CHANDNI KA INTZAR in Hindi Love Stories by Deepa shimpi books and stories PDF | चांदनी का इंतजार

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चांदनी का इंतजार

चाँदनी का इंतज़ार

छोटे से गाँव में, जहाँ हर सुबह पक्षियों की चहचहाहट और खेतों की ताज़गी भरी खुशबू से होती थी, वहाँ चाँदनी रहती थी। उसकी आँखें गहरी और चमकदार थीं, मानो उनमें पूरा आसमान समाया हो। वह हर शाम नदी के किनारे बैठकर किताब पढ़ा करती थी। गाँव का हर लड़का उसे देखकर ख्वाब बुनता, लेकिन उसका दिल कहीं और था।

उसका इंतज़ार था अर्जुन का। अर्जुन गाँव का ही लड़का था, लेकिन अब वह शहर में पढ़ाई कर रहा था। चाँदनी और अर्जुन बचपन से एक-दूसरे के करीब थे। गाँव की गलियों में खेलते-खेलते कब उनके दिल एक-दूसरे के लिए धड़कने लगे, उन्हें पता ही नहीं चला।

एक दिन अर्जुन ने चाँदनी से कहा था, "मैं बड़ा आदमी बनकर लौटूँगा, तब तुम्हें अपने साथ ले जाऊँगा।" और उसी वादे पर चाँदनी ने खुद को उसके इंतज़ार के लिए समर्पित कर दिया।

समय बीतता गया। चाँदनी ने हर साल अर्जुन का जन्मदिन याद रखा, हर त्योहार पर उसके लौटने की उम्मीद की। लेकिन अर्जुन से केवल चिट्ठियाँ आती थीं। उनमें सपनों का ज़िक्र होता था, लेकिन कभी यह नहीं लिखा होता था कि वह कब लौटेगा।

एक दिन गाँव में खबर आई कि अर्जुन अब एक बड़ा इंजीनियर बन गया है। उसके नाम के चर्चे पूरे जिले में हो रहे थे। लेकिन चाँदनी के लिए वह सिर्फ अर्जुन था, उसका अर्जुन।

चाँदनी की आँखें उस दिन कुछ अलग चमक रही थीं। उसने सोचा, "आज अर्जुन लौटेगा।" लेकिन दिन ढल गया और कोई नहीं आया। चाँदनी का दिल भारी हो गया।

फिर एक सुबह, जब कोहरा धीरे-धीरे छंट रहा था, अर्जुन गाँव लौटा। उसने चाँदनी को नदी के किनारे देखा, जहाँ वह हमेशा बैठा करता था। चाँदनी ने उसे देखा और उसकी आँखों से आँसू छलक पड़े। अर्जुन ने धीरे से कहा, "मुझे देर हो गई, लेकिन मैं आया हूँ। क्या तुम अब भी मेरा इंतज़ार कर रही हो?"

चाँदनी ने एक हल्की मुस्कान के साथ कहा, "तुम्हें वादा निभाने में देर हो सकती है, लेकिन मेरे इंतज़ार को कभी नहीं।"

अर्जुन ने चाँदनी का हाथ थाम लिया। गाँव के लोग दूर खड़े होकर देख रहे थे, और आसमान में सूरज धीरे-धीरे चमकने लगा, जैसे उनका प्यार पूरी दुनिया को रोशन कर रहा हो।

अंत।
चाँदनी का इंतज़ार – भाग 2

अर्जुन और चाँदनी का मिलन गाँव वालों के लिए किसी त्यौहार से कम नहीं था। अर्जुन ने सबके सामने घोषणा की, "मैं यहाँ सिर्फ चाँदनी के लिए लौटा हूँ। अब मैं यहीं रहूँगा और अपने गाँव को शहर जैसा बनाऊँगा।" यह सुनकर चाँदनी की आँखों में गर्व और खुशी का सागर उमड़ आया।

अर्जुन ने गाँव में एक बड़ा स्कूल बनाने का सपना देखा था। उसने चाँदनी से कहा, "तुम्हारा प्यार ही मेरी ताकत है। मैं यहाँ के बच्चों को वह मौका देना चाहता हूँ जो मुझे कभी शहर जाकर मिला।" चाँदनी ने मुस्कुराते हुए कहा, "मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ।"

अर्जुन ने शहर से अपने दोस्तों और निवेशकों को बुलाया। गाँव में स्कूल की नींव रखी गई। चाँदनी ने अर्जुन के साथ हर कदम पर साथ दिया। वह स्कूल में बच्चों को पढ़ाने लगी। धीरे-धीरे गाँव में बदलाव आने लगा। बच्चे अब किताबों में अपना भविष्य ढूँढने लगे ।
दीपांजलि  दीपाबेन शिम्पी