Nafrat e Ishq - 40 in Hindi Love Stories by Sony books and stories PDF | नफ़रत-ए-इश्क - 40

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नफ़रत-ए-इश्क - 40

विराट की गाड़ी अग्निहोत्री हाउस के सामने आकर रूकती है इससे पहले के ड्राइवर जाकर गाड़ी का डोर खेले विराट गाड़ी से निकलकर सीधे घर के अंदर चला गया उसके हाथ में वो फाइल अभी भी थी ।पीहू hall में काउच पर बैठकर अपने स्कूल की प्रोजेक्ट बना रही थी और अनुपमा जी वही उसके पास बैठकर उसकी हेल्प कर रहे थे।

विराट घर के अंदर आया तो सबसे पहले उसकी नजर अपनी टैब में गौर से देखते हुए पीहू पर पड़ती है तो अपने आप ही उसके चेहरे पर एक सुकून भरी मुस्कान आ जाती है । वो पीहू के पास आया और उसी के पास ही काउच पर बैठ गया  ।

अनुपमा जी उसे एक नजर देखकर  घड़ी की तरफ देखते हैं जिसमे बस 8 बज रह थे और बोले..... "आज दिन में चांद कैसे निकल आया ?"

उसकी बाते सुनकर पीहू और विराट के पीछे पीछे आता हुआ श्लोक दोनों ही हंस पड़े। विराट एक सरसरी सी नजर श्लोक पर डालकर  सर्द आवाज में बोला......"वैसे तेरे दांत टूट कर फर्श पर बिखरे हुए ज्यादा अच्छे लगेंगे । बिल्कुल सफेद मोतियों  जैसे ।"

श्लिक्र एकदम से अपने मुंह को दांतों  के तले दबाते हुए......"भाई प्रिंसेस भी तो हंस रही हैं?"

विराट पीहू के तरफ देख ते हुए सर्द आवाज में..... "प्रिंसेस हैं वो कुछ भी कर सकते हैं।"

"वैसे सच में पार्टनर आपको इस वक्त घर पर देखना तो shocking है।" पीहू ने मुस्कुराते हुए पूछा।

विराट पीहू के बिखरे बालों को उसके चेहरे पर से हटा कर कान के पीछे करते हुए...…" आपकी बहुत याद आ रही थी प्रिंसेस तो सोचा आज आपके साथ ही डिनर किया जाए। और आपके लिए एक सरप्राइज भी है ।"

पीहू एक्साइटमेंट के साथ......"क्या सरप्राइज पार्टनर ?"विराट उसके माथे को चूम ते हुए....."सरप्राइज है प्रिंसेस बोलते नहीं दिखाते है।"कहते हुए उसने पीहू का हाथ पकड़ा और उसे लेकर परी के के कमरे के और जाने लगा।

अनुपमां जी उसे पीछे से आवाज  देते हुए....."विराट पीहू को परी के पास लेकर जाना

अनुपमा जी बोलते बोलते रुक गई।

विराट उन्हें समझाते हुए...."कुछ नहीं होगा मां।आज के बाद से हमारे जिंदेगी के ऊपर लगी ग्रहण हट चुका है । अब ये ग्रहण रायचंद हाउस के ऊपर लगने वाला है । और आज मेने उसकी शुरुवात कर दी है। उसी की ही सेलिब्रेशन करना है। और इस सेलिब्रेशन की सबसे पहले हकदार परी दी है।आप भी खाना लेकर वहीं पर आ जाइए हम सब आज मिलकर वहीं पर डिनर करेंगे।".....कहते हुए वो हल्का मुस्कुरा दिया और पीहू को लेकर परी के कमरे में चला गया।

रायचंद हाऊस

रायचंद हाउस में कल से सुरु होने वाली रस्मों की जोरों शोरों से तौयार चल रही थी। जहां सब हल्दी और शादी के तैयारी में बिजी थे वहीं तपस्या अपने आप में ही खोई हुए hall के सोफे पर चुप चाप बैठी हुई थी।

