Swayamvadhu - 46 in Hindi Fiction Stories by Sayant books and stories PDF | स्वयंवधू - 46

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स्वयंवधू - 46

इसमें धुम्रपान और शराब का सेवन है। लेखक इसे प्रोत्साहित नहीं करता।  
साथ ही, इसमें हिंसा, खून-खराबा और कुछ जबरन संबंध भी शामिल हैं। पाठकगण कृपया विवेक से पढ़ें।

मीरा भाग 2
समीर उसके बालो से खेलते-खेलते व्हिस्की की तीसरी बोतल भी ख़त्म कर दी और गिलास को फायर पिट में पटक दिया।
मीरा उर्फ वृषाली उसे देखती रह गयी।
"तुम अपना अतीत के बारे में जानना चाहती हो?", उसकी आँखे लपटो का कारण पीली और डरावनी लग रही थी।
"हाँ।", उसने सावधानी से कहा,
फिर समीर ने सिगार निकाली। उसने सिगार को फायर पिट की ओर बढ़ाया। सिगार जल उठा। समीर उसके समाना सीधा खड़ा होकर, "सच झेल सकती हो?",
"बिना जाने सहना जानकर सहना से कही गुना ज़्यादा बत्तर है।", उसने उसकी आँखो में आँखे डालकर कहा,
समीर ने सिगार को चूसा और धुँआ उसके चेहरे पर फूँका। धुँए से वो खाँसने लगी,
"खाँ, खाँ! समीर ये आप...", वो कुछ बोले, उसके पहले उसने कहा, "इसी धुँए से तुम्हारी नर्क भरी ज़िंदगी का प्रारंभ हुआ था।",
"कैसे?", उसने नाक ढाककर पूछा,
"वृषा से मिलने से पहले तुम्हारा जीवन इन्हीं सिगरेट, सिगार, हुक्के, ड्रग्स, शराब, पुरुषों और माल से घिरा रहता था।",
उसने फूँक मारकर हवा में सफेद धुँआ छोड़ा।
"जैसा कि मैंने कहा था, तुम्हारे परिवार में हमेशा वित्तीय समस्याएँ रहीं और बढ़ने के समय तुम्हारे पास बुनियादी आवश्यकताओं की कमी रही, जो एक लड़की को अपनी उम्र में चाहिए होती थी।",
"छोटे में, हम गरीब थे।", उसने समीर को बैठने का इशारा देते हुए कहा।
समीर अपनी जगह बैठ,"मुख्यतः तुम्हारी बुआ के परिवार के कारण।",
उसने अपनी आँखें घुमाईं और लाउंज में सीधे लेटकर, "हमेशा ऐसा ही होता है।",
समीर को उसके व्यवहार में कुछ अजीब लगा, "तुम अभी भी एक वेश्या की तरह नाटक करने की कोशिश कर रही हो?",
उसने उदास आँखों से नीचे देखा।
उसने उसके सिर को धीरे से और नरमी से थपथपाया, "तुम भी मेरे लिए मेरे बेटे वृषा की तरह खास हो।",
उसने एक भयभीत बच्चे की तरह उसके हाथ पकड़ लिए, "मत रुको। मुझे बताओ कि मैं किस प्रकार कि इंसान थी।",
वह व्हिस्की का ताज़ा गिलास लेकर उसके बगल में बैठ गया, "बुरी संगत में पड़ने से पहले तुम निर्दोष हुआ करती थी। एक खुशमिजाज़, प्यारी बेटी जो अपने परिवार से प्यार करती थी और जिसका भविष्य उज्ज्वल था लेकिन दुर्भाग्यवश यह सच नहीं हुआ।", उसने हताश स्वर में कहा, "इससे पहले तुम दुनिया का द भी समझ पाती उससे पहले ईश्वर ने उन्हें अपने पास बुला लिया।",
"उनकी हत्या कर दी गई थी! दादा-दादी ने मेरी माँ को चंद पैसो के लिए मार डाला!" उसने गुस्से से बैठकर कहा,
"यही गुस्सा तुम्हारे पतन का कारण बनी।",
मीरा ने उसे ध्यान से सुना।
"जिया जी के मौत के बाद तुमने अपने परिवार का साथ छोड़ दिया था। तुमने उनकी मौत का इल्ज़ाम अपने पिता पर डाल दिया जो उसी सड़क दुर्घटना के शिकार थे। तुम्हारे पिता के साथ हर झगड़े के बाद तुम्हारे रिश्ते बत से बत्तर हो जा रहे थे। उसी समय तुम्हारी मुलाकात सुरेश से हुई जो इस शहर के दिल, ढाल बाग में बार चलाता था।
