प्रियतम
गर्मी की वह शाम कुछ अलग थी। सूरज ढल रहा था, और खिड़की के बाहर नीम की शाखाएं धीरे-धीरे हिल रही थीं। सिया अपनी पुरानी यादों में डूबी हुई थी। उसके हाथ में कुछ पुराने खत थे, जो उसने संभालकर अलमारी के सबसे गहरे कोने में छिपाकर रखे थे। ये खत उसके प्रियतम आर्यन के थे, जो सालों पहले उसके जीवन से दूर चले गए थे।
सिया और आर्यन की कहानी कॉलेज के दिनों से शुरू हुई थी। आर्यन एक शांत और गंभीर स्वभाव का लड़का था, जबकि सिया एक चंचल और जिंदादिल लड़की। दोनों की आदतें और सोच अलग थीं, लेकिन शायद यही फर्क उन्हें एक-दूसरे के करीब ले आया था। कॉलेज के कैंटीन में चाय की चुस्कियों से लेकर लाइब्रेरी में चुपके-चुपके किताबें पढ़ने तक, उनके बीच की दोस्ती धीरे-धीरे प्यार में बदल गई।
आर्यन ने हमेशा सिया से वादा किया था कि वह उसे कभी अकेला नहीं छोड़ेगा। लेकिन जीवन हमेशा हमारे सपनों के हिसाब से नहीं चलता। पढ़ाई खत्म होने के बाद आर्यन को अपने करियर के लिए विदेश जाना पड़ा। वह वादा तो कर गया कि वह जल्दी लौटेगा, लेकिन वक्त ने उनकी राहें अलग कर दीं।
सिया ने आर्यन के बिना जीना सीख लिया था, लेकिन वह उसे भुला नहीं पाई। आर्यन के भेजे गए खत उसकी जिंदगी का हिस्सा बन गए थे। हर खत में उसकी भावनाएं और उसका प्यार झलकता था। आर्यन ने अपने सपनों, अपनी मुश्किलों और सिया के लिए अपनी यादों को हर खत में उकेरा था। सिया हर रोज उन खतों को पढ़ती और महसूस करती कि आर्यन उसके साथ ही है।
लेकिन समय बीतता गया। खत आना बंद हो गए। सिया ने कई बार कोशिश की कि आर्यन से संपर्क करे, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। वह समझ चुकी थी कि शायद उसकी और आर्यन की कहानी अधूरी रह गई है। उसने अपने दिल को समझा लिया और खुद को जिंदगी में आगे बढ़ाने की कोशिश की।
आज कई सालों बाद, जब वह आर्यन के खतों को फिर से पढ़ रही थी, तो उसकी आँखें नम थीं। वह सोच रही थी कि अगर आर्यन कभी वापस आया, तो वह उससे क्या कहेगी। तभी दरवाजे पर दस्तक हुई। सिया ने दरवाजा खोला, और सामने आर्यन खड़ा था।
आर्यन को देखकर सिया की आँखों से आँसू बहने लगे। वह कुछ बोल नहीं पाई। आर्यन ने मुस्कुराते हुए कहा, "मैंने वादा किया था कि लौटकर आऊंगा। देर हो गई, लेकिन मैं हमेशा तुम्हारे लिए ही जी रहा था।" सिया ने कुछ नहीं कहा। उसने बस उसे गले लगा लिया।
आर्यन ने उसे बताया कि काम के दबाव और हालातों ने उसे सिया से दूर कर दिया था, लेकिन उसने हमेशा उसकी यादों को संजोए रखा। अब वह वापस आ गया था, सिया के साथ अपना अधूरा सपना पूरा करने।
उस शाम, खिड़की से बाहर की हवा और भी ठंडी हो चुकी थी। सिया और आर्यन दोनों पुराने खतों को अलमारी में रख रहे थे। अब उनके बीच कोई खत नहीं था, सिर्फ वो प्यार जो सालों बाद भी उतना ही गहरा था।
यह कहानी अधूरी नहीं थी। यह एक नई शुरुआत थी, जहाँ प्रियतम और उसकी प्रिया अब साथ थे, हमेशा के लिए।
दीपांजलि
दीपाबेन शिम्पी गुजरात