चित्रा जी तपस्या को यूं खोए जुड़ देख"क्या हुआ बेटा? आप ठीक तो है ना?"तपस्या खुद में ही खोए हुए"नहीं मां हम बिल्कुल ठीक नहीं है।"चित्रा जी चिंता जता ते हुए"क्या हुआ? तबीयत तो ठीक है ना?"कहते हुए उन्हों ने उसके माथे पर हाथ रखा।चित्रा जी चिंता जता ते हुए बोले तो तपस्या होश में आकर उनका हाथ पकड़ कर"जी मां तबीयत ठीक है, बस हम थक गए है।"पीछे से तनु आकर उसे साइड हग करते हुई मजाकिया अंदाज में"वैसे दी जबसे आप की शादी की तौयार सुरु हुई है आप थक बहत जाते है। अभी से ये हाल है तो ससुराल में क्या करेंगे? आप तो हिटलर रायचंद की नाक ही कटवा देंगी।"चित्रा जी हंस कर उसके माथे पर चपत लगाते हुए"चल बदमाश क्यों चिढ़ा रही है उसे अब तो बस 3 दिन की मेहमान है ये इस घर में । उसके बाद तो मिलने केलिए भी सिद्धार्थ से परमिशन मांगनी पड़ेगी mrs तपस्या ओबरोई से।"

ये सुनते ही तपस्या एक दम से चिढ़ ते हुई गुस्से से......"हम mrs तपस्या ओबरोइय नहीं है मां।"कहते हुए ही उसकी आंखे नम हो रहीं थी।उसने कहा और चित्रा जी का हाथ झटक कर वहां से भाग कर अपने कमरे के और चली गई।चित्रा जी और तनु उसे देखते हुए"इन्हें क्या हुआ?"

तपस्या भाग कर अपने कमरे में अति है और एकदम से दरवाजा बंद कर वहीं दरवाजे के पास टिक कर खड़ी हो जाती है।एक पल केलिए वो अपने मांग में हल्के से लगी सिंदूर पर हाथ फेर ती हुई बोली"Mrs तपस्या विराट अग्निहोत्री है हम मां।" कहकर वो कपबोर्ड के पास जाकर खोल ते हुए पर्स में से विराट के पहनाए हुए मंगलसूत्र निकाल कर मिरर के तरफ अति है और मिरर में ही देख ते हुए उसे अपने गले में बांध कर मुस्कुरा कर "अब यही हमारी पहचान है।"कहते हुए उसने फोन उठाकर विराट को call लगाने लगी।

दूसरे तरफ अग्निहोत्री हाउस में.......

पीहू विराट का हाथ पकड़ कर परी के कमरे की ओर चली गई  । जहां परिणीति खुद में ही सीमेंट कर लेटी हुई खुद से ही बात कर रही थी। दरवाजा खुलने की आवाज से वो तिरछी नजर से मुड़कर देखती है तो विराट को सामने खड़ा देख मुस्कुरा देती है। लेकिन दूसरे ही पल उसके पीछे खड़ी पीहू के ऊपर नजर बढ़ते ही वो अपने दोनों हाथों को जोर-जोर से रब करते हुए गुस्से से पीहू की ओर देखने लगी।

परी को गुस्से में देख पीहू नम आंखों से मुड़ कर वापस ही जा रही थी कि विराट उसके हाथों को पकड़ते हुए....."मुश्किल से भागना मैंने आपको कब सिखाया है प्रिंसेस?"