तुम्हारे पिता को तुम्हारा सुरेश के साथ उठना बैठना पसंद नहीं था। पर तुम्हारे लिए वो एक घर जैसा था जहाँ लोग तुम्हें लाड के साथ देखते थे। तुम उनमे इतना रम गयी थी कि तुम्हें खुद को बेचने में भी संकोच नहीं रहा। यहाँ तक का तुमने अपने भैय्या को भी त्याग दिया था जिसपर तुम अपना जान छिड़कती थी।", उसने समीर को बीच मे टोककर पूछा,
"उस वक्त मेरी उम्र क्या थी?",
समीर ने दिमाग में कुछ हिसाब लगाकर कहा, "सोलह-सत्रह साल।",
"सोलह-सत्रह साल?", उसने बढ़बढ़या,
उसने फिर समीर को एक गिलास और परोसा। समीर एक घूंट पीकर, "तुम किताब छोड़कर देह व्यापार के धंधे में लग गयी थी।", समीर तिरछी नज़र से बार में किसीके साये को देखा, "तुम्हारी मासूम शक्ल, लंबे रेशमी बाल, फूले होठ और कजरारी आँखे और तब बढ़ रही शरीर बड़ी हिट साबित हुई थी।
लोग तुम्हें पूछकर आते थे, चाहे अमीर हो या गरीब जिन्हें तुम महमान कहते थे।
कई अन्य लड़कियों की तरह तुम चंद दिनों में अरबपतियों के बेटो की मेज़ पर सजती थी।
ड्रग्स, जुआ, दारु, नशा, नशे में गाने पर थिरकना तुम्हारा दिनचर्या बन गया था। तुम्हें मिल रहे ध्यान तुम्हें भी भा रही थी और तुम इसे चाहने लगी थी।
तुमने अपने परिवार से सारा नाता तोड़ दिया और अपना आर्थिक रूप से स्थिर जीवन जीने लगी। तुम्हारे परिवार ने तुमसे संपर्क करने कि कोशिश की जी-तोड़ कोशिश की। तुम्हारे भाई को ऐसी जगहों से नफरत थी फिर भी वो तुमसे मिलने, तुम्हारी एक सुरक्षित झलक देखने आया था। उसने अपनी सारी कमाई तुम्हें देखने में निकाल दी... पर तुमने...", समीर रुक गया,
"मैंने क्या? क्या किया मैंने?", उसने स्थिर होकर पूछा,
"तुमने सीधे तौर पर उसे स्टॉकर कहा और बार से बाहर फिकवा दिया। पूरे बार में उसे अजीब और औरतखोर कहा गया। वह बस तुमसे, तुम्हारा हालचाल पूछ रहा था और तुम उसे एक स्टॉकर बन दिया था।
वह टूट गया था। उसके बाद भी वो तुम्हें महीने महीने कॉल करकरे चेक करते थे। पर तुम कभी उन्हें जवाब नहीं देती।
उस घटना के कुछ दिनों बाद तुम्हारी मुलाकात पहली बार वृषा से हुई थी। तुम दोंनो मिलते साथ ही जम गए थे। कैज़ुअली शुरू हुआ शारीरिक संबंध धीरे-धीरे एकतरफ़ा रंग दिखाने लगा था। कुछ घंटों की मुलाकात धीरे-धीरे पूरे दिन की मुलाकात से लेकर एक पूरे सप्ताह की मुलाकात तक पहुँच गई थी। तुम सिर्फ बेड फ्रेंड्स नहीं थे, वह तुम्हें अपनी साइड चिक बनाने के लिए तैयार कर रहा था।
शॉपिंग, महँगे रेस्तरां में खाना, क्रूज पर छुट्टियाँ मनाना, क्लबिंग, तुम उसकी निजी संपत्ती बन गयी थीं। पहले तो तुम इसका आनंद ले रही थी लेकिन फिर उसने अपना जुनून दिखाना शुरू कर दिया।
तुम्हें किसी भी ग्राहक को कमरे में ले जाने की अनुमति नहीं थी। पहले तो तुम और तुम्हारे नियोक्ता को इससे कोई परेशानी नहीं थी क्योंकि वह बार का सबसे महँगा ग्राहक था। फिर उसने तुम्हें केवल उसे ही सेवा देने की माँग शुरू कर दी। जिसे तुमने इनकार कर दिया।
