तेज़ बारिश हो रही थी। सड़कें सुनसान थीं, और आसमान में बिजली कभी-कभी चमक उठती थी। प्रियंका अपनी कार के पास खड़ी थी, भीगती हुई और परेशान-सी। उसकी गाड़ी का पेट्रोल खत्म हो गया था, और आसपास न कोई पेट्रोल पंप था, न ही कोई मदद मांगने वाला। दुकानों के शटर भी बंद थे, जिससे उसकी परेशानी और बढ़ गई।
तभी, एक गाड़ी उसके पास से गुजरी। ड्राइवर ने बारिश में भीगती लड़की को देखा और कुछ दूर जाकर अपनी कार रोक दी। फिर उसने गाड़ी को पीछे किया और प्रियंका के पास आकर रुका।
"आप इतनी तेज़ बारिश में यहाँ अकेली क्यों खड़ी हैं? क्या आपकी गाड़ी खराब हो गई है?" उस लड़के ने पूछा।
प्रियंका ने हल्की उदास आवाज़ में कहा, "नहीं, गाड़ी खराब नहीं हुई... बस पेट्रोल खत्म हो गया है। यहाँ आसपास कोई पेट्रोल पंप भी नहीं है।"
लड़के ने मुस्कुराते हुए कहा, "कोई बात नहीं, मैं अपनी गाड़ी से थोड़ा पेट्रोल निकालकर आपकी कार में डाल देता हूँ।"
फिर उसने पूछा, "क्या आपके पास कोई बोतल है?"
प्रियंका ने तुरंत अपनी कार से एक खाली बोतल निकाली और उसे दे दी। लड़के ने बोतल में पेट्रोल भरकर प्रियंका की कार में डाल दिया। जब उसने देखा कि उसने पूरी बोतल भर दी, तो प्रियंका बोली, "लेकिन आपने सारा पेट्रोल मेरी कार में डाल दिया। आपके लिए क्या बचा?"
लड़का हंसकर बोला, "मुझे कोई दिक्कत नहीं होगी। मेरा घर पास में ही है, मैं पैदल चला जाऊँगा। इस समय आपको ज्यादा ज़रूरत थी, इसलिए मैंने आपकी मदद कर दी।"
प्रियंका उसकी दरियादिली देखकर हैरान रह गई। जाते-जाते उसने पूछा, "आपका नाम क्या है?"
"अथर्व," लड़के ने जवाब दिया।
प्रियंका ने मुस्कुराते हुए कहा, "धन्यवाद, अथर्व। मेरा नाम प्रियंका है।"
कुछ समय बाद…
प्रियंका एक बर्थडे पार्टी में गई थी। पार्टी में उसकी दोस्त ने उसे अपने परिवार से मिलवाया। अचानक, प्रियंका की नज़र उसी लड़के पर पड़ी जिसने बारिश में उसकी मदद की थी।
"अथर्व? तुम यहाँ?" प्रियंका चौंक गई।
अथर्व भी हंसते हुए बोला, "अरे प्रियंका, तुम यहाँ?"
प्रियंका ने बताया, "यह मेरी दोस्त का भाई का बर्थडे है, उसी ने मुझे बुलाया।"
अथर्व मुस्कुराया, "अच्छा! यह तो मेरे दोस्त का भाई है।"
प्रियंका ने पूछा, "उस दिन तुम्हारा घर पास में था, फिर भी तुमने पैदल जाकर परेशानी क्यों उठाई?"
अथर्व ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, "अगर मैं सच बता देता कि मेरा घर दूर है, तो शायद तुम मदद लेने से मना कर देती। मुझे लगा, अगर मैं सच कहूँगा, तो तुम खुद को असहज महसूस करोगी। और वैसे भी, उस वक्त तुम्हें मेरी ज़रूरत थी।"
प्रियंका उसकी बात सुनकर बहुत प्रभावित हुई। उसने कहा, "मुझे नहीं पता था कि लड़के इतने अच्छे भी हो सकते हैं।"
अथर्व हंसते हुए बोला, "क्योंकि तुम मुझसे पहले नहीं मिली थी, इसलिए ऐसा सोचती थी। अब तो तुम्हारी सोच बदल गई होगी।"
प्रियंका हंस पड़ी, "शायद हाँ!"
