Vo Jo kitabo me likha tha - 10 in Hindi Detective stories by nk.... books and stories PDF | वो जो किताबों में लिखा था - भाग 10

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वो जो किताबों में लिखा था - भाग 10

"वो जो किताबों में लिखा था" – भाग 10
“यादों की वापसी और समय का घुमाव”



आरव अब हर दिन लाइब्रेरी आता था, वही पुरानी किताबें, वही धूल भरी अलमारियाँ, और वही सन्नाटा। लेकिन उस दिन कुछ अलग था।

वो लड़की — जो पिछले हफ्ते किताब माँगने आई थी — आज फिर आई थी।
सांवली-सी, शांत चेहरे वाली, लेकिन उसकी आँखों में कुछ ऐसा था… जैसे कोई अधूरी बात कहना चाहती हो।

"आप फिर यहीं?" उसने मुस्कराते हुए पूछा।

आरव ने भी मुस्कराकर सिर हिलाया,
"हाँ, मुझे किताबों से बातें करना अच्छा लगता है।"

वो हँसी, एकदम वैसी ही हँसी…
जैसी नायरा की थी।

आरव के दिल में कुछ हिला।
"क्या… क्या तुम कभी…," वो कुछ कहने ही वाला था कि लड़की ने टोका:

"मुझे अजीब-से सपने आते हैं। एक रहस्यमयी किताब, एक छाया, और एक लड़का जो रोशनी से लड़ता है… यह सब सिर्फ सपना है ना?"

आरव की आंखें चौड़ी हो गईं।
"तुम… क्या नाम है तुम्हारा?"

"निया," उसने कहा।

आरव के रोंगटे खड़े हो गए।
निया। नायरा का नया रूप? या कोई संकेत?

वो मुस्कराया,
"कभी-कभी सपने सच्ची कहानियाँ होते हैं… जो सिर्फ हमें याद नहीं रहतीं।"


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किताब वापसी

उसी रात, जब आरव लाइब्रेरी में अकेला था, वो पुरानी जल चुकी किताब अचानक उसकी मेज़ पर प्रकट हुई — एकदम नई और सुनहरी।

[कवर पर लिखा था:
"वो जो किताबों में लिखा था – भाग 2"📚😃🦹✍️🧐]

उसने धीरे से पन्ना पलटा, और पाया… शब्द खुद-ब-खुद लिखे जा रहे हैं।
"जिन्होंने त्याग किया, उन्हें दूसरा अवसर दिया जाएगा — जब दोनों आत्माएँ फिर मिलें, बिना पूर्व स्मृति के, पर वही दिल और वही जुड़ाव लेकर।"

आरव के हाथ काँपने लगे। क्या यह नियति का संकेत था?


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पुनर्मिलन या परीक्षा?

अगले दिन आरव ने निया को बुलाया।
"तुम्हें क्या लगता है, अगर सपनों की वो किताब असल में हो… तो क्या तुम उसे फिर पढ़ना चाहोगी?"

निया थोड़ी सहमी, लेकिन उसकी आंखों में उत्सुकता थी।
"अगर वो किताब मेरी कहानी है… तो हाँ।"

आरव ने किताब सामने रख दी।
जैसे ही निया ने उसे छुआ, तेज़ रौशनी फैली और अचानक ही उनकी आंखों में पुरानी यादों की झलकें आने लगीं — छाया, आत्मा, बलिदान… सब कुछ।

निया कांपने लगी,
"मैं… मैं जानती हूँ ये सब… हम साथ थे, थे ना?"

आरव ने उसका हाथ थामा।
"हाँ। और अब हमें ये सब फिर से जीना है — शायद इस बार कुछ अधूरी बात पूरी करने के लिए।"


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एक नया अध्याय

किताब के आखिरी पन्ने पर अब लिखा था:
"अब जब यादें लौट आई हैं, प्रश्न यह नहीं कि तुम कौन थे — बल्कि यह है कि अब क्या बनोगे?"

वे दोनों मुस्कराए।

"अब हम कहानी के किरदार नहीं, इसके लेखक हैं," निया बोली।

आरव ने किताब बंद की।
"तो चलो… नई कहानी शुरू करें।"


निया और आरव अब हर रोज़ मिलते थे। किताब की बातें अब उनके बीच का पुल बन चुकी थीं।
एक दिन निया बोली,
"अगर ये सब सच था, तो क्या हमें फिर वही लड़ाई लड़नी होगी?"
आरव ने उसकी आंखों में देखा,
"शायद हाँ, लेकिन इस बार हम अकेले नहीं हैं।"
उसने किताब खोली, जिसमें अब एक नया नक्शा उभर आया था —
एक और रहस्यमयी संसार का।

निया ने मुस्कराते हुए कहा,
"तो चलो, अगला अध्याय शुरू करते हैं… साथ में।"

[Dear readers आपको यह कहानी कैसी लगी अगर अच्छी लगी हो तो कॉमेंट बॉक्स में मैसेज करके जरूर बताना। 📝👍आगे कहानी जारी ...........]


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