जब तुमने उसे अस्वीकार कर दिया तो उसने तुम्हें खरीदने कि कोशिश की। मैनेजर सुरेश जिसने तुम्हारी देखभाल अपनी बहन की तरह किया, उसने तुरंत इनकार कर दिया। लगातार अस्वीकृतियों ने उसे पागल बना दिया!", समीर ने ज़ोर देकर कहा,
समीर ने फिर नशे में हल्का झूमते हुए और अपना सिर पीटते हुए जारी रखा, "उसके एक ही आदेश पर उसके अंगरक्षकों... मेरे नियुक्त लोगों ने मिनटों में बार को नष्ट कर दिया, जिसमें सुरेश सहित वहाँ मौजूद सभी लोग निर्दयता से मारे गए, जो तुम्हें बचा रहे थे और जो तुम्हें जाने तक नहीं, सब बत्तर मौत मारे गए। मेरे आदमियों ने उन्हें मार डाला, मार डाला...", समीर विलाप करते हुआ कहा,
मीरा उर्फ वृषाली ने उसका साथ दिया और उसे शांत किया, "वे लोग अपना काम कर रहे थे और आप अपना।",
समीर की उलझी आँखे उसपर टिक गयी जैसे वो कुछ जाँच रहा था फिर कहा, "उसने उनके कटे हुए सिर को बार का सामने लटका दिया।",
"सुरेश जी का?", उसने हकलाते हुए पूछा,
समीर ने हाँ में सिर हिलाया, "वो, उसके कुछ साथी और पूरे बार को जला दिया। कुछ लोग जो बमुश्किल जीवित थे उन्हें भी ज़िंदा जला दिया गया था। तुम्हें वहाँ मजबूरन खड़े होकर उन्हें अपनी आँखों के सामने, असहाय, सभी को तड़प-तड़पकर मरते हुए देखना पड़ा। उसने तुम्हें भागने से रोकने के लिए तुम्हारा दाहिना टखना अपने पैरों से कुचलकर तोड़ दिया था। सारा इलाका धू-धू कर जलकर ख़त्म हो गया।
फिर वो तुम्हें अपने साथ अपने पेंटहाउस ले गया जिसे उसके पंद्रह वर्ष के होने की खुशी में मैंने उसे उपहार में दिया था। वह स्थान तुम्हारा कारागार बना।
उसने तुम्हें तुम्हारे उन लंबे बालों से घसीटते ले गया, जिसपर वो लाख लुटाता था और कार्पेट पर फेंक दिया। जितना मुझे पता है, उसने सबसे पहले तुम्हारे सारे कपड़े, हर एक कपड़े जो तुमने उस दिन पहने थे, सबके चीथड़े कर दिए। उसने सब उतार कर तुम पर कुछ भी नहीं छोड़ा।
उसने तुम्हारे दोंनो हाथ और मुँह को कसकर बाँध दिया और तुम्हें पालतू जानवर की तरह नहलाया। उसने तुम्हें अंदर से बाहर हर तरफ से साफ किया अपनी छाप छोड़ने के लिए। उस बार की सारी गंदगी तुमसे हटा दी और तुम्हारे टखने पर पट्टी बाँध दी। याद है वो लाल कुत्ते की पट्टी मैंने तुम्हें दी थी?", उसने पूछा,
"हाँ। वो मेरी दराज में रखा हुआ है।", उसने अपनी साँस थामकर कहा,
"वो तुम्हारा था, वो पट्टा तुम्हारे लिए बनी थी।
मैंने जो सुना है उसके अनुसार, इसके बाद उसने बिना किसी ब्रेक के पूरे तीन दिन तक तुम्हारा यौन शोषण किया। वह तब तक नहीं रुका जब तक वो संतुष्ट नहीं हो गया और तुम मौत से दो कदम दूर नहीं थी।
हमारे पारिवारिक डॉक्टर ने वृषा के आदेश पर जब तुम्हें जाँचा था तब वो डरकर मेरे पास आकर कहा कि उन्होंने वृषा को तुम्हें ज़िंदा रखने के लिए आराम करने की सलाह दी थी, लेकिन उसने बात एक कान से सुन दूसरे कान से निकाल दी और तुम्हारे लिए ज़मानो पहले बैन किया गया जानलेवा ड्रग्स उसने पश्चिम से खोदकर निकाला। तुम्हारा टखना, तुम्हारी कलाई, स्पाइन और कमर उसने चकनाचूर कर दिये थे। तुम एक सुनहरे पिंजरा में कैद कैदी थी बेटी, उस पिंजरे की कैदी थी!
