कोयल जैसी मीठी बोली के साथ स्वरा ने संगीत की दुनिया में अपनी एक नई पहचान बना ली है। आज उसके गीतों ने सभी के दिलों में नई जगह बनाई है। जब भी वह किसी कार्यक्रम में शामिल होने जाती है तो वहां उसके चाहने वालों की भीड़ इकठ्ठा हो जाती है। आज जब कार्यक्रम के समाप्त होने पर स्वरा से उसकी सफलता के बारे में पूछा गया तो वह सब बताते हुए फिर से अपने पुराने दिनों में लौट गई। जहां से उसने अपने सपनों को लक्ष्य में बदला था और उसके इस सफर के शुरुआत हुई थी।
स्वरा के स्कूल में दो दिनों बाद गीत गायन की प्रतियोगिता है। जिसमें वह भी शामिल होना चाहती है। कक्षा में अध्यापक सभी इच्छुक बच्चों के नाम लिख लेते हैं, लेकिन स्वरा चुपचाप वहीं बैठी रहती है। भव्या, जो उसकी सबसे अच्छी सहेली थी। उसने उससे प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए बहुत जोर दिया लेकिन वह नहीं मानी। भव्या भी स्वरा के प्रतियोगिता में शामिल न होने का कारण अच्छे से जानती थी। लेकिन फिर भी वह चाहती थी कि उसकी दोस्त स्वरा इसमें शामिल हो और अपने डर को अपने लक्ष्य के पास न आने दे।
स्वरा, जो शर्मीली और चुपचाप रहने वाली लड़की थी। वह मन ही मन एक सफल गायिका तो बनना चाहती थी लेकिन डरती थी कि कहीं उससे कोई भूल न हो जाए या वो असफल न हो जाए। जिसके चलते वह प्रतियोगिता में शामिल नहीं हो रही थी। भव्या ने आज स्वरा को साथ में मंदिर की संध्या आरती में चलने के लिए कहा। शाम को मंदिर पहुंचने पर पता चला कि आज आरती के लिए पंडित जी नहीं आ सके। अब प्रश्न उठने लगा कि आज आरती कौन करेगा? भव्या ने तुरंत स्वरा का हाथ ऊपर कर दिया। लेकिन फिर स्वरा ने झट से अपना हाथ नीचे कर लिया और आरती के लिए मना कर वहां से भाग गई।
स्वरा यह सोचकर डर गई थी कि उससे आरती में कोई गलती न हो जाए। अगर कुछ हुआ तो सब क्या कहेंगे और इसका क्या परिणाम होगा? भव्या अचानक पीछे से आई और स्वरा को खूब कोसने लगी। "बस यही था तेरा सपना, हमेशा डरे- सहमे हुए बने रहना, लोगों की बातों से घबरा जाना। लोग क्या कहेंगे? बस यही यह सोचते रहना। मुझसे कुछ गलत हो गया तो क्या होगा? मैं असफल हो गई तो फिर क्या होगा? यही सोचती रहना जीवनभर। मुझे तो लगता है तेरा कोई सपना ही नहीं गायिका बनने का। अरे सपने तो वो होते हैं जो रात को सोने न दें। वो नहीं जो नींद में आए और सुबह आंख खुलने पर चले जाए। मुझे लगता है रात को सोते समय ही तू गायिका बनने का ख्वाब देखती है। एक बार में कोई आसमान नहीं छू सकता। डरकर या घबराकर नहीं मेहनत और लग्न के साथ अपने लक्ष्य को पूरा किया जाता है। यूं ही नहीं सफलता मिल जाती आसानी से, बार बार चढ़कर गिरना पड़ता है ऊंची पहाड़ी से। लेकिन तू ऐसी नहीं है जो अपने सपनों को लक्ष्य बनाकर आगे बढ़े। तुझे भगवान ने इतनी मधुर आवाज दी है आज तूने उसका भी अपमान किया है "
स्वरा को यह सब कहकर भव्या वहां से चली गई। स्वरा भव्या के मुंह से अपने सपने के बारे में ऐसी बात सुनकर हैरान रह गई। उसकी आंखों में आंसू आ गए। वह भी आज खुद को कोसने लगी। वह मन ही मन कह रही थी कि 'आज जो भव्या ने कहा, बिल्कुल ठीक कहा है। डरकर या घबराकर अपने लक्ष्य को पूरा नहीं किया जाता है। उसके लिए मेहनत करनी पड़ती है। इसलिए मैं भी अब मेहनत से ही आगे बढूंगी।' स्वरा ने झट से अपने आंसू पूछे और संध्या आरती के लिए आगे लिए। वहां आए सभी लोगों ने स्वरा को उसकी मधुर आवाज में गाई आरती के लिए उसे खूब सराहा। लेकिन स्वरा की नजर भव्या को ही ढूंढ रही थी। तभी भव्या आती है और स्वरा उसे गले लगकर कहती है कि आज उसने अपने डर को हरा दिया और अब प्रतियोगिता में भी शामिल होगी। भव्या यह जानकर बहुत खुश होती है और स्वरा से अपने शब्दों के लिए माफी भी मांगती है।
स्वरा ने अब ठान लिया था कि वह अपने लक्ष्य को जरुर पूरा करेगी। आज वह एक बड़ी गायिका बन गई है। हर जगह लोग उसकी मधुर आवाज सुनने के लिए इक्कठा हो जाते हैं। लेकिन स्वरा की नजर आज भी अपनी दोस्त भव्या को ही तलाशती है। वह अपनी सफलता का सारा श्रेय अपनी सबसे अच्छी दोस्त भव्या को ही देती है। जिसकी वजह से आज वह अपनी मंजिल को पा सकी है और अपने लक्ष्य को पूरा कर सकने सफल हुई है।