कलावती का मतलब होता है कलात्मक या देवी पार्वती का रूप,पर उसके नाम के विपरीत कलावती एक निम्न सी नाक नक्शे वाली , साधारण सी या कहूं तो साधारण से भी नीचे दर्जे की एक सामान्य सी लड़की थी ,जिसका उसके दादा के सिवा इस दुनियां में कोई नहीं था।
एक कार दुर्घटना में उसके सभी चाहने वाले परिवार के सदस्य इस दुनिया को छोड़ कर चले गए, और वो अकेली रह गई अपने दादा जी के साथ।
उस एक्सीडेंट में वो भी उसी कार में बैठी थी पर उसकी जान किसी तरह बच गई,पर उसके सिर में बहुत चोट आई थी जिसके वजह से वो कई साल कोमा में रही।
उसे पता भी नहीं था कि उसके जीवन की सारी खुशियां चली गई थीं और वो अकेले इस दुनिया में रह गई थीं।
कई साल बीत गए उसे कोमा में ,जब वो कोमा में गई थी तो सात साल की थी और अब पंद्रह साल बाद 22 साल की हो गई है।
एक दिन उसके दादा के घर हॉस्पिटल से फोन आता है कि कलावती को होश आ गया है।
दादा जी को खुशी का ठिकाना नहीं रहा,वो जल्दी से हॉस्पिटल जा पहुंचे।
डॉक्टर से पूछा कैसी है मेरी बच्ची...
डॉक्टर ने बताया कलावती को अब होश आ गया है ,पर इसकी याददाश्त चली गई है, इतने साल कोमा में रहने के बाद अब इसे कुछ भी याद नहीं रहेगा, आप इसे यहां से ले जा सकते है।
दादा जी ने भगवान का शुक्र अदा किया और हॉस्पिटल के उस रूम में चले गए जहां 15 सालों से कलावती कोमा में थी । उन्होंने देखा एक बेड के कोने में कलावती गुम सूम सी बैठी हुई है,वो उसके पास जाके बगल में बैठ गए और बोले कैसी हो बेटी,कोई बात नहीं अब तुम ठीक हो।
कलावती ने उस बुजुर्ग को ध्यान से देखा और बोली आप कौन है,और मै यहां कैसे आ गई । मैं तो अपने कमरे में सोई हुई थी और अब यहां हॉस्पिटल में कैसे हु बताईए। मुझे क्या हुआ था, मुझे कुछ भी याद नहीं आ रहा है।
दादा जी ने समझाने की कोशिश की , बेटी तुम बहुत दिनों से बीमार थी इसलिए तुम्हे कुछ याद नहीं। धीरे धीरे तुम्हे सब याद आ जाएगा,चलो मेरे साथ हमारे घर,मै तुम्हारा दादा हु। कलावती को विश्वास नहीं हो रहा था, उसे लग रहा था कि वो तो कल ही कही जा रही थी लेकिन उसके बाद उसे कुछ याद नहीं आ रहा था।
डॉक्टर के बहुत समझाने के बाद वो उस बुजुर्ग व्यक्ति के साथ चलने को राजी हो गई,बोली कहा चलना है, दादा जी ने जवाब दिया नैनीताल में एक गांव है जिसका नाम नयागांव है ।
नयागांव तो नाम था पर कोई सुख सुविधाएं नहीं थी वहां, वहां तक तो न ही पक्की सड़क जाती थी और न ही बिजली थी, सही मायनों मे आज भी वो गांव आधुनिक शहरों या गांवों से बहुत बहुत ज्यादा पिछड़ा हुआ था,
इसका एक कारण वहां पहाड़ों में , जंगलों में बस हुआ भी होना था, जिसे सरकार ने फॉरेस्ट जोन घोषित कर रखा था। कलावती चौंक गई,बोली मेरा घर नैनीताल में नहीं दिल्ली के एक शहर महिपालपुर में है ,आप गलत बोल रहे है,मुझे मेरे घर जाना है....
