Untold in Hindi Love Stories by Akriti Pandey books and stories PDF | अफ़सोस !

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अफ़सोस !

"मेरे जाने के बाद सबसे कम अफसोस तुम्हें ही होगा !"

" ऐसा मत कहो !"

"सच कह रही हूं ।"

"भला तुम ऐसा कैसे कह सकती हो ?"

रेखा ने एक बड़ी सी मुस्कान दी !

"मुस्कुराओ मत , साफ साफ कहो न ऐसा क्यों कह रही हो ? क्या तुम्हें मेरा प्रेम स्वार्थी लगता है या तुम्हें लगता है की मैंने तुमसे कभी प्रेम नहीं किया ?"

"नहीं , नहीं ऐसी कोई बात नहीं है ! इस संसार में मुझे सबसे ज्यादा सिर्फ़ तुमसे ही प्रेम मिला है ।"

"तो ये तुम हमेशा जानें या मरने की बातें क्यों करती रहती हो क्या मेरा प्रेम तुम्हें जिंदगी देने के लिए पर्याप्त नहीं ?"

"अरे... चलो बस भी करो आओ चाय पीने चलते है ।"

रेखा ने सचिन के हाथों में अपना हाथ डाला और उसे अपने साथ ले गई ।

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"क्या कर रहे है आप ! शाम के 7 बज गए है और आज हमे बाज़ार भी तो जाना था ? 

कब तक आप उस ड्राइंग रूम में बैठ कर सिगरेट पीते रहेंगे ?"

"हां हां भाग्यवान आता हूं !"

"पता नहीं क्या करते है तीन - तीन , चार - चार घंटे वहां बैठकर ।"

रागिनी फुसफुसाते हुए कहती है ।

सचिन अपनी डायरी में रेखा की तस्वीर हलके से पन्नों के बीच रख कर उस डायरी को सीने से लगा लेता है ।

आज सचिन एक प्रसिद्ध लेखक है और रागिनी उसकी पत्नी । 

रागिनी को अपने पति के लेखक होने पर बहुत अभिमान है पर वो इतना नही जानती की उसका पति कभी लेखक बनना ही नहीं चाहता था ।

 रेखा सचिन के लिए गजले और कहानियां लिखा करती थी । रेखा एक लेखिका थी और रेखा के दुनियां छोड़ने पर सचिन ने उससे वादा किया था की वो एक दिन एक प्रसिद्ध लेखक बनेगा सिर्फ अपनी रेखा के लिए ।

सचिन शादी नहीं करना चाहता था परंतु समाज और परिवार के दबाव में आकर उसने रागिनी से शादी की । हालाकि सचिन को रागिनी से प्रेम है पर वो दूसरा प्रेम कभी पहले प्रेम का स्थान नही ले सकता । 

वो ड्राइंग रूम में बैठ कर सिगरेट पीते हुए अपनी कहानियां लिखता है। उसे लगता है मानो रेखा ठीक उसके सामने बैठ कर उसकी कहानियों के नायक और नायिका के बारे में उसे बता रही है और वो बस उसे लिखने का काम कर रहा है । आज तक उसने रेखा के लिए कोई भी किताब नही लिखीं । 

सचिन उठ कर ड्राइंग रूम से बाहर निकल कर अपने कमरे में जाता है ।

कमरे में प्रवेश करते ही रागिनी उससे कहती है की - " देखना , मैं मर जाऊंगी न तो सबसे कम अफ़सोस आपको ही होगा।"

इतना सुनते ही सचिन उसे गले से लगा लेता है और उसके सर पर अपना हाथ बड़े ही प्रेम से सहलाता है । उसे अफसोस है की अगर उसने उस दिन रेखा को अपने सवाल जवाब में न उलझाकर इसी तरह गले से लगा लिया होता तो शायद आज रेखा यहां उसके पास होती न की सिर्फ उसकी डायरी के पन्नों के बीच कैद होती ।

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खैर सचिन आजकल एक कहानी लिख रहा है जिसका शीर्ष

क है - "अफ़सोस !"