहां आई थी। वर्षों से यह मामला ठंडे बस्ते में था, और सभी ने इसे एक साधारण दुर्घटना मान लिया था। लेकिन मेहर को हमेशा से लगता था कि कुछ छिपाया गया है।
वह शिमला की सबसे पुरानी हवेली में ठहरी हुई थी, जहां उसके माता-पिता की मौत हुई थी। हवेली, जो अब खंडहर सी हो चुकी थी, अंदर से वीरान और डरावनी लग रही थी। पुरानी दीवारें, धुंधले फोटोग्राफ्स, और सड़ी-गली किताबें हर कोने में बिखरी पड़ी थीं। हवेली का हर कोना जैसे कोई गहरी कहानी सुनाने की कोशिश कर रहा हो।
"यह वही जगह है जहां सब कुछ खत्म हुआ था," मेहर ने मन ही मन सोचा। उसकी आँखों में दर्द और रहस्य की गहरी लहर थी। उसने अपने पिता की डायरी को फिर से खंगालना शुरू किया था, लेकिन वह बहुत कुछ समझ नहीं पा रही थी। फिर अचानक, उसकी नज़र एक पुरानी दरवाजे पर पड़ी, जो अभी तक बंद था। उस दरवाजे के पीछे एक सीढ़ी थी, जो नीचे की ओर जाती थी। उसका दिल ज़ोर से धड़कने लगा, क्या वह सही रास्ते पर है?
वह डरते-डरते दरवाजा खोलने के लिए बढ़ी। जैसे ही उसने दरवाजा खोला, अंधेरे में कुछ चूड़ियाँ बिखरी हुई थीं, और वहीं पास में कुछ पुरानी डायरी पड़ी हुई थी। एक डायरी पर लिखा था - "आरव"।
मेहर ने डायरी उठाई और पन्ने पलटने शुरू किए। पहले पन्ने पर कुछ अस्पष्ट नाम और तारीखें थीं, लेकिन जैसे-जैसे वह आगे बढ़ी, वह देखती है कि यह डायरी उसके माता-पिता के बारे में नहीं, बल्कि एक आदमी - "आरव" के बारे में है। आरव सरीन। नाम सुनते ही मेहर के मन में हलचल मच गई। यही वह नाम था जिसे उसने पिछले कुछ सालों में सुना था, एक ऐसा नाम जो उसके माता-पिता के मामले से जुड़ा हुआ था।
मेहर ने डायरी को बंद किया और सोचा, "क्या आरव सरीन ही वह व्यक्ति था जो मेरे माता-पिता के मामले से जुड़ा था?"
वह अभी इस नए राज़ को सुलझाने की शुरुआत ही कर रही थी, और हवेली में घुलती अंधकार और सर्द हवाओं में एक नया डर भी महसूस हो रहा था।
शिमला में एक दिन अचानक एक अनजान शख्स ने मेहर से संपर्क किया। उसने खुद को "आरव सरीन" बताया और कहा, "मैं जानता हूँ कि तुम क्यों आई हो, और तुम्हें क्या जानना है।" मेहर को विश्वास नहीं हुआ। वह आदमी वही था, जिसे उसने डायरी में पढ़ा था, और अब यह आदमी सामने खड़ा था।
आरव सरीन, एक जाने-माने क्रिमिनल लॉयर, हमेशा अपनी जिंदगी से जुड़े राज़ों को छुपाता आया था। उसकी आँखों में एक अजीब सी गंभीरता थी, जो किसी को भी असहज कर सकती थी। वह शांत और ठंडे व्यवहार के साथ मेहर के पास आया था, लेकिन उसके चेहरे पर कोई दया नहीं थी।
"तुम चाहते हो कि मैं तुम्हारे माता-पिता की हत्या के बारे में बात करूं?" आरव ने पूछा।
"क्या तुम जानते हो कि क्या हुआ था?" मेहर ने तीव्रता से पूछा।
आरव कुछ देर चुप रहा और फिर बोला, "तुम्हारी मां और पिता की मौत एक दुर्घटना नहीं थी, लेकिन यह समझना कि हुआ क्या था, तुम्हारे लिए आसान नहीं होगा।"
मेहर के दिल में गहरी बेचैनी महसूस हुई। वह आरव के चेहरे को ध्यान से देख रही थी, उसकी आँखों में एक रहस्य था जो उसे और अधिक खींच रहा था। लेकिन आरव ने और कुछ नहीं बताया, बस इतना ही कहा, "तुम जो जानना चाहती हो, वह मैं तुम्हें नहीं बता सकता, कम से कम अब नहीं।"
वह पलट कर जाने लगा, और मेहर को अपनी दिल की धड़कन सुनाई देने लगी। क्या यह वही मौका था जिसे वह ढूंढ रही थी? क्या यह आदमी सच में उसकी मदद करेगा या वह उसे और उलझा देगा?
