एक वादा करोगी ?
क्या ?
हम इसी तरह रहेंगे न हमेशा ?
हां बिल्कुल तुम्हे छोड़ कर जाना मेरे लिए इतना आसान नहीं है ।
मेरे लिए भी ।
और अगर बिछड़े तो ?
तो भूल जाना।
कैसे ? मैं ढूंढ लूंगा तुम्हे।
मिल जाएगी तुम्हें मुझसे भी सुंदर लड़की , दुनिया भरी पड़ी है बला की खूबसूरत राजकुमारियों से ।
कैसे बाते कर रही हो ? मेरे लिए तुमसे ज्यादा सुंदर इस दुनिया में कुछ भी नहीं ।
वक्त सब कुछ बदल देता है , सोच और पसंद दोनों।
तुम देख लेना , एक दिन मैं आऊंगा और ले जाऊंगा तुम्हें तुम्हारे घर से ।
इंतजार रहेगा उस दिन का ।
हां देखना , जो ये प्रेम कहानियों के किस्से हम सुनते है न अभी , कल को हमारी प्रेम कहानियां भी सुनाई जाएगी इसी तरह ।
फिल्मे देखना बंद कर दो , असल जिंदगी में ऐसा कुछ भी नहीं होता ।
तुम भी न , हमेशा यही सोचती रहती हो की कैसे हमारे प्रेम में विलीन इस क्षण को बर्बाद कर सको।
मैं सिर्फ तुम्हें सच से अवगत कराती हूं।
नहीं तुम्हारी बाते सच नही है , देखना एक दिन मैं तुम्हारे सारे फिजूल के खयालों को झूठा साबित कर दूंगा।
चलो अच्छा , तुम जीते मैं हारी बस ?
नहीं , देखना एक दिन हम जीतेंगे और ये दुनियां हार जाएगी ।
कौन सी फ़िल्म देखी है आज ? जनाब !
रांझणा ।
हम्म......जानती थी मैं ।
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"कहा था मैंने तुमसे अनय , समय सब बदल देता है - सोच और पसंद दोनों । कहा था , जो तुम देख रहे हो वो बस एक क्षणिक स्वपन की तरह है , जो एक पल में नष्ट हो जायेगा । कहा था , भूल जाना मुझे अगर बिछड़े कही और खुश हूं की तुमने मेरी कम से कम ये बात तो मानी ।
अब तो हम इतने दूर है की तुम आकर भी ये दूरियां नही मिटा पाओगे और न ही तुम आओगे । उस रात अगर तुमने जानें से पहले एक बार वो यादें दोहरा ली होती तो शायद , आज तुम्हारी बातों को मैं सच मानती और हम साथ होते । अनय जिस पहर तुम गए , सब कुछ ठहर गया , सारी बाते अधूरी रह गई और अब वो शायद कभी पूरी नहीं हो सकेंगी ।
इस जहां में तो मैं तुम्हें आसानी से मिल गई , तो तुम्हें मेरी कदर नहीं हुई पर शायद उस जहां में सिर्फ सच्चे दिलों को सुना जाता होगा । और अगर हुई मेरी सुनवाई उस जहां में तो , मैं तब भी तुम्हें ही मांगूगी लेकिन इस बार छोड़ कर जाने का इरादा मत लाना । इस जहां में खोकर उस जहां में पाना चाहती हूं मैं तुम्हें ।" - तुम्हारी प्रेमिका ।
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अनय ने एक बार फिर पिछले तीन साल की तरह इस साल भी अपने जन्मदिन के दिन शालिनी के लिखे इस आखिरी पत्र को पढ़ कर अपनी आखों से झलके उस आंसू को साफ किया जो उसके गालों पर उसकी ग्लानि की तरह चमक रहा था । शालिनी का वो चेहरा उसकी आंखो के सामने फिर से आया जिस चेहरे को उसने ये कहकर छोड़ दिया था की - ' शायद हमारे नसीब में यही लिखा है शालिनी ।' उसे याद आई आज फिर से उसकी वो पागल प्रेमिका , जिसने अपने प्रेम के विरह में देह त्याग कर दिया , इस पीढ़ी में , जहां लोग एक प्रेम का अधूरापन पूर्ण करते है दूसरे प्रेम से । शालिनी ने कभी उसे कोई वचन नहीं दिया और अनय ने हजारों दिए पर शालिनी ने बिना वचनों के अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया अपने प्रेमी पर और अनय नही कर सका । परंतु अनय आज भी उसे एक ख्वाब की तरह रखता है मानो उस पत्र में आज तीन साल बाद भी शालिनी की आत्मा हो जो उसे किसी और का नही होने दे रही , उसकी लाख कोशिशों के बावजूद भी । शायद शालिनी का प्रेम वास्तव में सच्चा था बिना किसी वादे के और अनय का झूठा , हजारों वादों के साथ भी !!
क्या लगता है ?
- (आकृति )