परी से बात करने के बाद विराट जानवी को call लगाते हुए वहां से चला गया। वहीं दूसरे तरफ जानवी जो अपने फ्लैट पर hall में बैठे आराम से शराब का ग्लास पकड़े मूवी एंजॉय करने में busy थी विराट का call देख ते ही खुशी ओर एक्वार्टमेंट के साथ रिसीव करते हुए इस से पहले के विराट कुछ कहता बोल पड़ी"I love you विराट। तुझे ही मिस कर रही थी। जल्दी आजा ना।"
दूसरी तरफ से विराट सर्द आवाज में बिना किसी भाव"दरवाजा खोल।"
जानवी एक्साइटमेंट के साथ उठते हुए"तू बाहर है वाउ लगता है मुझे कुछ ज्यादा ही मिस कर रहा था।"कहते कहते ही वो डोर तक आ चुकी थी।
डोर खोल ते ही सामने विराट को देख एक दम से उसे खींच कार उससे लिपट गई। विराट उसके पीठ पर हाथ सहलाते हुए"कैसी है, मेडिसिन ठीक से ले रही है या नहीं?"
कहते हुए वो जानवी को खुद से अलग कर घर के अन्दर आ जाता है। और वही सोफे पर बैठ जानवी को ही देख ने लगा।जानवी मुस्कुराते हुए उसके करीब कहसकते है के ऑलमोस्ट उसके ऊपर ही बैठ कर बोली"अगर नही भी थी अब तू आ गया है ना हो जाऊंगी।"बोलकर वो विराट के होठों के करीब बढने लगी।
विराट जो अब तक भाव हीन होकर उससे बात कर रहा था अचानक से पीछे से उसके बालों को भिंज कर खुद से अलग करते हुए गुस्से से दहक ते आवाज में उसके नजरों से नजरें मिलाकर बोला"How dare you?"
जानवी जिसने कभी भी विराट से ऐसी बिहेव की उम्मीद की ही नहीं थी दर्द ओर गुस्से से दबे लफ्जों में बोली"तुझ से प्यार कर ने के अलावा मेने कोई और dareing दिखाई भी है क्या?"
विराट उसके बालों को छोड़ उसे एक धक्के के साथ सोफे पर लेटा कर उसके ऊपर आ गया। जानवी उसे यूं कर ता देख एक सेडिक्टिव स्माइल के साथ अपना हाथ उसके चेहरे के करीब बढ़ाने लगी।
विराट उसके बढ़े हुए हाथ को अपने चेहरे को छू ने से पहले ही पकड़ ते हुए उसके चेहरे के बेहद करीब झुक कर सर्द आवाज में बोला"तुझसे आज खुल कर एक बात करता हूं अच्छी तरह सुन ले और समझ भी जा।"कहते हुए उसकी अंगारों भरी नजरें जानवी पर ही टिकी हुई थी।
वो वैसे ही जानवी को घूर ते हुए बोला"जब में बस 9 साल का था तब से प्रिंसेस मेरे रग रग में बसी हुई है। जब मुझे पता भी नहीं था की ये एहसास होता क्या है। मेरी हर सांस उनके नाम से ही सुरु होती थी । तेरे आंखों में मेरे लिए लस्ट है और मुझे उनसे प्यार करने केलिए बस उनकी वो भीनी सी खुशबू ही काफी थी।"
विराट की बात सुनकर जानवी धक्का देकर उसे खुद से दूर कर गुस्से से बोली "तपस्या पुराण सुनाने आया है तू यहां पर?"
