एक अद्भुत चोरी
रात का समय था। शहर की सबसे सुरक्षित समझी जाने वाली "सेंट्रल बैंक" की इमारत में सब कुछ सामान्य लग रहा था। गार्ड अपने-अपने स्थानों पर थे, सुरक्षा कैमरे काम कर रहे थे, और बैंक के अंदर की तिजोरी में अरबों रुपये सुरक्षित थे। लेकिन किसी को पता नहीं था कि इस रात कुछ ऐसा होने वाला था जो इतिहास में दर्ज हो जाएगा।
चोर जो पकड़ा जाना चाहता था
रवि एक अजीब चोर था। वह चोरी करता था, मगर खुद ही पुलिस को अपने बारे में हिंट भी देता था। शहर की पुलिस उसके कारण पागल हो चुकी थी। हर चोरी के बाद वह कोई न कोई संकेत छोड़ देता, जिससे पुलिस उसे पकड़ सके। मगर फिर भी वह हर बार बच निकलता था।
इस बार रवि ने खुद एक अख़बार में छपवाया:
"अगर सेंट्रल बैंक की सुरक्षा इतनी मजबूत है, तो फिर वहाँ से पैसे चोरी करना नामुमकिन नहीं, बस मुश्किल है!"
पुलिस चौकन्नी हो गई। बैंक के चारों ओर सुरक्षा कड़ी कर दी गई। मगर रवि को किसी की परवाह नहीं थी। उसने अपनी योजना बना ली थी।
चोरी की अनोखी योजना
रवि ने बैंक के सामने एक पिज्जा डिलीवरी बॉय का रूप धारण किया। एक नकली मूंछ, बड़ा चश्मा, और लाल जैकेट पहनकर वह बैंक के गेट पर पहुँचा।
"सर, किसी ने बैंक के स्टाफ के लिए पिज्जा ऑर्डर किया है!"
गार्ड ने संदेह से देखा। "किसने ऑर्डर किया?"
रवि ने एक नकली कॉल लगाकर ऐसा दिखाया जैसे वह ग्राहक से बात कर रहा हो। फिर मुस्कुराकर बोला, "अरे सर, बैंक के मैनेजर ने किया है। पूछ लीजिए।"
गार्ड ने अंदर फोन लगाया, और संयोग से, बैंक के अंदर के एक कर्मचारी ने सच में पिज्जा मंगाया था। गार्ड ने रवि को अंदर जाने दिया।
अब रवि बैंक के अंदर था। उसने चुपचाप एक रिमोट से बैंक के वाई-फाई नेटवर्क को जाम कर दिया ताकि कैमरे काम न करें। फिर, उसने अपने बैग से एक छोटा रोबोट निकाला, जिसे उसने खुद डिजाइन किया था। यह रोबोट एक चुंबकीय चिप से तिजोरी का कोड स्कैन कर सकता था।
रोबोट ने कोड पढ़ा, और तिजोरी खुल गई। मगर यहाँ एक ट्विस्ट था—रवि पैसे नहीं चुराने आया था!
चोरी जो चोरी नहीं थी
रवि ने तिजोरी में रखे सारे पुराने गुप्त दस्तावेज और बैंक के भ्रष्टाचार से जुड़े कागजात उठा लिए। उसने बैंक के मालिकों की गैरकानूनी संपत्तियों का पूरा रिकॉर्ड चुरा लिया।
इसके बाद, उसने उन दस्तावेजों की कॉपियां मीडिया और पुलिस को भेज दीं। अगले दिन खबरें छा गईं—"बैंक के मालिक घोटाले में शामिल!"
इंस्पेक्टर को कुछ अजीब लगा। उन्होंने 'इंसाफ का पुजारी' पर गौर किया। क्या यह कोई इशारा था?
रवि का अगला कदम
उधर, रवि किसी नए मिशन पर था। उसने सुना था कि शहर का एक बड़ा व्यापारी, राकेश मल्होत्रा, गरीबों की जमीन हड़पकर अवैध इमारतें बना रहा था।
रवि ने मल्होत्रा की कंपनी के सर्वर को हैक करने की योजना बनाई। उसने रात को मल्होत्रा की कंपनी के हेड ऑफिस में घुसने के लिए एक नया रूप अपनाया—इस बार वह एक साफ-सफाई कर्मचारी बना।
ऑफिस के अंदर घुसते ही उसने अपने लैपटॉप से सर्वर तक पहुंच बनाई और वहां से सारे घोटाले के दस्तावेज डाउनलोड कर लिए। लेकिन इस बार, पुलिस पहले से तैयार थी!
फँस गया रवि?
जैसे ही रवि ने फाइलें कॉपी कीं, अचानक अलार्म बज उठा। उसने चौंककर देखा—सर्वर में एक ट्रैकर लगा हुआ था, जिसने पुलिस को उसकी लोकेशन भेज दी थी।
इंस्पेक्टर अरविंद पहले से अपनी टीम के साथ तैयार थे।
"बहुत हो गया रवि! अब बचकर नहीं जा सकते!" अरविंद ने कहा।
लेकिन रवि मुस्कुराया। "इंस्पेक्टर, मैं पकड़ा जाने के लिए आया हूँ, पर मेरी शर्तों पर।"
"क्या मतलब?"
"मतलब यह कि जब तक आप मुझे गिरफ्तार करेंगे, तब तक यह घोटाले के सबूत पूरे शहर में वायरल हो चुके होंगे।"
इंस्पेक्टर ने झट से अपना फोन निकाला और देखा—सच में, मल्होत्रा की धोखाधड़ी के दस्तावेज सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल चुके थे।
तभी खबर आई कि मल्होत्रा एयरपोर्ट से भागने की कोशिश कर रहा था, लेकिन पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
इंस्पेक्टर अरविंद ने गहरी सांस ली। "तुम्हारा तरीका गलत है, रवि। लेकिन मकसद सही।"
रवि हँसा। "कभी-कभी कानून से ज्यादा इंसाफ ज़रूरी होता है, इंस्पेक्टर।"
इंस्पेक्टर ने कुछ सोचा, फिर रवि की ओर देखा।
"इस बार तुम्हें गिरफ्तार नहीं कर रहा, लेकिन अगली बार तुम सच में कानून तोड़ोगे, तो मैं तुम्हें खुद पकड़ूँगा!"
रवि ने मुस्कराते हुए कहा, "चलो, फिर अगली चोरी तक!" और वह अंधेरे में गायब हो गया।
(समाप्त... या शायद अगली चोरी तक?)
पुलिस को रवि का एक और नोट मिला:
"मैं चोर नहीं, इंसाफ का पुजारी हूँ। इस बार पैसे नहीं, बल्कि सच चुराया है!"
शहर में रवि हीरो बन गया, और बैंक मालिक सलाखों के पीछे चले गए। पुलिस आज भी रवि को
ढूंढ रही है, मगर उसे पकड़ना आसान नहीं!
दीपांजलि
दीपाबेन शिम्पी