The Situation Self - 3 in Hindi Motivational Stories by ADARSH PRATAP SINGH books and stories PDF | The Situation Self - 3

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The Situation Self - 3

### **परिवर्तन की ओर**

 **भाग 3: आत्म-विश्वास और संचार कौशल**

 **अध्याय 3: सही ढंग से बोलना और प्रभावशाली बनना**

 आरव की यात्रा अब एक नए पड़ाव पर पहुँच चुकी थी। उसने खुद को समझना शुरू कर दिया था, अपनी भावनाओं को नियंत्रित करना सीख लिया था, लेकिन अब उसे एहसास हुआ कि उसके आत्म-विश्वास और संचार कौशल में सुधार की ज़रूरत है। वह जानता था कि सही ढंग से बोलना और प्रभावशाली बनना उसके व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में बड़ा बदलाव ला सकता है।  एक दिन, आरव को अपने ऑफिस में एक प्रेजेंटेशन देना था। यह उसके करियर का एक महत्वपूर्ण मौका था, लेकिन उसे डर था कि वह अपनी बात सही ढंग से नहीं रख पाएगा। उसकी आवाज़ काँप जाएगी, उसके हाथ पसीने से तर हो जाएँगे, और वह अपने विचारों को स्पष्ट रूप से व्यक्त नहीं कर पाएगा।  उसने अपनी डायरी में लिखा:  **"मेरी चुनौती: प्रभावशाली संचार और आत्म-विश्वास।"**  आरव ने फैसला किया कि वह इस चुनौती को स्वीकार करेगा और अपने संचार कौशल को सुधारेगा।

उसने इसके लिए तीन मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित किया:

 1. **सही ढंग से बोलना**

 2. **बॉडी लैंग्वेज को समझना और सुधारना**

 3. **पब्लिक स्पीकिंग में महारत हासिल करना**  ---###

**1. सही ढंग से बोलना**

 आरव ने सबसे पहले अपने बोलने के तरीके पर ध्यान दिया। उसने महसूस किया कि वह अक्सर जल्दबाज़ी में बोलता है, जिससे उसकी बात स्पष्ट नहीं हो पाती। उसने निम्नलिखित तकनीकों को अपनाया:  

- **धीरे और स्पष्ट रूप से बोलना:**

उसने खुद को रिकॉर्ड करके सुना और अपनी गति और स्पष्टता में सुधार किया।  -

**शब्दों का सही चयन:**

उसने अपनी शब्दावली को समृद्ध करने के लिए रोज़ नए शब्द सीखने शुरू किए।  -

**सक्रिय सुनना:**

उसने दूसरों की बात ध्यान से सुनना शुरू किया ताकि उनके विचारों को बेहतर ढंग से समझ सके।  ---

**2. बॉडी लैंग्वेज को समझना और सुधारना**

 आरव ने पाया कि संचार सिर्फ शब्दों तक सीमित नहीं है। बॉडी लैंग्वेज भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। उसने निम्नलिखित बातों पर ध्यान दिया:  -

**आँखों से संपर्क बनाए रखना:**

उसने सीखा कि आँखों से संपर्क बनाए रखने से आत्म-विश्वास और विश्वसनीयता बढ़ती है।  -

**सीधा खड़ा होना:**

उसने अपनी पोस्चर को सुधारा और सीधे खड़े होने की आदत डाली।  -

**हाथों का सही इस्तेमाल:**

उसने हाथों के इशारों को प्राकृतिक और सहज बनाने की कोशिश की।  ---

**3. पब्लिक स्पीकिंग में महारत हासिल करना**  आरव ने पब्लिक स्पीकिंग को अपनी सबसे बड़ी चुनौती माना। उसने इसके लिए निम्नलिखित कदम उठाए:  - **तैयारी:**

उसने अपने प्रेजेंटेशन की अच्छी तरह से तैयारी की और अपने विचारों को स्पष्ट रूप से व्यवस्थित किया।  -

**अभ्यास:**

उसने अपने दोस्तों और परिवार के सामने प्रैक्टिस की और उनसे फीडबैक लिया।  -

**सकारात्मक सोच:**

उसने खुद को याद दिलाया कि गलतियाँ सीखने का हिस्सा हैं और उनसे डरना नहीं चाहिए।  

**प्रेजेंटेशन का दिन**

 प्रेजेंटेशन के दिन, आरव ने गहरी साँस ली और खुद को शांत किया। उसने अपनी बॉडी लैंग्वेज पर ध्यान दिया, आँखों से संपर्क बनाए रखा, और धीरे-धीरे बोलना शुरू किया। उसने महसूस किया कि उसकी आवाज़ स्पष्ट और आत्मविश्वास से भरी हुई है।  जब प्रेजेंटेशन खत्म हुआ, तो उसके सहकर्मियों और मैनेजर ने उसकी तारीफ की। उसे एहसास हुआ कि उसने न सिर्फ अपने विचारों को प्रभावशाली ढंग से पेश किया है, बल्कि अपने आत्म-विश्वास को भी बढ़ाया है।  उस रात, आरव ने अपनी डायरी में लिखा:  **"आज मैंने सीखा कि सही ढंग से बोलना और प्रभावशाली बनना कोई जन्मजात गुण नहीं है, बल्कि यह एक कौशल है जिसे सीखा और सुधारा जा सकता है। मैंने अपने संचार कौशल और आत्म-विश्वास को बढ़ाने की दिशा में पहला कदम उठाया है।"**