“ बचाओ। मेरी साड़ी खुल रही है। ” धृति वैक्यूम क्लीनर से अपना कमरा साफ करने की कोशिश कर रही थी पर ना जाने कैसे उसने अपनी साड़ी ही वैक्यूम क्लीनर में फँसा ली और अब साड़ी खुलने लगी थी।
“ अब क्या कर दिया तुमने ? ” आकर्ष बाथरूम से निकलता है तो धृति को इस हाल में देखकर चौंक जाता है फिर अगले ही पल उसे गुस्सा आ जाता है।
“ मेरी साड़ी … ” कहने को तो धृति और आकर्ष शादी शुदा कपल थे लेकिन वो कुछ भी बोलने में बहुत घबराती थी। बार बार वो खुद को ढकने की कोशिश करती है पर नाकाम रहती है।
“ जब तुम्हें वैक्यूम क्लीनर चलाना नहीं आता है तो चलाने की कोशिश क्यों कर रही हो ? गवार की गवार ही रहोगी। ” आकर्ष स्विच बटन बंद करके धृति की साड़ी निकाल देता है। लेकिन गुस्से में उसकी आँखे लाल हो गयी थी।
“ मुझे तो लगा मुझे मुसीबत में देख कर इन्हें मेरी चिंता हो रही थी। लेकिन शायद ये मुझे पसंद ही नहीं करते। ” धृति जल्दी से साड़ी का पल्लू पकड़ कर बाथरूम की तरफ भगती है। और आकर्ष के कड़वे शब्द उसकी आँखों में आँसू ले आते हैं।
धृति और आकर्ष की शादी दोनों के पिता ने एक ज़मीन के सौदे के बदले में की थी। धृति निहायती गवार लड़की थी उसे शहर के महँगे महँगे लग्ज़री समान का इस्तमाल करना बिल्कुल नहीं आता था। वहीं आकर्ष लंदन से एमबीए करके आया था। उसे गंदगी और धृति की गाँव वाली भाषा बिल्कुल पसंद नहीं थी। पर अपने पिता के धमकाने की वजह से उसे जबरदस्ती धृति से शादी करनी पड़ी।
“ लाइए माँ जी मैं खाना बना देती हूँ। ” धृति घर में खाली बैठे बैठे बोर हो गयी थी , उससे सफाई भी नहीं हो पायी तो उसने सोचा खाना ही बना दे। उसे घर के सारे काम आते थे लेकिन यहाँ वो कुछ कर नहीं पा रही।
“ कोई जरूरत नहीं है , घर में बहुत नौकर है कोई न कोई खाना बना लेगा , तुम चुपचाप से एक कोने में जाकर बैठो। ” आकर्ष ऑफिस के कपड़ो में तैयार होकर नीचे आता है और उसकी माँ कुछ कहती धृति से वो बीच में बोल देता है और बड़ी ही रुखाई से धृति को मना कर देता है।
“ ऐसे क्यों बोल रहा है बेटा , उसे मन है तो बनाने दे न। ये बहुत अच्छा खाना बनाना जानती है। ” आकर्ष की माँ धृति की तरफदारी करते हुए आकर्ष को समझाने की कोशिश करती है। वो चाहती है कि धृति अपने गुणों से आकर्ष का दिल जीत ले।
“ बनाती होगी लेकिन गोबर के गंदे से चूल्हे पर , इससे पूछो क्या इसे माइक्रोवेव यूज़ करना आता है ? पता चले अपने साथ साथ हमारे घर को भी आग लगा दे। ” वैसे तो आकर्ष इस शादी के लिए अपने माता पिता से नाराज़ था लेकिन वो धृति को बेज्जत करने का कोई मौका नहीं छोड़ता था। उसे लगता था शायद ऐसा करने से धृति उसे छोड़कर चली जाएगी और उसे मुक्ति मिल जाएगी।
क्या धृति और आकर्ष की शादीशुदा ज़िंदगी में कोई खुशी आएगी ? क्या आकर्ष धृति को अपनी पत्नी का दर्जा दे पायेगा या उसे तलाक दे देगा ?