विराट खुद को संभाल कर सही से बैठ ते हुए ठंडे आवाज में"नहीं , बस तुझे समझाने आया हूं के अगर बदला लेने केलिए में उन्हे दर्द देने कि और तबाह करने का जुनून रख सकता हूं तो तू
कहते हुए वो रुक गयाऔर जानवी को कंधे से पकड़ कर सही से बिठा कार उसके बालों को सही करते हुए समझा ते हुए बोला"12 साल पहले में अपना सब कुछ खो चुका हूं। अपना नाम अपनि पहचान , अपना घर, अपना बचपन, में खुद को खो चुका हूं।"
थोड़ा रुक कर वो कुछ पल आंखे बंद कर लेता है। और एक गहरी सांस लेते हुए बोला"परी दी का इस्तमाल नही करना चाहिए था तुझे। तेरी कोई भी पागलपन झेल लेता में, परी दी नही।"
कहते हुए उसमे जानवी के तरफ देखा और बोला"तेरा बहत एहसान मंद हूं में वीर से विराट तक के सफर में तूने बहत साथ दिया है मेरा चाहकर भी वो एहसान उतार नहीं सकता में। लेकिन इसे मेरी कमजोरी समझ ने की भूल दुबारा मत करना।"बोलकर वो उठा और जाते हुए बोला"अपना ये पागलपन मुझ तक रख कही भी तुझे ये लगे के में तेरे साथ गलत कर रहा हूं सजा मुझे दे। में खामोशी से सह जाऊंगा। आई प्रोमिस। लेकिन अपना ये पागलपन अगर मुझसे जुड़ी लोगों के ऊपर दिखाया या उनका इस्तमाल करने की कोशिश भी किया तो
बोल कर वो जाने लगा और फिर कुछ सोच कर रुक कर बिना उसके तरफ देख बोला"सब में तपस्या रायचंद भी सामिल हैं। क्यों के उन्हे दर्द देनेका हक भी बस मेरा है।"
बोलकर वो जाने लगा तो जानवी उसे पीछे से टोक कर व्यंग भरी हंसी हंसते हुए बोली"और अगर में तेरी बात न मानूं तो क्या करेगा?"जानवी सोफे पर आराम से फहल कर बैठते हुए बेपरवाह अंदाज से पूछने लगी।
उसकी बात सुनकर विराट पीछे मुड़कर उसके तरफ देखता है। उसके एटीट्यूड को देख तिरछा मुस्कुराते हुए चल कर आकर उसके सामने खड़ा हुआ और एक पैर सोफे के सामने पड़े सेंटर टेबल पर रख कर झुक ते हुए बोला "12 साल से कहते हुए थकती नहीं के मुझे मुझसे भी बेहतर जानती है तो खुद समझ जा के अगर दुबारा कभी तेरे पागल पन का शिकार मेरे आस पास के लोग बने तो में क्या कर सकता हूं।"विराट बोलकर वही टेबल पर ही रखा हुआ शराब के ग्लास को एक ही घूंट में खतम कर बोला"एंजॉय योर मूवी ।" और वहां से तूफान के तेजी से निकल गया।
जानवी वही बैठे हुए ही गुस्से और सनक भरी आवाज में उसके जाते रास्ते को देख बोली "में तो जानती हूं तेरा हद क्या है लेकिन उस तपस्या को देख सायद तू मेरे पागल पन की हद भूल गया है।"बोलकर उसने टेबल पर रखे सारे चीजों को एक ही झटके में नीचे फेंक गुस्से से विराट का नाम लेकर चीख ने लगी।
रायचंद हाउस रात का वक्त
डिनर टेबल पर सब मौजूद थे बस यशवर्धन जी को छोड़ कर। और सब की नजर तपस्या पर थी जो नजरें झुकाए खामोश बस खाने के प्लेट को ही देख रही थी।चित्रा जी अनिरुद्ध जी को देख बोले"आप थोड़ा जाकर पापा जी से बात कीजिए, उन्हों ने सुबह से एक पानी का घूंट भी नहीं लिया।"
