एक अंधेरी रात
एक धुंध वाली रात
एक रात जब पुरी दुनियां सोई हुई थी ,
तब एक मंदिर के एक बगल वाले झोपड़ी के घर में एक लड़का अपनी जीवन को कैसे बेहतर बनाया जाए,अपने मन को कैसे शांत किया जाए,अपने शरीर को कैसे अच्छा बनाया जाए,यही सोच में लगा हुआ था। पूरा अंधेरा घना कोहरा था, हाथ को हाथ नहीं दिख रहा था,पर वो अपनी सोच में मगन एक फटी पुरानी चादर पर लेटे लेटे एक पुरानी कंबल जो किसी ने दान में दी थी उसको ओढ़े पुराने गीत गुन गुना रहा था।
तभी अचानक से एक कार मंदिर के सामने रुकी,जल्दी से किसी ने कार का दरवाजा खोला,और एक बॉडी जिसमें कोई हलचल नहीं हो रही थी,उसको खींच के कार के नीचे फेंक दिया, और कार का दरवाजा बंद कर के बिजली की रफ्तार से कार को भगा ले गया।।
अचानक से इतनी जोर से आवाज आई तो वो लड़का घबरा गया कि इतनी रात में क्या हुआ है, बिजली तो थी नहीं, एक हाथ में टॉर्च लिए और एक हाथ से वो कंबल लपटे बाहर आया । आस पास देखा तो अंधेरे में कुछ दिखाई नहीं दिया, धुंध पूरी पृथ्वी को अपने में लपेटे हुई थी, उसे डर भी लग रहा, मन में एक विचार आया जाने दो कोई जानवर होगा,ऐसा सोच के वो जैसे ही जाने के लिए पीछे मीरा तभी उसकी टॉर्च की लाइट किसी के हाथ पे पड़ी वो चौंक गया, दौड़ाकर पास में गया तो देखा,एक लड़की बिना कपड़ों के मंदिर के गेट पे पड़ी हुई है,वो समझ गया कि इसे ही किसी ने फेंका है यहां।।
उसने जल्दी से अपना कंबल उस लड़की के ऊपर डाल के लपेट दिया,,वो बहुत डर गया था कि पता नहीं कही मै न फंस जाऊ,, कही ये मरी हुई तो नहीं है,ऐसा सोच के उसने उसकी नाक के आगे उंगली डाली.. सांसे धीरे धीरे चल रही थी,उसकी जान में जान आई पर वो सोचने लगा इस अंधेरी रात को किसे बुलाऊं,police स्टेशन तो यहां से करीब 12km दूर था,और पास के गांव भी यहां से 8km से कम न था, उसने पहले खुद को शांत किया और सोचा जो होगा देखा जाएगा,और उसे उठाने में लग गया,
कुछ ही पल पहले वो अपनी जीवन के बारे में सोच रहा था,अब वो नहीं जानता था कि अगले कुछ समय में उसके साथ क्या होने वाला है,एक पल में वो जीवन की बातों को भूल कर उसे उठाने मे लग गया...
किसी तरह खींच खींच के थोड़ी थोड़ी दूर लेकर वो उस लड़की को जिसका वो नाम भी नहीं जानता था,उस झोपड़ी में ले गया जिसमें जीवन जीने के नाम पर बस एक। चटाई और कुछ टूटे फूटे बर्तन थे जिसमें वो जंगल से लाकर खाना बना लेता था और अगर किसी दिन अच्छा रहता तो कोई अमीर व्यक्ति मंदिर में कुछ दान देते तो उसी से उसका गुजारा चलता रहता था।। उसका इस दुनिया में कोई नहीं था,, इसी लड़की के तरह ही किसी ने या सच कहूं तो उसके मा बाप ने ऐसे ही मंदिर के दरवाजे पर फेंक के चले गए थे।।।।
उसने एक टूटी हुई गिलास में पानी भरा और उसके होंठो के पास ले जाके उसे पानी पिलाने की कोशिश करने लगा ,पर कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई...
फिर उसने मुंह पे कुछ पानी की बूंदे मारी फिर भी वो नहीं उठी वो एक कोने में जाके बैठ के सोचने लगा अब क्या करु, कुछ तो समझ में नहीं आ रहा था उसे...
ऐसा सोच ही रहा था कि अचानक से वो ठंड से कांपने लगी बहुत जोर से क्योंकि वाकई में आज रात बहुत ठंड थी साथ में रूह कांपने वाली हवा के साथ धुंध से पूरी मंदिर ढक चुकी थी।।
उसने झट से अपनी जो जैकेट पहनी और एक फटी पुरानी स्वेटर थी जो किसी भक्त ने दान में दी थी तुरंत उतार कर कंबल के ऊपर से ही ओढ़ा दिया और कुछ सुखी लकड़ी लेके उसे जलाने की कोशिश करने लगा,अब उसे भी बहुत ठंड लगने लगी...