पीहू सिसक ते हुए...."हम मम्मा के पास जाएंगे उन्हें तकलीफ होगी हम मम्मा को तकलीफ नहीं देना चाहते हैं?" विराट उसके हाथों को कसकर  उसे परी के करीब लाते हुए..... "आपकी मम्मा बहुत स्ट्रॉन्ग है पिछले 12 साल से वो बस तकलीफ ही झेल रही है और आप उनकी तकलीफ बढ़ा नहीं रही है कम करने आई है और आज से उसी की शुरुआत होगी।"

कहते हुए विराट परी के करीब आ चुका था और वही परी के बेड के पास बैठकर उसके माथे को सहलाते हुए......."आपने कहा था ना दी के आप हमारे साथ बाहर जाना चाहते हैं घूमना फिरना चाहते हैं?"परी गुस्से से पीहू की तरफ तिरछी नजर से देखते हुए......"कहा था पर सिर्फ तुम्हारे साथ जाना है।"

पीहू अपनी नज़रें झुका लेती है और मुड़कर जाने लगती है। तो विराट उसका हाथ पकड़ कर उसे अपने पास बिठाते हुए....."अगर आप चाहते हैं कि आप मेरे साथ घूमने चले तो आपको प्रिंसेस के साथ भी फ्रेंडशिप करनी पड़ेगी जैसे आप मेरे साथ डॉक्टर प्रिया के साथ मां के साथ और

"मेरे साथ....

विराट मुड़कर दरवाजे की तरफ देखा तो श्लोक हाथों में खाने का प्लेट पकड़े उनकी तरफ ही आ रहा था और उसके पीछे-पीछे अनुपमा जी भी।

विराट उसके हाथ से एक प्लेट लेते हुए......."आज में दी और प्रिंसेस एक ही प्लेट में खाना खाएंगे वो कहते हैं ना कि एक ही प्लेट में खाना खाने से प्यार बढ़ता है।"

कहते हुए उसने परी की तरफ देखा और परी की तरफ प्लेट बढ़ाते हुए बोला..... "प्रिंसेस आज मम्मा को आप खुद अपने हाथों से खाना खिलाएंगे।"

पीहू परी की ओर देख मुस्कुराते हुए प्लेट में से एक निवाला तोड़कर परी के और बढ़ा देती है। परी एक नजर उसके तरफ देखती फिर नफरत से अपना चेहरा फेरते हुए विराट के सीने से छुप जाती है।परी ने खाना तो नहीं खाया लेकिन नजरें उठाकर पीहू को देखा जरूर था। और आज शायद ही पहली बार था कि उसे पीहू को देखकर कोई पैनिक अटैक नहीं आया था नहीं उसने खुद को हार्म करने की कोशिश की थी और ये वहां पर खड़े हर शख्स ने नोटिस किया था।

विराट ने पीहू को अपने पास बिठाया और प्लेट श्लोक के तरफ बढाते हुए अपने पास रखे  फाइल को परी को देते हुए बोला....."ये आपका है दि आपका हक। आपका और प्रिंसेस का । अब वक्त आ गया है की हर किसी को अपने हिस्से का दर्द और अपने हिस्से की खुशी मिले।"कहते हुए वो दोनों को ही अपनी बाहों में भर लेता है।

परी उस फाइल के ऊपर एक नजर डालती हैं फिर उसे अपने सामने से हटा देती है। जैसे वो ना समझ कर भी बहुत कुछ समझ पा रही हो। विराट नम आंखों से उसके तरफ देखते हुए....."पता है दी आपको ये नहीं चाहिए ना ही तब चाहिए था जब आपको गोल्ड डिगर बोलकर रायचंद हाउस से  निकाल दिया गया था और ना ही अब चाहिए जब आपके भाई के पास इतने पैसे हैं कि आपको पूरी दुनिया खरीद के दे सकता है। लेकिन दी मैं शायद आपको आपकी  पुरानी दुनिया वापस न कर सकूं लेकिन जो नई दुनिया में आपके लिए बना रहा हूं उसमें बहुत सारी खुशियां होंगे हमारी खुशियां और रायचंद की बर्बादी।".....कहते हुए नफरत गुस्सा उसके चेहरे से साफ झलक रही थी।