अनिरुद्ध जी गहरी सांस लेते हुए"आप पापा को जानते नहीं क्या? आज पहली बार उनके खिलाफ कोई गया है और वो भी जिसे वो अपना गुरुर समझ ते थे।"कहते हुए उनकी नजर तपस्या पर ही थी।
ये सुनते ही अभय जो वही तपस्या के पास ही बैठा था कुछ बोलने को हुआ तो तपस्या उसके तरफ देख ना में सिर हिलातेहुए बोली"अगर हम अपनी जगह सही है तो दादू अपनी जगह सही हैं भाई। बचपन से कभी भी नहिं उन्होने हमारे किसी बात को काटा है और नाही हम ने। तो आज अगर पहली बर हम उनकी बात नहीं माने तो उनका गुस्सा होना तो जायज है ना।"बोलकर वो सबके तरफ एक नजर डालकर वहां से उठकर जाने लगी।
चित्रा जी उसे रोक कर"बेटा खाना तो
उन्हों ने बस इतना ही कहा था तपस्या उन्हे टोक कर बोली"जब तक दादू नहीं खाएंगे हम भी नहीं खाएंगे।"बोलकर वो भाग ते हुए अपने कमरे में चली गई। और दरवाजा बंद कर वही घुटनों के बल टिक कर बैठ गई।
आंखों में बेतहाशा आंसू और आवाज में गुस्सा लिए वो बोलने लगी"काश हम उसदीन एयरपोर्ट पर आपसे नहीं मिले होता तो आज हमारे घर का माहोल ऐसा न होता। ना हम अपने दिल के हाथों
वो बोल ही रही थी के उसका फोन जो बेड पर ही रखा हुआ था बजने से वो चीड़ कर बेड के तरफ देखती है। और उठ कर बेड के तरफ जाने लगी। झांक कर जब उसने फ्लैश हुए नंबर के तरफ देखा तो विराट का नंबर देख गुस्से से फोन उठा कर फेंक ही रही थी के अचानक से रुक गई। ओर बेड पर ही बेबसी से थकी हुई बैठ गई। तब तक फोन भी कट चुकी थी।
फोन दुबारा रिंग हुआ तो उसने एक रिंग पर ही उठालिया और इससे पहले के दूसरे तरफ से विराट कुछ बोलता तपस्या चिढ़ कर बोली"आप ने ऑप्शन दिया था ना आप और सिद्धार्थ में से किसी एक को चुन ने केलिए तो देखिए हम ने आप को चुन लिया अब तो आप बहत खुश होंगे ना। तो जाइए और अपने जीत का जशन मनाइये और हमे फोन मत करना।"
तपस्या गुस्से से एक ही सांस में बोल कर चुप हो गई।दूसरे तरफ विराट जो जानवी के अपार्टमेंट के बाहर ही अपने कार में सीट पर ही सिर टिकाए आंखे बन्द किए हुए था तपस्या की बात सुनकर हल्का मुस्कुरा दिया। और जब तपस्या को ये महसूस हुआ उसका गुस्सा और भी सिर चढ़ चुका था।
गुस्से से ऑलमोस्ट चीख कर वो बोली"मजा आ रहा है न आप को? आप के वजह से दादू ने पहली बार हम से बात करना बंद किया है और आप के ही वजह से हम भी पहली बर दादू के किसी फैसले के खिलाफ गए है। ओर आप के ही वजह से अभी हम रो रहे हैं।"
तपस्या कहते कहते ही रो पड़ीं। विराट के चेहरे की हल्की मुस्कान हंसी में बदल गई। अपनी हंसी रोक कर वो बोला"अच्छा तो मेरे वजह से आप के जिंदगी में इतने सारे तूफान आया है तो मुझे उसकी सजा तो मिलनी ही चाहिए। बोलिए गर्लफ्रेंड क्या सजा है ?"
तपस्या चिढ़ ते हुए"आप की बात मानकर हमने तो ये प्रूव कर ही दिया के आप हमारे लिए कितने इंपोर्टेंट है अब आप की बारी है।"
विराट वैसे ही सीट से सिर टिकाए व्यंग भरी आवाज में"अच्छा तो बोलिए आप मेरे लिए कितने इंपोर्टेंट है ये साबित करने केलिए मुझे क्या करना होगा।?"
