Help
Help शब्द जितना छोटा है उतना ही ज्यादा महत्व पूर्ण अर्थ रखता है, मेरे विचार से हेल्प (सहायता) बस करना नहीं होता
दिखाना नहीं होता , बताना नहीं होता,समझना नहीं होता जब की मैं भी ऐसा ही करता हु
, हेल्प करने के बाद आस पास देख लेता हु, किसी ने देखा कि नहीं, नोटिस किया कि नहीं,ये मनुष्य की natural feelings भावनाएं हैं
जो कि मेरे मन में भी है और बहुत समय तक रहेगी,पर मै धीरे धीरे से सिख रहा हूं,कैसे मै और आप मिलके दूसरे के काम को आसान करे,
मै और आप अपना हिस्सा कैसे किसी के लाइफ में लाए, कोशिश करता जा रहा हु ।
,मुझे लगता है इसमें समय लगेंगे महीनों या शायद गलत न कहूं तो बरसो,
पर एक दिन ऐसा मै फील महसूस जरूर करूंगा जिस में मैं सिर्फ दिखने के लिए नहीं बल्कि पूरी तरह से,पूरी जिम्मेदारी से,पूरे मन से सिर्फ और सिर्फ दूसरे के काम में सहायता करूंगा।
मेरे हिसाब से जैसा कि मैने महसूस किया है,ऐसे करने से आप खुद की help कर रहे होते है,आप खुद को वो खुशी दे रहे होते है जो आप को अपने किसी भी कार्य से चाहे अच्छा हो या बुरा आप खुद को नहीं दे सकते।
ये अलग बिलकुल ही नया,एक different feelings भावनाएं है जो कि आप कमा नहीं पाएंगे,ये एहसाह आपको किसी दुकान में कुछ खरीदने से, कुछ जीवन में पा लेने से, कुछ life में achieve कर लेने से भी नहीं मिलती है,,
ये मैने महसूस किया है ,ये अलग है, इसमें क्रोध नहीं है,इसमें वासना नहीं है,इसमें अच्छाई नहीं है, इसमें कुछ पा लेने की कल्पना नहीं है, इसमें दुख नहीं है, इसमें समय नहीं है, इसमें सोच भी नहीं है,इसमें निराशा नहीं है, इसमें प्रसन्नता नहीं है.....
इसमें कुछ भी नहीं है फिर भी ये खुद में पूर्ण है...
इसमें बस शांति है..
और वो शांति एक अलग तरह की शांति है जो बस किसी के काम आने पे होती है,किसी के जीवन को आसान बनाने से होती है,चाहे वो मनुष्य हो या कोई भी जीवित जानवर या पशु,,
उसकी भावनाएं pure पवित्र होती है जो बस आपके लिए उसी वक्त निकलती है,कुछ पलो के लिए बस,चाहे बाद में वो कुछ भी सोचें पर वो एक पल जो पवित्र होती है,उसके मन से अचानक निकलती है,और आपको वो देके चली जाती है,जो आप कितना भी पुण्य कर ले आप, खुद अर्जित नहीं कर पाएंगे और न ही मै।।।।
आज मैने महसूस किया उस पवित्र पल को जब मैने एक महिला जो चलते हुए पता नहीं कहा से आ रही थी पैदल पैदल हाथ में , JAI MATA DI का झंडा लिए अपने पति के शायद है वही होंगे वो दोनों एक साथ ,,साथ साथ चलते चलते चले जा रहे थे
,अपने मगन में,अपने साथी का साथ निभाते अपने माता रानी के दरबार में....
मैने कुछ पल सोचा फिर मैं दुकान पे जाके कुछ बिस्कुट ली और साथ में कुछ पैसे लेके उनके पास चला गया,पहले मैने उन महिला से पूछा,JAI MATA DI,आप कहां जा रही हैं,उन्होंने जवाब दिया RAJASTHAN,मै SURPRISE हो गया ,मैने उनसे दुबारा पूछा , पैदल पैदल,....उन्होंने जवाब दिया
हा।।।। मैने उनकी तरफ देख और अपने पॉकेट से बिस्कुट और कुछ पैसे निकाल के आगे बढ़ाए और बोला आप ये रख लीजिए रास्ते में आपके काम आयेंगे,,,, उनकी आंखों में जो प्रेम थी जो भावनाएं थी... वो मै चाह के भी लिख नहीं सकता क्योंकि मेरे पास मेरे शब्द ही नहीं है,
उन्होंने साफ मना कर दिया,बोली मेरे पास है और मुझे आशीर्वाद देने लगी, बहुत सारा दिल से ,मन से, ये जो पवित्रता है इसी की मै बातें कर रहा था,मै उनको THANK YOU बोल के आगे बढ़ा,,,,
मैने हार नहीं मानी मै आगे गया उनके पति के पास उनको भी मैने यही बातें बोली और आगे बढ़ाए कुछ सामान....पर मेरे उम्मीद के विपरीत उन्होंने भी लेने से साफ मना कर दिया और वो भी आशीर्वाद देने लग गए।।
मैने उन्हें ज्यादा फोर्स करना उचित नहीं समझा....उनको धन्यवाद कर के आगे चलता चला गया.....
फिर मेरे मन एक विचार आया उनके बारे में मैने कितनी गलत धारणा बना रखी थी अपने मन में की वो बस मांगने आए है और ले लेंगे, पर मै गलत था पूरी तरह से..
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और मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया,मै समझ गया कि नहीं ,किसी के काम आना कोई छोटी बात नहीं है...सबके दिल में पवित्रता होती है और आप उस पवित्रता को महसूस कर सकते है....
जिन्दगी इसी का तो नाम है।।। है ना मेरे प्यारे दोस्तों ☘️