कुछ देर बाद आखिर कार आग जल गई वो पास में बैठ गया,, खुद को गरम करने की कोशिश करने लगा पर उस झोपड़ी में कहां गर्मी आती,,धीरे धीरे उस लड़की को ठंड कम होने लगा,
अचानक से उसकी नज़र उस लड़की के चेहरे पे गई, दूध सी गोरी, गोल चेहरा, प्यारी प्यारी आंखे, मुलायम गाल किस चीज की कमी रखी थी भगवान ने उसे बनाने में,ऊपर से देख के ही लगता था गरीबी का एक अंश भी उसे छू तक नहीं गया है,फिर उसने अपनी हाथों को देखा और बोला.. भगवान भी कितना खेल खेलते है,ऐसा सोच ही रहा था कि अचानक उस लड़की के होंठो से कुछ आवाज़ सी आई,शायद वो नींद में बरबरा रही थी,वो अपना सिर उसके कानो के पास ले गया कि वो शायद कुछ कहना चाहती हैं।।
धीरे धीरे उसे सुनाई दिया वो पानी पानी बोल रही था,,उसने बगल में रखा वही पानी वाला ग्लास लेके उसे पानी पिलाने लगा,कुछ घुट पानी पीने के बाद उसने पानी पीना बंद कर दिया ,उस लड़के ने चैन की सांस ली चलो शायद अब वो बच जाएगी,फिर उसने सोचा कि कुछ खाने के लिए तो है ही नहीं,शायद इसे भूख लगी होगी ऐसा सोच के वो बगल में रखी 2आलू जो उसने कल के लिए बचा रखी थी वहीं आग में डाल दी..
कुछ देर में आलू आग में पक चुका था, आलू निकाल कर उसने उसमें नमक मिला के एक बर्तन में रख के उसे उठाने की कोशिश करने लगा,पर शायद उसे नींद की दवा दी गई थी या कुछ तो था या शायद चोट ज्यादा लगी थी, वो हिल भी नहीं पा रही थी।।
उसने सोचा अब कैसे खिलाऊं ऐसा सोच के वो उसके सिर के पास बैठ गया,बगल में धीमे धीमे आग जल रही थी जो पूरे घर को रौशन कर रही थी,घर के बाहर काली अंधेरी रात थी,
धीरे से उसने उसके सिर को अपने दोनों हाथों से उठा के अपने गोद में रख लिया जिस से उसे आराम मिले फिर धीरे धीरे सरसों तेल की डिब्बी में कुछ तेल हाथों में रख के उसके सिर का मालिश करने लगा, उसे शायद इस से कुछ आराम सा मिला,
फिर उस लड़के ने पास में पड़ी बर्तन से आलू का एक टुकड़ा लेके उसे खिलाने की कोशिश करने लगा, गरम आलू उसके होंठो से टकराते ही अचानक से उस लड़की की जो अब तक ऐसे ही पड़ी हुई थी आंखे खुल गई....
ऐसा होते ही दोनों की आँखें एक दूसरे की आंखों से मिली, किसी को कुछ सोचने तक का मौका तक नहीं मिला।।। उस लड़की की आंखों में जैसे बहुत से आसू बाहर आने को बेताब थे,और उस लड़के को जो उस लड़की को जानता तक नहीं था कि वो कौन है,, कहां से आई है बस उसे एक टक देखे जा रहा था......
अचानक से उस लड़की की आंखों से बेतहाशा आंसु बहने लगे वो फूट फूट कर रोते ही जा रही थीं...ऐसे की जैसे कोई बच्चा अपनी मां के लिए रोता है,उसको रोता देख के ऐसा लगता था कि किसी ने उसके जिस्म से ज्यादा घाव उसके मन को दिया है, कहां वो फूल की पड़ी और कहा उसे दुनियां भर का दुख मिला हो जैसे...
न चाहते हुए भी वो लड़का उसके ग़म में जैसा साथ का भागीदार हो या खुद उसे ऐसा लग रहा था, जैसे उसी ने उसको दुख दिया ,उसके भी आंसू निकल रहे थे इतना रोकने के बहज़ूद।।
उसने अपने पूरे जीवन में कभी किसी को ऐसे रोते नहीं देखा था, पूरी जिंदगी मंदिर में बिताई थी , कितने को दुखी, रोते हुए देखा था,पर ऐसे नहीं...
उसने प्यार से अपनी हाथ को उसके सिर पर ,उसके बालों पे रख के धीरे धीरे सहलाने लगा,उसे चुप कराने लगा,रोते रोते उसके आंखों के आंसु तक सुख चुके थे.. एक लंबी सी लकीरें आंसू की उसके गालों पे खींच चुकी थी...
लड़के ने हिम्मत कर के फिर से ग्लास का पानी उसे पीने के लिए दिया, लड़की के हाथ काम नहीं कर रहे थे,खुद लड़के ने कुछ घुट पानी पिलाया,...
