बुद्धिमान बिल्ली और चालाक चूहा
गोलू नाम का एक चूहा था, जो बहुत ही तेज़-तर्रार और चालाक था। गाँव के सबसे बड़े घर में उसका ठिकाना था, जहाँ दिनभर खाने-पीने की भरमार रहती थी। लेकिन इस घर की मालकिन, मिसेज शर्मा, उसकी हरकतों से परेशान थीं। उन्होंने कई बार उसे पकड़ने की कोशिश की, पर हर बार गोलू बच निकलता।
एक दिन, मिसेज शर्मा ने फैसला किया कि अब इसे रोकना होगा। उन्होंने एक बड़ी और सुंदर पर्शियन बिल्ली झुमरी को घर में लाने का फैसला किया। झुमरी को देखकर गोलू पहले तो डर गया, लेकिन फिर उसने सोचा, "यह कोई मामूली बिल्ली नहीं, इसे हराने के लिए कुछ खास करना होगा!"
पहली चाल: नकली दोस्ती
गोलू ने सोचा कि पहले झुमरी से दोस्ती कर ली जाए। वह झुमरी के पास गया और बोला, "हे महारानी, आपने घर की शोभा बढ़ा दी! आपकी चमकदार सफेद फर और सुनहरी आँखें तो किसी रानी से कम नहीं।"
झुमरी को यह सुनकर बहुत अच्छा लगा। आखिर कौन तारीफ सुनकर खुश नहीं होता? उसने कहा, "वाह! तुम तो बड़े समझदार हो। चलो, दोस्ती करते हैं!"
लेकिन झुमरी यह भी जानती थी कि गोलू बहुत चालाक है। उसने सोचा, "अभी दोस्ती कर लूँ, लेकिन मौका मिलते ही इसे पकड़कर खा जाऊँगी!"
दूसरी चाल: नकली डर
गोलू जानता था कि झुमरी उसे आसानी से नहीं छोड़ेगी। एक दिन उसने नाटक किया कि वह बीमार है। वह धीरे-धीरे लंगड़ाते हुए झुमरी के पास गया और कराहते हुए बोला, "झुमरी दीदी, मुझे बहुत तेज़ बुखार है। मैं अब ज्यादा दिनों तक नहीं जी पाऊँगा।"
झुमरी को उस पर दया आ गई। उसने कहा, "अरे! तुम तो सच में बहुत कमजोर लग रहे हो। रुको, मैं तुम्हारे लिए दूध लेकर आती हूँ।"
गोलू ने सोचा, "बिल्ली अगर दूध लाएगी, तो मैं एक बार फिर जीत जाऊँगा!" लेकिन जैसे ही झुमरी दूध लेकर आई, गोलू छलांग मारकर रसोई में घुस गया और खाने की सारी चीज़ें समेट लीं। जब झुमरी दूध लेकर आई, तब तक गोलू आराम से छिपकर मिठाई खा रहा था।
अंतिम चाल: बिल्ली का अपमान
एक दिन गोलू ने सोचा कि अब तो मज़ा आ गया, लेकिन कुछ बड़ा करना चाहिए। उसने घर के सारे तकियों से रुई निकालकर फर्श पर बिखेर दी और झुमरी की पूंछ पर चिपका दी। फिर उसने मिसेज शर्मा को आवाज़ लगाई, "मालकिन, देखिए! झुमरी ने आपके तकियों की बैंड बजा दी!"
मिसेज शर्मा ने जब देखा कि झुमरी रुई से ढकी हुई थी, तो उन्हें लगा कि उसने ही सब गड़बड़ की है। गुस्से में उन्होंने झुमरी को घर से निकाल दिया।
गोलू खुशी से कूद पड़ा और बोला, "देखा, दिमाग हमेशा ताकत से जीतता है!"
सीख:
चालाकी और बुद्धिमानी से बड़ी से बड़ी मुसीबत को भी हराया जा सकता है!
बुद्धिमान बिल्ली और चालाक चूहा (भाग 2)
झुमरी बिल्ली को घर से निकाले जाने का बहुत गुस्सा आया। वह मन ही मन सोच रही थी, "इस छोटे से चूहे ने मुझे बेवकूफ बना दिया! लेकिन मैं इतनी आसानी से हार मानने वालों में से नहीं हूँ।"
झुमरी की वापसी
अगले दिन, झुमरी चुपके से वापस घर में घुस गई और अलमारी के ऊपर छिपकर बैठ गई। उसने सोचा, "अब गोलू को सबक सिखाना होगा।"
गोलू को जब पता चला कि झुमरी वापस आ गई है, तो वह डर गया। लेकिन फिर उसकी चालाकी काम आई। उसने झुमरी के सामने जाकर कहा, "झुमरी दीदी, मैं आपसे माफ़ी मांगता हूँ। मैंने आपकी बहुत बेइज्जती की। चलिए, हम दोस्त बन जाते हैं!"
झुमरी को उसकी बात पर शक हुआ, लेकिन वह बोली, "ठीक है, दोस्ती कर लेते हैं। लेकिन दोस्ती का सबूत चाहिए!"
गोलू की नई चाल
गोलू हँसते हुए बोला, "बिल्कुल! दोस्ती की निशानी के तौर पर मैं तुम्हें सबसे स्वादिष्ट चीज़ खिलाऊँगा।" उसने जल्दी से एक रसगुल्ला उठाया और उसमें थोड़ी मिर्च मिला दी। फिर बड़े प्यार से बोला, "लो दीदी, यह तुम्हारे लिए
जैसे ही झुमरी ने रसगुल्ला खाया, उसकी जीभ जलने लगी! वह उछलकर पानी पीने भागी और गोलू मज़े से ठहाके लगाकर बोला, "असली दोस्ती तो यही होती है, मीठे में थोड़ा तीखा!"
अब झुमरी समझ गई कि इस गोलू चूहे को हराना आसान नहीं है। वह बोली, "ठीक है गोलू, आज तुम जीत गए। लेकिन अगली बार, मैं तुम्हें जरूर पकड़ूँगी!"
गोलू मुस्कुराया और बोला, "देखते हैं, दीदी! जब तक मैं हूँ, तब तक खेल चलता रहेगा!"
सीख:
बुद्धिमानी और हाज़िरजवाबी से बड़ी से बड़ी मुसीबत को हल किया जा सकता है!
दीपांजलि
दीपाबेन शिम्पी गुजरात