My doll has grown up…. in Hindi Drama by Purnima Kaushik books and stories PDF | मेरी गुड़िया सयानी हो गई .....

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मेरी गुड़िया सयानी हो गई .....

'तेरी मेरी बने नहीं और तेरे बिना कटे नहीं' कुछ ऐसा ही है मनु और जागृति का अनमोल बंधन। दोनों बहनें एक दूसरे से झगड़ती तो है लेकिन फिर जल्दी ही मान भी जाती है। आपस में वे चाहे कितना ही क्यों न झगड़ लें लेकिन शाम को एक ही थाली में भोजन करते हैं। दोनों बहनों में मनु थोड़ी चंचल स्वभाव की थी और गुस्सा तो हमेशा उसकी नाक पर सवार रहता था। इसके विपरीत जागृति हर बात को सोच समझकर बोलने वाली है। मनु के स्वभाव को लेकर जागृति हमेशा उसे समझाती है। 

मां के जाने के बाद अब मनु ही जागृति का सहारा है और दूसरी ओर मनु भी जागृति को बहुत प्यार करती है। वह जागृति को 'जग्गू' दीदी कहकर बुलाती है। जागृति के बिना तो उसका कोई काम नहीं हो सकता। जब तक जागृति सुबह उसे 'गुड़िया' कहकर न उठाए तब तक उसकी नींद भी नहीं टूटेगी। एक दिन रेणु चाची ने जागृति को कहा 'तुमने ही इसे बिगाड़ा हुआ है। जिसके चलते आज यह अपना हर काम तुमसे ही कराती है और तुमसे ही झगड़ती है'। यह कहकर वह वहां से चली जाती है।चाची की बात सुनकर मनु उनसे कहती है 'चाची मैं जग्गू दीदी से सच में थोड़े ही लड़ती हूं। यह तो सब इसलिए ताकि वो मुझे मनाए और मेरा ख्याल रखे।' चाची ने मनु से कहा 'जिस दिन वह तुमसे दूर चली जाएगी या उसे कुछ जाएगा तो तब शायद तुम उसकी मेहनत और प्यार को समझोगी।' 

आज जागृति की 'गुड़िया' यानी मनु का जन्मदिन है। यह दिन उसके लिए बहुत ही खास होता है। सुबह से ही जागृति पूरे घर को सजाने में लग जाती है। मनु के लिए सभी पसंदीदा पकवान बनाकर उसे अपने हाथों से खिलाती है। आज मनु भी अपनी जग्गू दीदी से नई नई फरमाइश कर रही है और जागृति भी खुशी - खुशी मान रही है। शाम को जब मनु पार्टी के लिए तैयार हो रही होती है तो देखती है कि उसकी सैंडल टूट गई है। जिससे वह बहुत परेशान होकर सब पर गुस्सा करने लगी।

जागृति को जब इस बारे में पता चला तो उसने मनु को समझाते हुए कहा कि कोई दूसरी सैंडल पहन लो। लेकिन आज मनु ने अपनी बहन की एक बात नहीं मानी और जिद पर अड़ी रही कि वैसी ही सैंडल उसे चाहिए। मनु की जिद को पूरा करने के लिए जागृति पास की दुकान से वैसे ही सैंडल लेकर आती है कि तभी सड़क पार करते हुए एक तेज रफ्तार कार से उसका एक्सीडेंट हो जाता है। अस्पताल जाने पर डॉक्टर बताते हैं कि जागृति अब चल पाने में असमर्थ हो गई है। इस दुर्घटना ने उसके पैरों को बुरी तरह से घायल कर दिया था। 

डॉक्टर की बात सुनकर जागृति पूरी तरह टूट गई थी। मनु, जो इतनी देर से अपनी जग्गू दीदी के लौटने का इंतजार कर रही थी, जब उसे सब पता लगा तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। वह समझ नहीं पाई कि अचानक से यह क्या हो गया? वह तुरन्त अस्पताल की ओर भागी। जहां वह अपनी बहन को जख्मी हालत में देखते ही फूट - फूट कर रोने लगी और इसका दोषी खुद को मानने लगी। तभी रेणु चाची ने उसे सांत्वना दी और कहा कि तुम्हें इस मुश्किल समय में अपनी बहन की ताकत बनना है यूं आंसू बहाकर उसकी कमजोरी नहीं। तुम दोनों बहनें एक दूसरे की ढाल हो। पहले तुम्हारी जग्गू दीदी ने तुम्हे संभाला था और अब तुम्हारी बारी है। 

अपनी चाची की बात सुनकर मनु ने ठान लिया कि वह अपनी जग्गू दीदी की सयानी गुड़िया बनकर रहेगी। जागृति के अस्पताल से लौटने पर मनु पूरी तरह से उसे ठीक करने में लग गई। सुबह के नाश्ते से लेकर शाम के भोजन भी वही तैयार करती। जागृति को घर पर एक्सरसाइज कराने के साथ - साथ समय पर उसे डॉक्टर के पास ले जाना आदि सब वही ही करती। इसके साथ -साथ मनु अपनी दीदी की हिम्मत भी बन रही थी। उसे हौसला दे रही थी कि वह फिर से अपने पैरों पर खड़ी हो सकेगी।

आज फिर से वह दिन आया जब दोनों बहनें बहुत खुश रहती हैं। लेकिन आज मनु खुश नहीं है क्योंकि आज के ही दिन उसकी जग्गू दीदी का एक्सीडेंट हो गया था। दूसरी ओर जागृति आज बहुत खुश है क्योंकि उसकी गुड़िया का जन्मदिन है। मनु के लाख मना करने पर भी जागृति ने आज घर में पार्टी रखी है और मनु को राजकुमारी की तरह सजाया है। दोनों जब मेहमानों के आने पर नीचे आते हैं तो मनु का पैर सीढ़ियों से फिसल जाता है। लेकिन दोनों बहनें एक दूसरे को कसकर पकड़ लेती हैं और गिरने से बचा लेती हैं। 

जब मनु देखती है कि जागृति अब अपने पैरों पर खड़ी है तो वह खुशी से फूली नहीं समायी। सभी घरवाले भी जागृति को देखकर बहुत खुश थे। चाची ने जब जागृति से जानना चाहा तो उसने बताया कि यह सब मनु के कारण ही संभव हुआ है। आज अगर वह अपने पैरों पर खड़ी है तो इसका सारा श्रेय मेरी मनु को ही जाता है। ये सब उसी की मेहनत का परिणाम है। इसलिए मैं मनु को आज के दिन यह बताना चाहती थी। मैं जानती थी कि वह यह जानकर बहुत खुश होगी। मनु ने भी यह जानकर जागृति को खुशी से गले लगा लिया और कहा कि यह उसके जन्मदिन का सबसे अच्छा गिफ्ट है। फिर मनु ने जागृति के साथ जन्मदिन का केक काटा और हमेशा की तरह मनु ने सबसे पहले अपनी जग्गू दीदी को खिलाया। मनु को सबकी देखभाल करते देख जागृति ने रेणु चाची से सच में आज 'मेरी गुड़िया सयानी हो गई '।