लाख समझाने के बाद सबके वो जाने के लिए राजी हुई।
घर के नाम पे एक छोटा सा मकान था, जो जंगलों के बीच में था, गांव के नाम पे बस कुछ घर ही थे जो बहुत दूर दूर थे। पहले तो उसे लगा कि वो कहां आ गई है, बाद में धीरे धीरे उसे सुकून सा मिलने लगा वहां। बहुत शांति जो थी।
डॉक्टर ने साथ में एक नर्स भेजा था जिसका नाम प्रदीप था,वो अपने काम में ईमानदार था, इतने सालों से कलावती का ध्यान वही रख रहा था,एक तरह से कहु तो उसको कलावती का ध्यान रखने की आदत सी हो गई थी,उसे उसकी चिंता होती थी कि इतने सालों से उसने दुनिया को नहीं देखा था ।
कुछ दिन तो प्रदीप ने अच्छे से उसका ध्यान रखा पर अब उसकी उमर हो गई थी,वो हर रोज इतनी दूर पहाड़ों पे नहीं आ सकता था, उसने कलावती के दादा जी को बोला, सर मै नहीं आ पाऊंगा मुझे दिक्कत होती है, मेरे घर वाले भी परेशान हो जाते है,मै एक लड़के को जनता हु ,वो यही पे रहकर कलावती की देख भाल कर लेगा,ऐसा बोल के प्रदीप वहां से चले गए, कलावती उदास हो गई, क्योंकि दादा जी तो जंगल में चले जाते थे खेती करने और वो अकेली रह जाती थीं घर में।
अगले दिन सुबह सुबह ही एक लड़के ने जिसकी उम्र मुश्किल से 18 साल की रही होगी,घर की बेल बजाई।
कलावती ने दरवाजा खोला,सामने उस लड़के को देख कर वो थोड़ा घबरा सी गई ,ध्यान से देखा तो पता चला एक अमीर घर का लड़का ,अपने पीठ पे levis का बैग टांगे , मुंह में सिगरेट लिए खड़ा था, दादा जी तो काम पे चले गए थे,वो घर में अकेली थी, पूछा आप कौन है,
लड़के ने सिगरेट फेंकते हुए बोला ,mam मै जेम्स हु , प्रदीप sir ने भेजा है।
प्रदीप का नाम सुनते ही कलावती ने दरवाजा खोल दिया और बोली आ जाओ।
जेम्स बचपन से ही खुले दिल का लड़का था, उसे प्रकृति में बहुत लगाव था,शायद डॉक्टर साहब के पैरवी के वजह से ही वो यहां आया था। जेम्स को ये जगह बहुत सुंदर लग रही थी,उसके कलावती से पूछा पेशेंट कौन है, मरीज़ कौन है।।
कलावती थोड़ा मुंह बना के बोली कैसा है ये लड़का, प्रदीप जी भी न किसी को भी भेज देते है, बोली मरीज़ मै ही हु,आपको प्रदीप जी ने कुछ नहीं बताया है क्या,
ये बोल के वो उसे उसका कमरा दिखाने लगी।
जेम्स थोड़ा सा घबरा गया, बोला सॉरी मुझे नहीं पता था कि आप है,मुझे लगा कोई बुजुर्ग होंगे,कोई नहीं सॉरी। बोल के जेम्स ने अपना बैग अपने कमरे में रख लिया और कपड़े बदलने लगा, कलावती ऐसा देख के बोली आप दरवाजा बंद कर लीजिए मै,पानी लाती हु ऐसा बोल के वो निकल गई, मन में ही सोचने लगी क्या है ये,मै मरीज़ हु और मैं ही इसकी सेवा कर रही हूं।।
धीरे धीरे दोनों का ऐसे बेपरवाह अंदाज दोनों को पास ले आया,दोनों एक दूसरे से दिन भर बाते करते ,एक दूसरे का मजाक उड़ाते,एक दूसरे से लड़ते, जैसे जैसे दिन गुजर रहे थे दोनों का रिश्ता और मजबूत हो रहा था।
1 साल कैसे बीत गया देखते देखते पता ही नहीं चला,एक सुबह जब दादा जी काम पे नहीं गए तो कलावती उनको उठाने गई, सोचा दादा जी तो आज बहुत सो लिए, जाके उनको जगाने की कोशिश करने लगी,पर वो कहां जागने वाले थे,वो तो शांति में लीन हो गए थे,इस पूरी दुनिया में कलावती को अकेला छोड़कर।।
वो वही बैठी रोती रही पता नहीं कितने घंटे.......
कुछ देर बाद गांव वालों को खबर लगी,सब आ गए, पूरा घर भर गया,सब यही बातें कर रहे थे ,अब इस बेचारी का क्या होगा, कहां जाएगी, क्या करेगी अकेले,,
जेम्स कोने में बैठे कलावती को देख रहा था,जो कि शून्य थी, कोई भाव नहीं था उसके चेहरे पे,बस एक टक दादा जी को देखे जा रही थी,जो अब भी जैसे कह रहे हो, बेटी मै हु न।।।।।।।।।।।।।।
दादा जी का सब काम होके गांव वाले एक एक कर के अपने घर को चले गए, अब बस कलावती और जेम्स ही बचे थे।दोनों एक दूसरे से बात नहीं कर रहे थे,पर जेम्स को जैसे कलावती की मन की बाते पता हो,वो जनता था कि दादा जी क्या मायने रखते थे।।
ऐसे ही कुछ दिन बीत गए, हिम्मत कर के जेम्स ने कलावती से पूछा,अब यहां रहने से क्या होगा,जो होना था वह हो चुका है,तुम आगे क्या करने वाली हो बताओ।
कलावती रुंधे हुए आवाज़ में बोली.. पता नहीं,मुझे तो कुछ भी नहीं पता,...