"हम से अभी इसी वक्त मिलना होगा और जो आंसू आप के वजह से बहरहे हैं उसे अपने हाथों से ही पोंछ ना होगा।"चिढ़ कर कहते हुए तपस्या ने बिना विराट को कुछ और कहने का मौका दिए फोन कट कर दिया। और बेड पर ही लेट गई। दिल दिमाग की उलझनें, थकावट और भूख इन सब के बीच कब उसकी आंख लग गई उसे पता भी नही चला।
रायचंद हाऊस अभय का कमरा
घर के माहोल के वजह से चित्रा जी जो बिल्कुल टूट चुकी थी अभय उन्हे समझा कर उनके साथ थोड़ा वक्त गुजार ने के बाद अपने कमरे में आ गया था। उसके जहन में सुबह से ही तपस्या के कहे हुए बात ही गूंज रही थी।
"छोटी को प्यार हो गया है और वो भी अपने शादी के बस 7 दिन पहले।"खुद से ही बोलकर उसने एक गहरी सांस लिया। और हंस कर बोला"बस एक हवा के झोंके से हिटलर रायचंद हिल गए तब क्या होगा जब उनकी लाडली 7 दिन के बाद उन केलिए तूफान लेकर आएंगी।"
कहकर वो बेड साइड टेबल के ऊपर ही रखे हुए एक गोल्ड ब्रेसलेट के ऊपर नजर डालकर कुछ वक्त तक देखने लगा। फिर उसे उठाकर अपने होठों के करीब लाकर चूम ते हुए उसे निहार कर देखने लगा। सिंपल एक गोल्ड चेन की वो ब्रेसलेट जिसपर AP का लॉकेट झूल रहा था उस लॉकेट को देख ते हुए नम आंखों से बोला"जिसके प्यार में इतनी ताकत है के प्रिंसेस को यशवर्धन रायचंद के खिलाफ खड़े होनेकी हिम्मत दे रही है, कुछ तो बात होगी उस शख्स में परणिति। लगता है बिलकुल आप ही के तरह है निडर ओर हिम्मतवाला।"
तपस्या का कमरा
तपस्या भूख थकान ओर लगातार रोते हुए गहरी नींद में जा चुकी थी। उसकी नींद हल्की हुई जब उसने अपने चेहरे पर किसीको गर्म स्पर्श महसूस किया। उसने अपनी थकी हुई नींद से भरी हुई आंखों को हल्का खोला और खुद से बस एक इंच के दूरी पर ही विराट के सासों को अपने चेहरे पर महसूस किया। और विराट की उंगलियां उसके चेहरे पर सुख चुकी आसुओं के छू रहीं थी। वो दोनों ही एक साइड से लेटे हुए एक दूसरे के आमने सामने बेहद करीब थे।
तपस्या ने विराट को देखा और हल्का मुस्कुराकर अपनी आंखे बंद करते हुए बोली"सुबह से आप के वजह से बहत परेशान हो चुके हैं तो प्लीज अब थोड़ा सुकून से सोने दीजिए हमे। अब नींद में भी परेशान करना है क्या?"बोलकर वो दुबारा से आंखे बंद करली।
विराट उसके होठों के करीब बढ़कर "Can i kiss you girlfriend?"
तपस्या नींद में ही"उस दिन ट्रायल रूम में तो पूछा नहीं जब के उस दिन तो सच में किस्स कर रहे थे। और आज सपने में यूं इजाजत मांग रहे हैं जैसे पहली बार कर रहे हैं। नजाने क्या क्या कर चुके हैं और अब किस्स की परमिशन चाहिए।"
बोलकर उसने खुद से ही अपने होठों को विराट के होठों पर रख लिया। ओर विराट की तो सांस ही थम गई।उसने खुद को संभाला और अपने माथे को तपस्या के माथे से जोड़ ते हुए बहके अंदाज में बोला"खुद से हमारे रूह में कैद होने कि सजा भी सुन लीजिए।"
तपस्या धीमी गहरी आवाज मे"हर सजा कुबूल है।"
विराट तपस्या के होंठ अपने होठों में भरते हुए"अब ये कैद तमाम उम्र की है, आप चाहें या ना चाहें।"कहकर वो पैशनेटली तपस्या के होठों को चूम ने लगा। ओर तपस्या के होठों उसी पैशन से उसका साथ देने लगे। ओर उसके हाथ खुद ब खुद ही विराट को अपने आगोश में भरने लगे थे।
कहानी आगे जारी है ❤️
चैप्टर अच्छी लगे तो रेटिंग देना न भूलें और पूरा ही रेटिंग देना ।🥰जिनको अच्छा नहीं लगा उनको क्या ही बोलूं 😔