Vo Jo kitabo me likha tha - 6 in Hindi Detective stories by nk.... books and stories PDF | वो जो किताबों में लिखा था - भाग 6

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वो जो किताबों में लिखा था - भाग 6

"वो जो किताबों में लिखा था" – भाग 6
(रहस्य, आत्मा, और खोई हुई पहचान का संगम)



तीसरा द्वार खुलते ही, किताब की चमक बुझने लगी, लेकिन एक गहरा नीला प्रकाश उस जगह में फैल गया। दीवारें धीरे-धीरे पारदर्शी होने लगीं, और उनके पीछे एक पूरी दुनिया छिपी हुई दिखने लगी — एक उजाड़ महल, जिसके गलियारों में सन्नाटे की चीखें गूंज रही थीं।

"ये… ये कहाँ हैं हम?" आरव ने कांपती आवाज़ में पूछा।

नायरा कुछ देर चुप रही, फिर बोली, "अब हम उस समय में प्रवेश कर चुके हैं जो किताब में बंद था — अतीत का वह टुकड़ा, जहाँ से सब कुछ शुरू हुआ।"

"मतलब?" आरव की आँखों में सवाल थे।

"मतलब… अब तुम्हें केवल खुद को नहीं, अपने पूर्वजों के कर्मों को भी समझना होगा। क्योंकि ये किताब तुम्हारी ही विरासत है, आरव।"

अचानक दीवार पर एक नाम उभरा — "आर्यकेतु"। साथ में एक छवि — जो हूबहू आरव जैसी दिखती थी, पर राजसी वस्त्रों में, तलवार लिए।

"ये कौन है?" आरव ने हैरान होकर पूछा।

"ये तुम हो," नायरा ने धीरे से कहा, "या शायद… वह आत्मा जो सदियों से तुम्हारे भीतर सोई हुई थी।"

आरव का दिमाग घूमने लगा।

तभी किताब के पन्ने फिर से खुलने लगे और हवा में तैरते शब्दों ने एक कहानी बनानी शुरू की…

> “राजा आर्यकेतु — वह जिसने सत्य के नाम पर छल किया,
और जिसका श्राप आज भी वंशजों को तोड़ता है।
केवल वही वंशज, जो अपने भीतर की सच्चाई को स्वीकारे,
और आत्मा को मुक्ति दे —
वही इस चक्र को तोड़ सकता है।”



"मतलब…" आरव ने सुबकते हुए कहा, "ये सब मेरे पूर्वज की गलती का नतीजा है?"

नायरा ने उसकी ओर देखा, "हाँ। लेकिन तुम यह बदल सकते हो। यही इस किताब का मकसद है।"

तभी एक अजीब सी थरथराहट हुई — किताब के अंदर से एक धुंधली सी आत्मा निकली। उसकी आंखों में करुणा थी… और इंतज़ार।

"आर्यकेतु की आत्मा!" नायरा फुसफुसाई।

"क्या तुम मुझे… मुक्त करोगे?" आत्मा ने पूछा।

आरव कुछ पल तक उसे देखता रहा, फिर धीरे से सिर हिलाया। "अगर मेरी सच्चाई, मेरी क्षमा तुम्हें शांति दे सकती है… तो हाँ।"

आत्मा मुस्कराई, और किताब अचानक एक प्रकाश की लहर में बदल गई। वातावरण शांत हो गया। कोई भी शब्द नहीं, बस एक गूंजती हुई शांति।

"तुमने उसे मुक्त किया," नायरा ने कहा, "अब किताब अपना अंतिम पृष्ठ खोलेगी। और तुम्हें… तुम्हारी असली कहानी बताएगी।"

आरव की सांसें तेज़ हो गईं। उसकी हथेलियाँ पसीने से भीग चुकी थीं। लेकिन उसकी आँखों में अब डर नहीं, एक नया संकल्प था। उसने धीमे कदमों से आत्मा की ओर बढ़ते हुए कहा, “तुमने जो गलतियाँ कीं, उनका भार मुझे महसूस होता है। लेकिन मैं उसे अब और ढोना नहीं चाहता — मैं उसे सुधारना चाहता हूँ।”

आत्मा की आँखों में चमक आई। उसने अपनी हथेली बढ़ाई, जो हवा में ही झूल रही थी।

आरव ने झिझकते हुए अपनी हथेली आगे बढ़ाई… जैसे ही दोनों के बीच संपर्क हुआ, एक तेज़ उजाला पूरे कक्ष में फैल गया। अतीत के सारे दृश्य — युद्ध, धोखा, प्रेम और पश्चाताप — उसकी आंखों के सामने झिलमिलाने लगे।

"तुमने अपने भीतर की आग को प्रेम में बदला है," आत्मा बोली, "अब तुम तैयार हो… अंतिम रहस्य जानने के लिए।"

किताब का अंतिम पृष्ठ अब धीरे-धीरे खुलने लगा…


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[भाग 7 में जारी...]
अगला भाग जल्द ही आयेगा .........................✍️✍️✍️