हवेली की पुरानी दीवारों और धुंधले कोनों के बीच, मेहर को महसूस होने लगा कि वह किसी ऐसे रहस्य के करीब पहुँच रही है, जिसे सुलझाना उसकी ज़िंदगी का सबसे बड़ा चैलेंज होगा। हवेली की एक और सदस्य थी, अंजलि राय, जो यहाँ की केयरटेकर थी। अंजलि, जो हमेशा अपने आप में खोई रहती, कभी भी मेहर से सीधे तौर पर बात नहीं करती थी। लेकिन जब भी दोनों की मुलाकात होती, अंजलि का व्यवहार कुछ अजीब सा लगता।
एक शाम, जब हवेली में सभी सो चुके थे, मेहर ने अंजलि को पास के एक कमरे में देखा। वह दीवार से लगी खड़ी थी और कुछ पुराने दस्तावेज़ों को उलट-पलट रही थी। मेहर चुपके से उसके पास गई। "क्या तुम कुछ ढूंढ रही हो?" मेहर ने धीरे से पूछा।
अंजलि एक पल के लिए चौंकी, फिर उसने अपनी निगाहें चुराते हुए कहा, "कुछ नहीं, बस पुराने कागज़ थे, जो मैं整理 कर रही थी।"
लेकिन मेहर को अंजलि की बातों पर विश्वास नहीं हुआ। वह जानती थी कि अंजलि कुछ छुपा रही है। उसने धीरे-धीरे अंजलि के पास जाकर उसके हाथों में दबे दस्तावेज़ों को देखा, तो उसकी नज़र एक पुरानी तस्वीर पर पड़ी। तस्वीर में एक युवक और एक महिला खड़े थे। महिला की पहचान मेहर को तुरंत हो गई—यह उसकी माँ थी, लेकिन युवक को उसने कभी नहीं देखा था। उसका चेहरा धुंधला था, लेकिन तस्वीर के किनारे पर लिखा था "आरव"।
"यह क्या है?" मेहर ने कागज़ों को पलटते हुए पूछा।
अंजलि ने घबराकर तस्वीर को जल्दी से छुपा लिया। "तुम्हें यह सब नहीं देखना चाहिए," उसने कहा, उसकी आवाज़ में एक अनजानी घबराहट थी। "यह पुरानी बातें हैं, जो अब किसी काम की नहीं हैं।"
मेहर ने अपनी जिद छोड़ने का नाम नहीं लिया। "तुम क्यों मुझे झूठ बोल रही हो? यह तस्वीर तुम्हारे पास कैसे आई?"
अंजलि ने गहरी सांस ली और फिर बोलते हुए कहा, "यह तस्वीर मेरे पास नहीं आई। यह तस्वीर मेरी और आरव की थी, जब हम दोनों एक साथ थे।"
मेहर को समझ में नहीं आया कि यह क्या कह रही थी। "तुम कह रही हो कि तुम आरव को जानती हो?"
अंजलि का चेहरा अचानक से उतरा। "तुम्हें नहीं पता, तुम समझ नहीं पाओगी," उसने कहा, और फिर कमरे से बाहर निकल गई।
मेहर को अब यकीन हो गया कि अंजलि कुछ जानती थी। लेकिन उसके मन में सवाल उठने लगे – क्या अंजलि ने सच में आरव को अपने पास रखा था? क्या आरव और अंजलि के बीच कुछ था जो मेहर के माता-पिता की मौत से जुड़ा था? यह सब उसे अब और उलझा रहा था।
मेहर अब और नहीं रुक सकती थी। अंजलि के द्वारा दिए गए सुरागों ने उसकी जिज्ञासा और बढ़ा दी थी। वह आरव से फिर मिली, और इस बार वह सच्चाई जानने के लिए कुछ ज्यादा ही तैयार थी।
"मैंने अंजलि से बात की," मेहर ने आरव से कहा। "वो कह रही है कि तुम दोनों कभी एक साथ थे। तुम क्या छिपा रहे हो?"