मुझे उससे तभी पूछताछ करनी चाहिए जब उसने मासूमों को निर्दयता से मौत के घाट उतारा था, तभी उसके पैर तोड़कर पूछना चाहिए था। य-य-य-या तब पूछना चाहिए था जब उसने अपने पेंटहाउस में कैद रहना शुरू कर दिया और अश्लील चीज़े मंगवाता था।",
"तो आपने कुछ नहीं किया?", उसने समीर के हाथ को पकड़ते हुए पूछा,
समीर उसकी आँखो में देख, "किया था। किया था मैंने जब वृषा बेखौफ सिर्फ खाने-पीने, सेक्स, ड्रग्स की जीवनशैली जी रहा था। 2019 के दिसंबर के आखिरी दिनों में मैं पेंटहाउस बिना बोले गया था। पहले तो वहाँ सब कुछ सामान्य था। फिर वहाँ मैंने...",
मीरा के आँखो में खौफ था।
मीरा उर्फ वृषाली ने अपनी साँस रोक रखी थी। उसका हाथ उसके सीने को जकड़ कर रखा था। समीर ने उसका हाथ पकड़ा,
"कुछ याद आया?",
उसने ना मे सिर हिलाया।
"डरो मत यहाँ तुम्हें कोई और हाथ तो क्या देख भी नहीं सकता।", उसने उसे आश्वासन दिया।
"आगे सुनना है?", उसने पूछा।
वृषाली ने हाँ में उत्तर दिया।
"पहले तो सब सामान्य था पर जैसै-जैसे मैं ऊपर गया। एक अजीब सी दुर्गंध ने मुझे घेर लिया। जब मैंने उस दुर्गंध का पीछा किया। चलते-चलते मैं वृषा के कमरे के बाहर पहुँचा। मैंने इस डर के दरवाज़ा खोला कही उसे कुछ हो तो नहीं गया?
मैं तेज़ धड़कन के साथ अंदर भागा, मैंने वो देखा जो कोई बाप अपने बेटे को करता नहीं देखने चाहता। पूरा कमरा गंदे बर्तन, शराब की बोतले, गिलास, खून के धब्बे, खून से सने बैंडेजस्, सढ़ रहे खाने, सढ़ रहे पट्टियों से भरा हुआ था और बिस्तर पर सफ़ेद चादर लाल और काले धब्बों से भरी हुई थी। उसकी बू से ही आदमी हॉस्पिटल पहुँच जाए। मैं पीछे हट रहा था तभी मेरी नज़र बाथरूम पर गयी। वहाँ से संघर्ष की आवाज़ सुनाई दे रहे थे। मैं मुँह पर रुमाल रख कचरों के बीच रास्ता बनाकर गया।
वहाँ वृषा हैवान की तरह बाथ-टब में किसीको डूबा रहा था। वो किसीको मार रहा था। मैं सन रह गया सब छोड़ मैंने उसे नीचे फेंककर उसे उठाया। तुम निर्वस्त्र, अत्ययचारों से ढकी बेजान जी रही थी। अधमरी बोलना सटीक रहेगा।
मेरे सामने तुम्हारे शरीर पर 'मेरी संपत्ति', 'मेरा', 'वृषा', 'चूसो' और ऐसी बातें लिखी थी जो मैं कह भी नहीं सकता। मेरा बेटा हैवान बन गया था।
मैंने तुरंत तुम्हें अस्पताल ले गया जहाँ दो दिन के अंदर वो तुम्हें फिर अगवा कर भाग गया। वो तुम्हें ले अंडरग्राउंड हो गया था। खोजबीन के बीच 2020 में कोरोना वायरस आउटब्रेक हो गया और सब बँद पड़ गया था। उसकी खोज भी।",
"तो, आपने उसे कैसे ढ़ूँढ़ा?", वृषाली इस वक्त तक डर से समीर से लिपट गयी थी। उसके बाल हवा से समीर पर लहरा रहे थे।
समीर उसके सिर पर हाथ फेरते हुए सुकून भरे मुस्कान के साथ , "तुम्हें कमज़ोर पर ज़िंदा रखने के लिए उसने अवैध ड्रग्स का आयात शुरू करवा दिया था। और अब तुम्हारे शरीर को जीवित रहने के लिए उसकी आदत पड़ गयी थी। इसके बिना तुम मृत थी! कोरोना प्रकोप के दौरान वृषा के लिए स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गयी थी। विदेशों से दवाओं की आपूर्ति हो गई थी और तुम्हारा स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता जा रहा था।