रायचंद हाउस सुबह का वक्त

रायचंद हाउस में आज काफी चहल-पहल थी।आज रायचंद हाउस की प्रिंसेस की शादी की पहली रस्म जो थी।हल्दी के रस्में की तैयारी नीचे हॉल में जोरों सोरों से चल रही थी। वही तपस्या अभी भी अपने कमरे में येलो साढ़ी पहने अपने हल्दी केलिए तयार हुए मिरर के सामने बैठी तेज सासों  और घबराहट के साथ बेचैन हुए बार-बार अपने फोन को ही देखे जा रही थी ।

कल रात से वो न जाने कितनी बार विराट को फोन लगा चुकी थी मैसेज कर चुकी थी लेकिन  विराट ने एक बार भी नाहीं उसकी कॉल का जवाब दिया था नाहीं मैसेज का।वो नम आंखों से खुद को मिरर में देखती है गले में पहने हुए विराट के नाम के मंगलसूत्र को अपनी उंगलियों से छू कर महसूस करते हुए.......... "नहीं कर सकते हैं विराट किसी और के साथ हल्दी की रस्म नहीं होगा हमसे। हम आपके हो चुके हैं और हमें हर रस्म आपके साथ ही निभाना है। आप हमारे साथ ऐसा नहीं कर सकते हैं । आपने वादा किया था हमसे हमारी हर रस्म में आप हमारे साथ होंगे। प्लीज विराट। "

बोलते बोलते ही उसने अपनी आंखें बंद कर ली ।और कुछ ही पलों में किसी की गर्म सासें उसने अपने ऊपर महसूस किया ।आंखें बंद करते हुए ही उसके होठों पर हल्की सी मुस्कान आ गई।

मुस्कुराते हुए ही वो बोली......"अब आप हमारा सपना तो नहीं हो सकते हैं विराट।"

विराट उसके दोनों कंधे को थाम कर उसे खड़ा कर अपने और पलटते हुए......."मैं कभी सपना था ही नहीं प्रिंसेस मैं हमेशा से आपके हकीकत ही था।"......

कहते हुए उसने उसके दोनों पलकों को बारी बारी चुम्मा और माथे पर अपने होंठ रखते हुए बोला......"आपको मुझे महसूस करने के लिए मुझे देखने के लिए मुझसे बातें करने के लिए मेरी जरूरत पड़ती होगी प्रिंसेस मुझे नहीं पड़ती । मुझे आपको महसूस करने के लिए आपकी खुशबू ही काफी है जो हर पल हर वक्त मेरे आस-पास रहती है।" 

उसने तपस्या को अपनी बाहों में भर लिया और जोरो से कसते हुए बोला......."जितनी बेचैनी आपको महसूस हो रही है उससे कहीं ज्यादा बेचैनी मेरे दिल को है यूं ही आपको अपनी बाहों में भरकर रखने के लिए आपको महसूस करने के लिए। आपके अंदर कै इस प्यार को महसूस करने के लिए ।"

उसने तपस्या को खुद से अलग किया उसके गालों को चूमते हुए....... "1 मिनट प्रिंसेस अभी आया ।"

बोलकर बालकनी की तरफ गया और हाथों में एक हल्दी से भरे हुए बाउल को लाकर उसके हाथों में देते हुए उसमें से थोड़ी सी हल्दी निकालकर उसके गालों में लगाते हुए......"हैप्पी हल्दी प्रिंसेस ,आपके प्यार का रंग तो मुझ पर कब से चढ़ चुका था आज मेरे प्यार का रंग आप पर पूरी तरह से चढ़ चुका है। अब आप अगर चाहे भी तो नाहीं  इस रंग को खुद से अलग कर सकते हैं ना ही मुझे और ना ही मेरे प्यार को।"     

 

 कहानी जारी है ❤️ ❤️