📖 अध्याय 1: खोई हुई तलवार का पहला संकेत
एक आजमगढ़ नामक शहर, जहाँ एक रहस्य उजागर होने वाला है।
आधी रात का समय हो चुका था। चाँद बादलों में गायब हो चुका था। चारों ओर घना अंधेरा था। इस घने अंधेरे के बीच, एक घर की सबसे पुरानी अलमारी, जो पुरानी किताबों और कागज़ों से भरी हुई थी, खड़ी थी।
एक बूढ़ा उस अलमारी में कुछ खोज रहा था। पुराने कागज़ों के बीच उसके हाथ एक बहुत पुरानी किताब लगी, जिसमें वह राज़ था, जिसे सदियों से दुनिया भूल चुकी थी।
वो बूढ़ा ये राज़ जानकर काँपते हुए बोला, "अल-अमानह... आखिरी वारिस का समय आ गया है!"
उस बूढ़े का नाम शेख हमजा था, जो 81 वर्ष का था। वो आजमगढ़ के रहस्य के बारे में अमीर ताहिर के बारे में सुना था।
जब वो किताब पढ़ रहा था, तो एक आदमी छुपकर उसकी कुछ बातें सुन चुका था। वह सारी बातें नहीं सुन पाया, क्योंकि शेख हमजा बहुत धीमी आवाज़ में पढ़ रहे थे।
दरवाज़े के पास छुपा हुआ आदमी अमीर ताहिर का जासूस था।
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🔹 अमीर ताहिर की साज़िश
अमीर ताहिर एक अत्याचारी आदमी था, जो पूरी दुनिया पर हुकूमत करने का सपना देख रहा था। वह एक खरनाक चीज को खोज रहा था।
शेख हमजा को उस खास तलवार तक पहुँचने का रास्ता मिल गया था, क्योंकि उसे किताब में एक नक्शा भी मिला था।
जासूस ने भी वह नक्शा देख लिया।
शेख हमजा को महसूस हो गया कि कोई उसकी जासूसी कर रहा है। लेकिन इससे पहले कि वह कुछ कर पाता, जासूस ने वहाँ से भागकर सारी बात अमीर ताहिर को बता दी।
अमीर ताहिर ने यह सुनते ही अपने साथियों को इकट्ठा किया और शेख हमजा के घर की ओर चल पड़ा।
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🔹 शेख हमजा बनाम अमीर ताहिर
शेख हमजा, जो बूढ़ा ज़रूर था, लेकिन उसकी आँखों में अब भी तेज था।
जैसे ही उसने अमीर ताहिर को अपने घर में दाखिल होते देखा, वह गुस्से से बोला,
"तेरी मेरे घर आने की हिम्मत कैसे हुई?"
अमीर ताहिर ज़ोर से हँसा और बोला,
"तू कौन होता है मुझे रोकने वाला? एक दिन मैं दुनिया जीतूंगा, सिकंदर की तरह, और दुनिया मुझे सलाम करेगी... और उसका रास्ता तू बताएगा, बूढ़े शेख हमजा!"
यह सुनकर शेख हमजा और गुस्से में आ गया।
"दुनिया जीतने का तेरा ख्वाब, ख्वाब ही रहेगा... और कौन सा रास्ता जिसकी बात कर रहा है तू?"
अमीर ताहिर ने आँखें तरेरते हुए कहा,
"अल-अमानह! कहाँ है? तुझे क्या लगता है, ये रहस्य बस तुझे ही पता है? ये बात मुझे दस साल से पता है! मैं खुद उसे ढूंढ रहा हूँ... अब मेरी तलाश खत्म होगी!"
शेख हमजा ने ठंडी आवाज़ में कहा,
"अपनी गंदी ज़बान से उसका नाम मत लेना, अमीर ताहिर! वो तलवार तो आखिरी वंशज को ही मिलेगी। आजमगढ़ का वंशज अभी ज़िंदा है, और मैं तुझे कुछ भी नहीं बताऊँगा!"
