Jungle - 26 in Hindi Thriller by Neeraj Sharma books and stories PDF | जंगल - भाग 26

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जंगल - भाग 26

                     (  देश के दुश्मन )

                         (4)

                राहुल को कुछ समझ नहीं आ रहा था, माया को उसने हल्की वेदना मे लेकर आपने सीने से लगा कर छोड़ दिया, और उसे कुछ देर अकेला छोड़ ने को कहा। राहुल पार्क से निकल कर एक लॉकल बज़ार और शॉप मे आ गया था.. वहा से उसने सिंगरट लीं, सूखे होठो मे लीं, और तीली से जला रहे थे, तभी एक शक्श ने लायटर से सिगरट सुलगा दी।

                "     --  किस सोच मे हैं साहब " कोई मसला हो तो बताये सर। राहुल एकदम घबरा गया... जैसे कोई उसका राज जान गया हो। " एक कश खींच के राहुल बोला ---" कया जानते हो मेरे बारे। " वो प्रश्न चिन्ह मे बैठा था।  " उस शक्श ने कहा, " तुम  मुझे आपना हमदर्द समझ लो... बस इतना काफ़ी हैं। " राहुल चुप सा हो गया, उसने नीचे से ऊपर देखा, पैरो मे बूट चमड़े के पोलिश से चमक रहे थे, पतलून और शर्ट जेक्ट सफ़ेद कलर की, मुँह स्पाट था... मुछे थी होठो तक , बनायीं हुई कमान जैसी... वाल नहीं विग था पहना हुआ, लम्मी गर्दन पीछे घुमा यी, वेटर से बोला, साहब के और मेरे लिए दो चाये... "आओ बैठे।" उसने सुरीलेपन से कहा।

कुछ मिल जाये शायद। जानू कौन हैं ये? राहुल ये सोच कर चुपचाप बैठ गया। वेटर ने दो कप टेबल पर रखे। बोला वो शक्श " आप बेफिक्र रहे, सुने गे, तो हैरान हो जायेगे... " राहुल ने सिगरट को एस्टेरे मे बुझा दिया था। " हाँ, आप जानते हैं  राणे को, बड़ी इंडस्ट्री को संभाले वो अकेला शेर। " जानते होंगे, सोचो, जरा आप " ---राहुल एक दम से सिरफिरा सा हो गया। " अबे कयो आपना और मेरा कीमती वक़्त को जाया कर रहे हो। " वो तमीज से उच्ची बोला था... सुनने वाले को लगा, जैसे कोई लड़ाई हो गयी हो... तभी एक आदमी जो गंजा था, " राणा जी लगता हैं, इसे समझा ही दे.. या चटका दे। " राहुल चुप सा हो गया। तभी एकाएक फोन की रिंगटोन वजी। उसने कहा, " दो मिनट। " सेक्टरी का फोन था, " आप कहा हैं साहब, आप पार्क मे किधर हैं। " राहुल ने कुछ सोच के कहा, " आता हू अभी " ----

                      " राणा हैं तू " फिर राहुल चुप। " अभी साथ चल मेरे... अभी... " उसने दो चाये की चुस्की भरी... राणा (जो उसका नाम था )भी साथ चला... " राहुल साहब किधर लेकर जाता अपुन को " उसने एक दम से जोर से कहा। 

" राणे मे मज़ाक़ के मूड मे नहीं हू। " राहुल ने एकदम से कहा। " हू समझा, तुम मुझे बताओ, मसला यूँ हल कर दुगा... " राहुल पार्क के खडे सेक्टरी की और इशारा करते बोला ----" इसको गोली मारनी हैं, मरोगे। "  राणा हस पड़ा। पेड़ की जड़ ही काट दोगे, तो मिलेगा कुछ नहीं, इसे बांध लो, और मेरे हवाले करो, बताएगा इसका बाप भी। " राहुल एक नई शाजिश का शिकार हो चला था शायद। समझ ही नहीं पा रहा था, सच कया हैं।

"राणा ----तुम कया जानते हो, कि जो ये बताएगा।" 

वो जोर जोर से हँसा..... ठहाका लगा कर।

(चलदा )--------------(नीरज शर्मा )