Vo Jo kitabo me likha tha - 4 in Hindi Detective stories by nk.... books and stories PDF | वो जो किताबों में लिखा था - भाग 4

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वो जो किताबों में लिखा था - भाग 4

भाग 4 – झूठ की सजा

अगला पन्ना खुलते ही कमरे की दीवारें धुंध में गुम होने लगीं। ज़मीन हिल रही थी, और आरव ने देखा कि उसके पैरों तले फ़र्श पिघलने जैसा लग रहा था।

"अब क्या हो रहा है?" उसने नायरा से पूछा।

"तुमने पन्ना खोला है," नायरा बोली, "अब किताब तुम्हें परख रही है।"

पन्ने पर लिखे शब्द धीरे-धीरे उभरने लगे:

> "जिसने कभी झूठ बोला है, वो यहाँ सच्चाई में जलता है। बताओ – क्या तुमने कभी वो नहीं कहा जो दिल में था?"



आरव हक्का-बक्का रह गया। उसके ज़हन में वो पल घूमने लगे — जब उसने माँ से कहा था कि वह डरता नहीं… जब उसने दोस्तों से कहा था कि उसे अंधेरा पसंद है… जबकि वो डर से कांप जाता था।

"हाँ," उसने धीरे से कहा, "मैंने झूठ बोला था।"

एक तेज़ चीख हवा में गूंजी। आरव की छाती पर कुछ जलने लगा — एक निशान, जो खुद किताब ने बनाया था। वहाँ एक शब्द उभरा: "झूठ"।

नायरा ने डर से उसकी ओर देखा, "अब तुम खतरे में हो। किताब को झूठ पसंद नहीं।"

"तो क्या अब मैं बाहर नहीं जा सकता?"

"शायद जा सकते हो… अगर तुम सच्चाई का सबूत दो।"

"कैसे?"

उसने किताब की ओर इशारा किया — अब उस पर एक नया वाक्य चमक रहा था:

> "अपने दिल का सबसे गहरा सच बोलो, जिससे तुमने कभी खुद को भी बचाया हो।"



आरव की सांसें थम गईं।

"मैं… अकेला हूँ," उसने कहा। "मैं डरता हूँ कि कोई मुझे सच में समझेगा नहीं। इसलिए मैं हँसता हूँ… झूठी बातें करता हूँ… ताकि लोग दूर न हों।"

कमरे में अचानक रोशनी भर गई।

किताब ने एक नया पन्ना खोला — और लिखा:

> **"तुमने पहला सच बोला। अब अगला झूठ तुम्हें खो सकता है… हमेशा के लिए।"



नायरा मुस्कराई, "अब हम आगे जा सकते हैं… लेकिन हर शब्द सोच समझकर कहना होगा।"

आरव ने उसकी ओर देखा — शायद नायरा भी कुछ छिपा रही थी। पर क्या?


आरव को पहली बार महसूस हुआ कि सच्चाई बोलना आसान नहीं होता, लेकिन वह किसी रहस्य की चाबी बन सकता है।

“क्या अब हम बाहर जा सकते हैं?” उसने उम्मीद से पूछा।

नायरा ने सिर झुकाया, “ये बस शुरुआत है। अभी तीन द्वार बाकी हैं। हर द्वार पर एक सच्चाई, एक परीक्षा और… एक बलिदान।”

“बलिदान?” आरव ने चौंकते हुए पूछा।

नायरा ने धीरे से कहा, “किताब के अनुसार, हर सच्चाई एक याद छीन लेती है… और अगर वो याद सबसे प्यारी हो, तो दरवाज़ा खुलता है।”

आरव के माथे पर पसीना आ गया। अभी उसने माँ की मुस्कान खोई थी… अब और क्या छिन सकता है?

तभी चारों ओर अचानक अंधेरा छा गया। हवा में एक सिहरन थी, और किताब अपने आप पलटने लगी। नए पन्ने पर लिखा था:

> "द्वार दो: तुम्हारे विश्वास की परीक्षा।
विश्वास जिसे तोड़ा, या जिसने तुम्हें तोड़ा —
उसे पुकारो, और सामना करो।”



आरव के सामने अचानक एक चेहरा उभरा — उसका बचपन का दोस्त विवेक। जिसने एक दिन उसे अकेले छोड़ दिया था, सबसे बुरे वक्त पर।

“वो कैसे आ गया?” आरव हकलाया।

नायरा बोली, “यही किताब का जादू है। अब तुम्हें अपने सबसे गहरे घाव से गुजरना होगा…”


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"वो जो किताबों में लिखा था" कहानी आगे जानने के पढ़ते रहिए matru bharti aap par ......... Deliy New apisode update................................ ओर हमारी कहानी अच्छी लगे तो लाइक nd comment जरूर करना।

[भाग 5 में जारी.....]