अमीर ताहिर उसे नक्शे के बारे में पूछता है, लेकिन शेख हमजा उसे कुछ भी बताने से इनकार कर देता है।
हालांकि, शेख हमजा ने नक्शा पहले ही छुपा दिया था।
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🔹 अमीर ताहिर का शेख हमजा पर हमला
अमीर ताहिर गुस्से में आ गया और चिल्लाया,
"अगर तू नहीं बताएगा, तो मैं अपने तरीके से जवाब निकालूँगा!"
उसने अपने आदमियों को आदेश दिया, "पूरे घर की तलाशी लो!"
जब उसके आदमी घर की तलाशी ले रहे थे, शेख हमजा भागने की कोशिश करता है।
यह देखकर अमीर ताहिर और उसके सैनिक उसका पीछा करते हैं।
उन सैनिकों के पास एक अजीब हमला करने वाली पिन थी, जो दूर से निशाना साधकर चुभोई जाती थी।
शेख हमजा पर यह पिन कई बार लगी, जिससे वह गहरे ज़ख्मों से घायल हो गया।
शेख हमजा, जो अब बहुत कमजोर हो चुका था, किसी तरह एक तंग गली में एक घर में छुप गया।
अमीर ताहिर के सैनिक उसे खोज नहीं पाए और वहाँ से चले गए।
अब शेख हमजा को आखिरी वारिस को ढूंढना था...
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🔹 अली की एंट्री
अगले दिन – दोपहर का समय।
20 वर्षीय अली, जो एक व्यापारी का बेटा था, नेकदिल, ईमानदार और सबकी मदद करने वाला लड़का था।
लेकिन अली अपनी ज़िंदगी से संतुष्ट नहीं था।
उसे हमेशा लगता था कि वह कुछ बड़ा करने की हिम्मत रखता है, और एक दिन वह कुछ महान करेगा।
अली बाज़ार में जा रहा था, तभी एक घायल बूढ़ा आदमी उसके पास आकर गिरा।
वह शेख हमजा था।
शेख हमजा ने दर्द से कराहते हुए कहा,
"अली... तुम आखिरी वारिस हो... वो तलवार... अल-अमानह... हासिल करो..."
अली यह सुनकर हैरान रह गया।
"कौन सी तलवार...? ये अल-अमानह क्या है...? आखिरी वारिस...? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा!"
अली ने बूढ़े शेख हमजा को और कुछ कहने के लिए हिलाया, लेकिन अधिक घायल होने की वजह से शेख हमजा दम तोड़ देता है।
अब अली के मन में सवालों का तूफान उठ गया।
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🔹 अली पर पहला हमला
इतने में वहाँ भीड़ इकट्ठा हो गई।
भीड़ में से किसी ने अली पर इल्ज़ाम लगाया,
"अली! ये तुमने क्या किया? तुमने इसे क्यों मारा?"
अली सबको समझाने की कोशिश करता है कि वह पहले से ही घायल था।
भीड़ धीरे-धीरे मान जाती है, लेकिन अमीर ताहिर के जासूस वहाँ पहले ही आ चुके थे।
उन जासूसों ने अली पर नज़र रखनी शुरू कर दी।
जैसे ही अली अपने घर की ओर बढ़ा, जासूसों ने उस पर हमला कर दिया।
अली किसी तरह जान बचाकर भागा, और एक तंग गली में एक पुराने घर में छुप गया।
जासूस उसे खोज नहीं पाए और वहाँ से चले गए।
अब अली खुद को एक गहरे रहस्य में फँसा हुआ महसूस कर रहा था।
उसके कानों में अब भी शेख हमजा के आखिरी शब्द गूँज रहे थे...
"अल-अमानह... आखिरी वारिस..."
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🔹 आगे क्या होगा?
क्या अली को अपने सवालों के जवाब मिलेंगे, या वह और उलझ जाएगा?
क्या अमीर ताहिर को उसके बारे में सच्चाई पता चल जाएगी?
क्या अली अल - अमानह का रहस्य का रहस्य जान पाएगा ?
आखिर वो बूढ़ा शेख हमजा कौन था ? क्या उसकी मौत सिर्फ पिन लगने से ही हुई?
वो अली को कैसे जानता था?
सवाल बहुत सारे हैं , जानने के लिए देखिए Chapter 2 on
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To be continued.......