बोल के चुप हो गई।
जेम्स बोला , ऐसा करते है,ये प्रॉपर्टी बेच के कही दूसरे जगह चलते है, शहर में जहां तुम्हारा मन भी यहां से हट जाएगा।
कलावती ने बस सिर हिला दिया।
1 महीने बाद दोनों दिल्ली के एक अच्छे स्थान पे एक रूम किराए पे लेके रहने लगे। कलावती ने जेम्स से पूछा तुम्हारा परिवार कहां है तुमने आज तक अपने बारे में कुछ नहीं बताया।।।
जेम्स बोला,मै बताऊंगा नहीं ,मै तुम्हे अपने बारे में दिखाऊंगा, ऐसा बोल के उसने कलावती को कल सुबह तैयार रहने को बोल के कही चला गया, कलावती पूछती रह गई पर उसने नहीं बताया।।
रात को भी घर नहीं आया
सुबह सुबह वो ऑटो लेके घर आया ,बोला अभी तक तुम तैयार नहीं हुई हो,चलो मेरे साथ,बोल के वो हाथ पकड़ के कलावती को लेके कही दूर चल दिया,
ऑटो वाला बहुत दूर जाने के बाद बोला सर महिपालपुर आ गया है,ये सुन के कलावती चौंक गई,
बोली महिपालपुर,ये तुम्हे कैसे पता कि मुझे , यहां के सपने आते है,कौन हो तुम, जेम्स चुप ही था,ऑटो वाले को कुछ पैसे देकर कलावती को बोला चलो, तुम्हे कुछ दिखाना है, कहकर हाथ से पकर के उसने कलावती को उस वीरान बंगले के अंदर ले गया,घर के नाम पे एक बड़ी सी कोठी थी,चारों तरफ से जंगल से गिरी, जैसे लगता था कितने सालों से बंद पड़ी हो, मकड़ी की जाली चारों तरफ फैली थी, घुप अंधेरा था।।
कलावती इस घर को देख कर जैसे चौंक गई थी,उसे जैसे लगा ये तो मेरा ही घर है,यही तो मेरे सपनो में आता था,लगता था मै इसके आंगन में खेल रही हु,।।
जैसे जैसे कलावती को लेके जेम्स आगे बढ़ता जा रहा था वैसे वैसे कलावती सन हो रही थी,उसको समझ में नहीं आ रहा था,ये सब कैसे हुआ,मै कलावती हु,इतने दिनों ,सालों तक कोमा में रही तो मुझे ये सब कैसे याद है....
एक कमरे में ले जाके जेम्स ने कलावती को नीचे जमीन पे बैठने को बोला,और खुद भी जमीन पे बैठ गया।
कलावती से अब और रुका नहीं जा रहा था,वो बहुत असमंजस में थी,रोते हुए बोली, प्लीज़ जेम्स बोलो तुम कौन हो,और ये सब तुम कैसे जानते हो,
जेम्स ने आखिरकार कलावती की हाथों को अपने हाथ में लेकर बोला,मै ... मै.....तुम नहीं जानती मै........कौन हु...
मै.....वो अभागा इंसान हु जो तुम्हे मारने आया था तुम्हारे पास,मै वो अभागा इंसान हु जो पूरे जीवन बस तुम्हे खोज रहा था,मै ....... मै वो हु जिसका दुनिया में कोई नहीं है...
मै जेम्स हु जिसे तुमलोगो ने मिलकर एक जानवर बना दिया था,मै वो हु जिसका तुम्लोगो के वजह से आज ये हाल है,
कलावती को कुछ समझ में नहीं आ रहा था,वो बस चुप चाप जेम्स की बातें सुन रही थी,उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसने जेम्स के साथ क्या किया है,वो तो पहले बार ही कुछ साल पहले मिले है.....
जेम्स बोलते चला जा रहा था,फिर अचानक रुका और कलावती की आंखों में आंखे डाल के बोला ,तुम्हे कुछ भी याद नहीं.... क्या कुछ भी याद नहीं.......
वाह............ री किस्मत........