उसने विशिष्ट खतरनाक अवैध ड्रग्स की व्यवस्था करने के लिए हमारे पारिवारिक डॉक्टर से संपर्क किया। डॉक्टर को उसके सनकी स्वभाव के बारे में पता था इसलिए उन्होंने अगले दो वर्षों तक उन ड्रग्स की तस्करी की जब तक वह एक मीडिया के स्टिंग ऑपरेशन में पकड़ा नहीं गया। जिसके कारण पुलिस उस तक पहुँची। मैं बीच में गया पर हालात हाथ से बाहर थे। पुलिस गिरफ्तारी करते हुए एक दिन वृषा तक पहुँच गई पर तुम, जोकि सबका कारण थी कभी भी उन्हें नहीं मिली।
लेकिन मैं सबकुछ जानता था और यह भी जानता था कि तुम कहाँ सढ़ रही थी।
मैं और खुद को तुम्हें बचाने रोक नहीं सका और तुम्हें उस नर्क वास से मुक्त करा एकांत में अस्पताल में भर्ती कराया, जहाँ डॉक्टरों ने तुम्हारे शरीर को डीटॉकसीफाय मतलब शुद्ध करने और फिर से स्वस्थ बनाने के लिए सालो बिता दिया और तुम इस तरह हो गयी।
तुम्हारे प्रति उसके जुनून ने तुम्हें पूरी तरह से नष्ट नहीं किया मीरा, पूरी तरह नष्ट कर दिया। इन पुलिसवालों को इतने सालो के बाद कही से तुम्हारे बारे में पता चल गया और वह तुमसे पूछताछ करना चाहती है। वो तुम्हें उस लायब्रेरी से तो नहीं बचा सकी पर पूछताछ खूब करना चाहती है!", समीर ने गुस्से से कहा,
फिर अपना सिर पकड़कर, "हा, हा! मेरे ऊपर से भारीपन हट गया, लेकिन मुझे डर है कि अगर यह लीक हो गया तो मेरा बेटा...",
"धुँधली नज़रे, कमज़ोर दिल, कमज़ोर हड्डियाँ, आँख नाक कान से कभी भी खून निकलना, टेडी चाल, रंग छोड़ चुकी त्वचा और बेजान शरीर को बगल रख, तो मैं आपसे पहले कभी मिली नहीं?", समीर के बाहों में मुख छिपाकर उसने ज़ोर से निगला जैसे कि वह कोई कठिन काम कर रही हो। वह अचानक घबराई हुई दिखी। समीर और कसकर, "मैं आपके साथ रहने के लिए कुछ भी करूँगी। प्लीज़ समीर। प्लीज़?",
समीर ने उसे उठाया। चाँदनी रात में चमकते उसके बाल उसके चेहरा ढके हुए थे। समीर की नज़र उसके लॉकेट पर गयी जो चाँदनी की चमक में चार-चाँद लगा रहे थे। उसका चेहरा लालच से जल उठा।
"बेशक!", समीर ने अगल-बगल की झाड़ में हलचल देखी और वृषाली के ऊपर नशे में धुत गिर पड़ा।
तभी वहाँ अधीर गुस्से से बड़बड़ाते हुए वहाँ से गुज़र रहा था, "इस ज़ंजीर को इस वक्त यहाँ क्या ज़रूरत आन पड़ी जो इतनी जल्दी यहाँ बुलवाया और खुद कब्र खोदकर कही दफ्न हो गया!", चलते-चलते उसकी नज़र मीरा उर्फ वृषाली के गोद पर गयी।
समीर बेहोश था और उसके अगल-बगल शराब की पाँच बड़ी बोतल थी।
वो तुरंत उनके पास भागा।
मीरा उसे संजोए हुए थी।
अधीर भागा और समीर को अपने साथ ले गया और उसे उसके कमरे में जाने का निर्देश दिया। कोई गहमा-गहमी नहीं, ना गुस्सा, बस एक साझेदारी जो समीर बेहोशी का नाटक करते हुए देख रहा था।