आरव ने उसका सामना किया, लेकिन इस बार उसकी आँखों में कोई भावनाएँ नहीं थीं। "तुम जो भी सोच रही हो, वह सब सच नहीं है," उसने कहा। "लेकिन मुझे अब तुम्हारे सवालों का जवाब देना होगा।"
आरव ने मेहर को बताया कि अंजलि और वह कभी एक-दूसरे के करीब नहीं थे, बल्कि वह दोनों एक बड़े मामले के हिस्से थे। आरव का कहना था कि उसके माता-पिता की मौत में उनका हाथ नहीं था, लेकिन उस समय कुछ खतरनाक लोग उनके रास्ते में आ गए थे। वे लोग चाहते थे कि आरव और उसके साथियों को सबक सिखाया जाए, और इसी लड़ाई में मेहर के माता-पिता की मौत हो गई थी।
"हमने एक जाँच शुरू की थी," आरव ने बताया, "लेकिन कुछ गलत हो गया। और फिर जो हुआ, वह सब तुम्हारे माता-पिता की मौत की वजह बना।"
मेहर के दिल में घबराहट और दर्द का एक अजीब मिश्रण था। क्या आरव सच में इतना बेबस था, या वह भी उस रहस्य में फंसा हुआ था, जिसको सुलझाना अब उसकी ताकत से बाहर था?
सीबीआई ऑफिसर इशान खन्ना ने इस केस को अपने हाथ में लिया था। इशान, जो पहले आरव का करीबी दोस्त था, अब मेहर का सहयोगी बन गया था। उसने मेहर को बताया कि आरव और वह दोनों एक ही मामले में शामिल थे, लेकिन इशान के पास भी कुछ रहस्य थे जो उसे खुद तक सीमित रखना था।
"तुम दोनों अब उस रास्ते पर चल पड़े हो, जिससे वापस लौटना मुश्किल है," इशान ने मेहर से कहा। "लेकिन अगर तुम दोनों सच जानना चाहते हो, तो तुम्हें वो रास्ता अपनाना होगा, जो अब तक कोई नहीं जानता।"
इशान का कहना था कि आरव और उसका बचपन का रिश्ता काफी गहरा था, और उनकी जाँच में एक जटिल मोड़ था। इशान ने मेहर को और अधिक जानकारी दी, लेकिन यह जानकर वह दंग रह गई कि वह भी इस कहानी का हिस्सा था।
**चैप्टर 6: अंजलि का राज़**
हवेली के अंधेरे कमरे और उसकी चुप्पी में घुली रहस्य की हवा ने मेहर को और भी उलझा दिया था। अंजलि से मिली जानकारी के बाद, मेहर अब यह समझने लगी थी कि हवेली में कुछ गंभीर छुपा हुआ है। हर कोने में एक नया राज़ था, और अंजलि जैसे ही उसे कुछ बताने की कोशिश करती, वह और भी उलझ जाती। लेकिन अब मेहर ने ठान लिया था कि वह इस सच्चाई तक पहुंचेगी, चाहे इसके लिए उसे किसी भी कीमत पर जाना पड़े।
एक रात, जब हवेली के सभी लोग सो चुके थे, मेहर ने अंजलि से फिर से मिलकर कुछ और सवाल पूछने का मन बनाया। वह अंजलि के कमरे में दाखिल हुई, जो उस समय अकेली थी। अंजलि ने जैसे ही मेहर को देखा, उसका चेहरा तुरंत बदल गया, और वह घबराकर अपने कदम पीछे खींचने लगी।
"तुम फिर यहाँ?" अंजलि की आवाज़ में तनाव था।
"मुझे तुम्हारे बारे में और जानना है," मेहर ने सीधे कहा। "तुम और आरव एक साथ थे, है न?"
अंजलि का चेहरा बुझ गया। उसने दीवार के पास रखी एक पुरानी घड़ी की ओर देखा, जैसे उसे समय का अंदाजा हो। "तुम जो चाहती हो, वो कभी नहीं जान पाओगी," उसने धीरे से कहा, "तुम्हारी मां और मेरे बीच जो कुछ भी था, वह बेहद पेचीदा था।"
"क्या तुम आरव से प्यार करती थीं?" मेहर ने सवाल किया।
अंजलि ने सिर झुकाया, "प्यार नहीं, लेकिन उसे मैंने बहुत कुछ दिया था। वह मेरे लिए एक साया था। मैं जानती थी कि उसका दिल किसी और के पास था, लेकिन फिर भी मैंने उसे अपना सब कुछ दे दिया। और जब वह नहीं आया, तो मैंने सब कुछ खो दिया।"
मेहर को अब समझ में आने लगा था कि अंजलि का दिल टूटा हुआ था, लेकिन उस टूटन ने उसे कहां पहुंचा दिया था? अंजलि ने आरव और मेहर के माता-पिता की मौत के बाद जो किया, वह अब भी स्पष्ट नहीं था।
"तुम मेरे माता-पिता की मौत के पीछे थी, है न?" मेहर ने तीव्रता से पूछा।
अंजलि की आँखों में अजीब सी जलन थी, "मैंने कुछ नहीं किया, लेकिन हाँ, मैंने उनके खत्म होने की वजह जानने की कोशिश की। तुम नहीं जानती, वे कितने खतरनाक लोग थे, जो आरव के रास्ते में थे। वे तुमसे भी अधिक खतरनाक थे।"
अंजलि ने चुपचाप एक पुरानी तस्वीर की ओर इशारा किया, जो एक बड़े फ्रेम में दीवार पर टंगी थी। उस तस्वीर में, मेहर के माता-पिता एक समारोह में खड़े थे, लेकिन उनके पास एक आदमी खड़ा था, जिसे मेहर ने कभी नहीं देखा था।
"यह कौन है?" मेहर ने पूछा।
"यह वह आदमी था, जिसने तुम दोनों के लिए नरक बना दिया," अंजलि ने धीरे से कहा। "यह वह व्यक्ति था, जिसने सब कुछ खत्म कर दिया।"
मेहर अब एक नई दिशा में सोचने लगी थी। क्या वह आदमी आरव से जुड़ा था? और वह आदमी कौन था, जिसे वह अब तक अनदेखा कर रही थी?