फिर बोला,चलो मै ही सब बताता हूं,शायद तुम्हे कुछ याद आ जाए।
आज से बहुत साल पहले मै इंडिया के बहुत बड़े उद्योगपति का बेटा हुआ करता था,मै ,पापा , मम्मी,मेरी छोटी बहन,और मेरी बचपन में ही जिस लड़की से शादी हुई थी वो प्यारी सी लड़की जिसके साथ मै हमेश हंसता खेलता हुआ रहता था,सब एक कार एक्सीडेंट में मारे गए,सिर्फ मै ही बचा रह गया,एक अभागा,एक शापित, जिसका दुनिया में कोई नहीं था,मै अकेले रह गया,हर दिन ,एक एक पल में क्रोध की अग्नि में जला हु,हर एक रात मैने इसका इंतजार किया है,हर रात मेरी आँखें भीगती थी,मै यही सोचता रहता था .....
क्यों.......क्यों भगवान ने मुझे जिंदा रखा है,मै उसी समय मर क्यों नहीं गया.... कंपनी वालों ने मुझे जबरदस्ती विदेश भेज दिया... पढ़ने के लिए...मै यही सोचता था कि मै उस इंसान से किस तरह इस का बदला लूंगा।।।
कैसे उसे वो दर्द दूंगा ,जिसकी वजह से मै आज इस दर्द से हर रोज गुजर रहा हु।।
कई साल विदेश में रहने के बाद मै वापस इंडिया आ गया,
कई साल लगे मुझे पता करने में की किसने मेरी दुनिया को उजाड़ के रख दिया,मै पता करते हुए उस हॉस्पिट पहुंच गया, डॉक्टर साहब से मेरी बात हुई,कुछ पैसे देने पड़े,तब मुझे पता चला तुम्हे होश आ गया था,जैसे ही मै हॉस्पिटल में तुम्हारे कमरे में गया ,तुम कोमा से होश में आई ही थी,और तुम्हे पहले का कुछ भी याद नहीं था, यहां तक कि तुम कौन हो ,ये तुम्हे भी नहीं पता था,तुम बार बार मेरे घर की बात कर रही थी,मेरे घर परिवार की बाते कर रही थी....
तुम्हारे जाने के बाद ,मुझे पता चला कि तुम तो बहुत सालों से कोमा मे हो, मेरे जैसे ही तुम भी सब कुछ खो चुके हो, तुम्हारा भी इस दुनिया में कोई नहीं था, मुझे बहुत दुख हुआ पहली बार , जिसे मैने मारना चाहा, जिस से बदला लेने के लिए मै हर हद पार करने वाला था,वो भी मेरे जैसे अनाथ थी,या कहूं तो मुझसे से भी खराब हालात में थी,मै बहुत दुखी हो गया, मुझे उसी समय तुमसे बहुत लगाव होने लगा,बाद में मुझे ये भी पता चला जो कि अब मै तुम्हे बताने जा रहा हु,जो तुम्हे भी नहीं बताया गया था,
जब एक्सीडेंट हुआ था तब तुम्हारा दिल बहुत देर तक बंद हो गया था, डॉक्टरों को लगा कि अब तुम नहीं बच पाओगे,पर शायद भगवान को कुछ और ही मंजूर था,उसी समय मेरे कार में जो मेरी भी बीवी थीं,उसका भी ऑपरेशन चल रहा था,वो तो नहीं बच पाई,पर उसके दिल ने तुम्हे बचा लिया मेरे लिए।।।
तुम्हारे सीने में जो दिल धड़क रहा है वो मेरे उस प्यार का है जो बहुत दूर चली गई पर तुम्हे जिंदगी दे गई।।।
Please मुझे माफ़ कर दो,तुमसे मिलने के बाद मुझे एहसास हुआ कि तुम पे क्या बीत रही थी,तुम किस दर्द से गुजरी हो.....please मुझे माफ़ कर दो,वो दोनों हाथ जोड़े कलावती से माफी मांग रहा था.... उसके दिल से अब बोझ उतर चुका था,जिसके वजह से वो पूरी जिंदगी बेचैनी में रहा था..........
कलावती बस सीने पे अपना हाथ रख के अपनी धड़कनों को महसूस कर रही थीं जो बहुत तेज़ी से धड़क रहा था।।
उसकी आंखों से आंसू बहते जा रहे थे , मन में बहुत सी बातें चल रही थी कि आखिर भगवान ने ऐसा क्यों किया,उसको अब सब समझ आ रहा था कि क्यों उसे ये जगह जानी पहचानी लग रही थी,क्यों जेम्स को पहली नज़र में देखते ही उसके दिल की धड़कन तेज हो गई थी,क्यों जेम्स उसे जाना पहचाना लग रहा था।।
सारे जवाब उसे मिल गए थे,
उसने अपना सर जेम्स के कंधों पे रख दिया,आंखे बंद कर ली,एक सुकून था,एक शांति का एहसास था जो अब जाके उसे मिला था....
वो बस आंखे मूंदे बस सोना चाहती थीं.......सबकुछ भूल के...................