लड़की को ऐसा देख उसके दिल में जैसे बहुत दर्द सा हो रहा था,
उस लड़की के उस लड़के को कस के जकड़ लिया जैसे एक बच्चा अपनी मां के आंचल को खुद से लपेट लेना चाहता हो या एक बेटी जो अपने पिता के पैर से लिपट पड़ती है,दुनिया के डर, दुःख, भय से दूर....
कुछ देर तक दोनों ऐसे ही पड़े रहे,उस अंधेरी रात में, लकड़ी भी जल के खत्म होने को आया...
लड़के ने 2 आलू जो पकाया था उसे खिलाने के लिए फिर से अपने हाथों में उठा के उसे खिलाने की कोशिश की,पर उसने नहीं खाया, बस वो लड़की उस लड़के के गोद में अपना सिर रख के अपने जीवन की पूरी दुख दर्द को खत्म कर देना चाहती थी...
उस लड़के ने ज्यादा जबरदस्ती भी नहीं की बस उसके बालों में अपना हाथ रख के उसके बालों को प्यार से सहलाने लगा,कंबल खींच के पूरी तरह से उसको ढक दिया,पर खुद वो ठंड से कांप रहा था..ऐसे देख वो लड़की उसके और पास आ गई,जैसे उसकी गोद में मुड़ के समा गई हो....
कुछ देर बाद आग भी बुझ गई.....
हवा और तेज होते जा रही थी...
रात थी की खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी...
दिनों ने एक दूसरे से एक शब्द बात भी नहीं की थी,पर लगता था दोनों एक दूसरे को कितने जनम से जानते हो और बस एक दूसरे के साथ रहना चाहते हो...
धीरे धीरे उस लड़की को जैसे शांति मिल गई हो या रोते रोते उसके आंसू खत्म से हो गए हो... शांत हो गई थी, जैसे जन्मों से दुख में थी और आज जाके उसको आराम, सुकून, शांति मिली हो...
धीरे धीरे उस लड़के की भी आंख लग गई वो भी थका हुआ था, मंदिर का सारा काम उसे अकेले ही देखना होता था
रात भी जैसे इसका ही इंतजार कर रही थी...
धीरे धीरे सूरज की किरण धरती पर आसमान से आ रही थी वैसे वैसे धुंध और अंधेरी रात जैसे खत्म हो रही थी...
बहुत देर तक वो लड़का ऐसे ही बैठे बैठे सोता रहा,जब सूरज की रोशनी उसके टूटे हुए झोपड़ी से होकर उसके ऊपर आने लगा तब कही जाके उसकी नींद खुली....
उसने अपनी आंखों को खोल के ऊपर की तरफ देख और मन ही मन कहा आज तो बहुत देर हो गई.. शायद मैं कोई सपना देख रहा था.. ऐसे सोच ही रहा था कि उसकी नजरें नीचे अपने गोद में पड़ी उस प्यारी लड़की पे गई जो इस दुनिया के दुखों से दूर डर से दूर अपने शांति को प्राप्त कर चुकी थी..
उसके मुंह से झाग आ रहा था.. शायद किसी ने उसे ज़हर दिया था...पर उसको देख के ऐसा प्रतीत होता था कि आखिर में उसे कोई ग़म नहीं था...
ऐसा देख के जैसे उस लड़के का कलेजा कट गया था, अचानक उसके दिल में ऐसा दर्द हुआ कि क्या हुआ, उसे सोचने समझने तक का मौका नहीं मिला.. वो उसके ऊपर ही गिर पड़ा,
दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़े इस बेइमानी दुनिया से कही दूर चले गए थे..
वो एक दूसरे को जानते तक नहीं थे ,न ही कभी मिले थे,पर दोनों के दिलों ने एकदूसरे के लिए ही सिर्फ धड़कना चालू रखा थाब तक,,और अब मिल के जैसे दोनों के दिल मिल गए या दोनों को शांति मिल गई.. और उस लड़के को पता भी नहीं चल उस लड़की का क्या नाम था...
कुछ घंटे ऐसे ही गुज़र गए..मंदिर में भक्तों की फिर लगने लगी, सूरज अब सिर तक आ चुका था...
मंदिर को गंदा देख कुछ लोग उस लड़के को गाली देते हुए बुलाने लगे..
कहां है साला काम भी नहीं करता सिर्फ मुफ्त का खाते रहता है,मंदिर को पूरा गंदा कर के रखा है, भगाओ साले को यहां से...
ऐसा बोलते बोलते कुछ लोग उस झोपड़ी में अंदर दाखिल हुए,क्योंकि दरवाजे के नाम पे तो सिर्फ एक plastic की बिछाने वाला चटाई थी जो उसने लटका रखा था..
दोनों को ऐसे देख वो लोगो ने आवाज मचाना चालू किया..पूरे मंदिर के लोग वहां जमा हो गए,उस छोटी सी झोपड़ी में जहां कोई भी नहीं आना चाहता था क्योंकि उसमें से बदबू आती थी और अब उनको देखने हजारों लोग खड़े थे... तमाशा देखने....
पर उन दोनों को कहां फर्क पड़ने वाला था....