हवेली में सभी घटनाएँ अब और अधिक भयानक मोड़ ले रही थीं। मेहर ने अंजलि की बातों को दिमाग में दोहराया, और उसे समझ में आ रहा था कि उसे इस कहानी के सभी छुपे हुए पहलुओं को उजागर करना होगा, चाहे वह कितना भी खतरनाक क्यों न हो।
इशान, जो अब तक उसे इस केस में मदद कर रहा था, और आरव, जो अपनी चुप्पी तोड़ने को तैयार था, दोनों ने मिलकर उस रहस्यमय व्यक्ति की पहचान करने का फैसला किया।
"हम दोनों के रास्ते अलग-अलग थे," इशान ने कहा। "लेकिन अब हमें यह पता करना होगा कि वह व्यक्ति कौन था और क्यों उसने तुम्हारे माता-पिता को निशाना बनाया।"
आरव ने मेहर से कहा, "तुमने जो सुना है, वह सब सच है। लेकिन जो कुछ हुआ, वह हम सब की गलती नहीं थी। वह आदमी, जो तुम्हारे माता-पिता के पास था, वह बहुत बड़ा खतरनाक आदमी था। उसका नाम था 'विक्रम अरोड़ा'। वह एक ऐसा शख्स था जो हमारी दुनिया को तहस-नहस करना चाहता था।"
"विक्रम अरोड़ा?" मेहर चौंकी। "लेकिन वह तो मेरे माता-पिता का दोस्त था! मैंने कभी नहीं सोचा था कि वह कोई खतरनाक आदमी हो सकता है।"
आरव ने सिर झुकाया। "विक्रम ने तुम्हारे माता-पिता को धोखा दिया था। वह हमेशा एक कदम आगे था, और उसने सब कुछ नियंत्रित कर लिया था। वह वही था जिसने सब कुछ तोड़ा।"
विक्रम अरोड़ा, वह व्यक्ति था जो सबके रास्ते में आकर उन्हें समाप्त कर देना चाहता था। अब यह स्पष्ट हो गया कि मेहर के माता-पिता को मारने के पीछे विक्रम का हाथ था। लेकिन सवाल यह था कि विक्रम ने ऐसा क्यों किया और उसकी योजना क्या थी?
मेहर अब एक नई स्थिति में थी। वह सब कुछ जान चुकी थी, और उसे अपने दिल की आवाज़ पर विश्वास करना था। विक्रम अरोड़ा का रहस्य अब साफ हो चुका था, लेकिन उसका पीछा करना और उस तक पहुंचना अब और भी मुश्किल हो गया था।
एक दिन, जब मेहर अकेले हवेली में बैठी थी, उसे एक चिट्ठी मिली। यह चिट्ठी आरव ने छोड़ी थी। उसने लिखा था:
"मेहर, तुम्हें इस दुनिया से बाहर जाने की जरूरत है। मैं जानता हूँ कि तुम चाहती हो कि सब कुछ सुलझ जाए, लेकिन तुम्हें यह समझना होगा कि कभी-कभी कुछ राज़ों को खोला नहीं जाता। यह सब मेरे लिए बहुत पेचीदा था, और तुम्हारे लिए भी। मैंने तुम्हारे माता-पिता को खो दिया, और अब मैं तुम्हें भी खो सकता हूँ।"
आरव की यह चिट्ठी मेहर के दिल में एक गहरा धक्का छोड़ गई। क्या यह सच्चाई थी, या यह उसकी ज़िंदगी का अंतिम झूठ था?
कुछ समय बाद, मेहर एक शांत कैफे में बैठी थी, और अचानक आरव दरवाजे से अंदर आया। दोनों की आँखें मिलीं, और दोनों ने एक-दूसरे की ओर देखा। लेकिन इस बार कुछ और था, जो पहले कभी नहीं था – समझ और शांति।