Manzile - 20 in Hindi Women Focused by Neeraj Sharma books and stories PDF | मंजिले - भाग 20

Featured Books
  • Schoolmates to Soulmates - Part 11

    भाग 11 – school dayनीतू जी तीनो को अच्छे से पढाई करने की और...

  • बजरंग बत्तीसी – समीक्षा व छंद - 1

    बजरंग बत्तीसी के रचनाकार हैं महंत जानकी दास जी । “वह काव्य श...

  • Last Wish

    यह कहानी क्रिकेट मैच से जुड़ी हुई है यह कहानी एक क्रिकेट प्र...

  • मेरा रक्षक - भाग 7

    7. फ़िक्र "तो आप ही हैं रणविजय की नई मेहमान। क्या नाम है आपक...

  • Family No 1

    एपिसोड 1: "घर की सुबह, एक नई शुरुआत"(सुबह का समय है। छोटा सा...

Categories
Share

मंजिले - भाग 20

     (वो छोकरी )  ---- एक पैदा करके छोड़ आये, दुसरीया उसको नाम नहीं दे रहे। बहुत न नंसाफी कर दिया।
                      " टक टक टक थक थक" की आवाज़ ने लोरी मात्र जैसे चंदा को सोवा दिया था। गाड़ी चल रही थी। मथरा इसका जक्शन था। बर्थ पे कुछ मनचले बैठे उसको नेहारे जा रहे थे। उसके भरवे बदन का उसका थोड़ा दोष था? जवानी की दहलीज़ थी। सब बहक जाते हैं। मनचले भी देख कर बहक गए।
                             " सोई हुई थी " जनक ने कहा.. "काहे तंग करते हो। " चंदा ने निहारा, " पांच सो के नोट देख कर बोली, " मै कुछ वेचती नहीं, मैदान मे आ, साले। " चुप, सनाटा  था एक दम से। औरत अगर न बोले तो सब टिचर करे, अगर बोले तो सब उसकी विचालता को सुन कानो मे ऊगल ले लेते हैं।
                       " अब कया हुआ, साले चुप ही कर गए, पांच सो से झोपडी खरीद रहे थे कया। " वो बिलकुल बेशर्मी से बोली। तभी उनमे से कोई दबी आवाज़ मे बोला, " नहीं माँ हम इसके ग्रहाक नहीं। " तभी वो जोर से हसे। अब कया पसीने छूट गए कया... माँ कहते हो, सालो छटी का दूध चेते करा दूगी। " एक धीमी आवाज मे बोला, " चालू हैं। " 
                  " कौन बोला, चल कोई न, कोई भी बोला हो, खून साले का पानी हैं " वो एक दम तिलमिला गयी। " चालू करने वाला भी मुझे कोई चालू मिला था। " फिर वो हस पड़ी। "साले को गुदाम मे लेने का शौक था। "  वो एक दम से तैयार थी। एक गरजा तो उसने इतनी जोर से घुसा मारा... कि गाड़ी मे चीख कुर्लाहट मच गया। खून की थीर निकल पड़ी। 
                      स्टेशन के करीब गाड़ी की चीख.... लगता हैं कोई स्टेशन आ गया। जनक ही था, बाकी सब खिसक गए थे। " आप जैसी हर शहर मे गांव मे हो, तो रेप कभी न हो " उसने सलीके से कहा।
                      वो बोली ----" रेप होते नहीं, करवाती हैं, कयो जवाब नहीं देती.... कयो कम कपड़े पहनती हैं। " फिर चुप... गाड़ी मे बैठे लोग उसे जैसे सलूट कर रहे हो.... सच्ची बात मे दम था।
                       मथुरा जक्शन पे गाड़ी रुकी। वो उतरी। शाम का समय..... नानी का घर बाके बिहारी के पुराने वाले  के पास ही था। जनक और वो कुछ देर साथ चले। फिर वो सकरी गली से अंदर चली गयी थी।
                    लेट सोने की वजह से, दुपहर को उठी। और बहार के फूलों की माला बनाने लगी। एक एक फूल परो रही थी। किस्मत फूलों की भी उसके जैसी थी... भगवान के गले का श्रृंगार बने... तो उपमा निराली होती थी, अगर कोठे पे फेक दिए जाते थे... फूलो की किस्मत ऐसी ही होती हैं।
                     तभी नानी ने आवाज़ दी। " चंदा अरी ओ चंदा " चंदा नीचे भागी आई। " देख ये जनक हैं, मेरी गोद मे खेला हैं, इसे मंदिर को दिखा आ। " नानी ने जैसे हुक्म दिया हो।
                         " ठीक हैं नानी.... मै अभी जाऊ। " 
" और कब जाओगी... ये भी मेरी मत मार देती हैं। " नानी एक पोडे पे बैठती बोली। जनक को देख चंदा हैरान यही थी। मन मे बोली " ये कार्टून सा किधर से आ गया.. नानी का लाडला।
(चलदा ) ------------- नीरज शर्मा ----