एक दिन…
प्रियंका ने अचानक अथर्व को फोन किया।
"हैलो!"
"पहचाना कौन बोल रही हूँ?" प्रियंका ने शरारती अंदाज में पूछा।
"नहीं, नंबर सेव नहीं था," अथर्व ने कहा।
प्रियंका ने हंसते हुए कहा, "मैं वही लड़की हूँ, जिसकी गाड़ी में तुमने पेट्रोल डाला था।"
"ओह प्रियंका! कैसी हो?"
"अच्छी हूँ। आज घर पर अकेली थी, बोर हो रही थी, तो सोचा तुम्हें फोन कर लूँ।"
अथर्व ने पूछा, "सब लोग कहाँ गए?"
"घूमने गए हैं, लेकिन मुझे हल्का जुकाम था, इसलिए नहीं गई।"
"डॉक्टर को दिखाया?"
"हाँ, अब ठीक हूँ।"
अथर्व ने कहा, "बहुत दिन हो गए, हम मिले नहीं। चलो, इस संडे किसी कैफे में मिलते हैं।"
प्रियंका ने खुशी-खुशी कहा, "हाँ, अच्छा रहेगा!"
कैफे में मुलाकात
संडे को दोनों पास के कैफे में मिले। प्रियंका ने कहा, "हम दो बार मिल चुके हैं, लेकिन हमारी सही से बात नहीं हो पाई।"
अथर्व हंसकर बोला, "बिल्कुल सही कह रही हो।"
प्रियंका ने अचानक पूछा, "तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?"
अथर्व ने सिर हिलाते हुए कहा, "नहीं, मैं इन चीज़ों को बेकार मानता हूँ। प्रेम उसी से करना चाहिए, जिससे शादी हो सके।"
प्रियंका ने मुस्कुराते हुए कहा, "वाह! बहुत अच्छे विचार हैं। मेरा भी यही मानना है।"
फिर उसने संजीदगी से पूछा, "अच्छा, मेरे बारे में तुम्हारा क्या विचार है?"
अथर्व ने उसे देखकर कहा, "तुम बहुत अच्छी लड़की हो।"
प्रियंका ने धीरे से पूछा, "अगर मैं कहूँ कि मैं तुम्हें पसंद करने लगी हूँ… तो क्या तुम मुझे अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करोगे?"
अथर्व ने मुस्कुराकर कहा, "क्यों नहीं! लेकिन पहले तुम्हें अपने माता-पिता से मिलवाना चाहूँगा।"
प्रियंका ने खुशी से कहा, "तो देर किस बात की? आज ही अपने माता-पिता से मिलवाओ। कल मैं तुम्हें अपने माता-पिता से मिलवाऊँगी।"
परिवार से मुलाकात
अथर्व प्रियंका को अपने घर ले गया। उसकी माँ और बहन ने प्रियंका को बहुत प्यार से बैठाया।
अथर्व की बहन ने पूछा, "भैया, यह कौन हैं?"
अथर्व मुस्कुराकर बोला, "तुम्हारी होने वाली भाभी!"
उसकी बहन खुशी से उछल पड़ी, "सच में? भाभी बहुत अच्छी हैं!"
अथर्व की माँ ने भी खुशी जताई और कहा, "बेटा, तुम्हारी बहन ने मुझे सब बता दिया है, और मुझे कोई आपत्ति नहीं है। प्रियंका बहुत अच्छी लड़की है।"
प्रियंका शर्म से मुस्कुराने लगी।
जब वह घर जाने लगी, तो अथर्व की माँ ने कहा, "बेटा, अपने माता-पिता से हमें कब मिलवाओगी?"
प्रियंका ने कहा, "कल ही!"
शादी का फैसला
अगले दिन प्रियंका ने अपने माता-पिता को अथर्व के परिवार से मिलवाया। दोनों परिवारों को रिश्ता पसंद आ गया, और जल्द ही शादी तय हो गई।
कुछ ही समय बाद, अथर्व और प्रियंका शादी के बंधन में बंध गए। अब वे एक खुशहाल जीवन बिता रहे हैं, और उनकी कहानी इस बात का सबूत है कि किसी भी अजनबी से मिलने का एक संयोग, ज़िंदगीभर का खूबसूरत रिश्ता भी बन सकता है!