Ishq da Mara - 46 in Hindi Love Stories by shama parveen books and stories PDF | इश्क दा मारा - 46

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इश्क दा मारा - 46

यूवी गीतिका का हाथ छोड़ देता है और गीतिका वहां से चली जाती है। गीतिका से चला नहीं जाता है और वो जैसे न तैसे करके जा रही होती है।

यूवी वहीं पर ही चुप चाप खड़ा रहता है।

गीतिका हॉल के उसी कमरे में चली जाती है और जहां पर मीरा तैयार होती हैं।

उधर मीरा की सगाई हो रही होती है और इधर गीतिका हॉल के कमरे में अकेली बैठ कर रो रही होती है और सोच रही होती है कि उस एक दिन की वजह से आज मेरे साथ क्या हो गया है, बच्चे जितनी भी गलतियां करे उनके मां बाप उन्हें माफ कर देते हैं, और मेरे मां बाप ने तो मुझे उस गलती की सजा दी है जो मैने की ही नहीं, भगवान जी मैं कितना कोशिश करती हूं कि सब कुछ भूल जाऊ और शुरू से अपनी जिंदगी जीयु, मगर मैं हर बार हार जाती हूं, और यूवी जिसने उस दिन मेरे को उस राक्षस से बचाया, और उसका बदला वो मुझ से अब तक ले रहा है, सच में मुझ जैसे इंसान को तो मर ही जाना चाहिए, जिसका सब कुछ होके भी कुछ भी नहीं है, क्या सोचा था मेने और क्या हो गया मेरे साथ। ये बोल कर गीतिका रोने लगती है।

उधर मीरा अपनी भाभी को बोलती है, "भाभी गीतिका कहा है, अभी तक नहीं आई"।

तब गीतिका की भाभी बोलती है, "पता नहीं कहा है ???

तब गीतिका की बुआ जी बोलती है, "अभी तो मैने उसे आते हुए देखा था तो फिर कहा चली गई "।

तब मीरा की भाभी बोलती है, "लगता है उसके पैर में ज्यादा ही दर्द हो रहा है, मैं अभी देखती हूं उसे की वो कहा है "।

उसके बाद वो उसे लेने चली जाती है।

बंटी यूवी से बोलता है, "क्या हुआ तू इतने गुस्से में क्यों था, और उसका हाथ क्यों पकड़ रखा था"।

तब यूवी बोलता है, "देख मेरा दिमाग वैसे भी बहुत खराब है और तू मेरा दिमाग और खराब मत कर "।

तब बंटी बोलता है, "तेरा दिमाग तो रानी ही ठीक कर सकती है बस "।

तब यूवी बंटी को गुस्से से देखने लगता है और बोलता है, "चल निकल यहां से और जा रानी के पास "।

उधर मीरा की भाभी मीरा के पास आती है और बोलती है, "गीतिका तो मुझे कही दिखाई ही नहीं दी, कहा गई, कही घर तो नहीं चली गई है" ।

तब मीरा बोलती है, "अकेली घर कहा जायेगी वो, यही कही होगी "।

तब गीतिका की बुआ जी बोलती है, "तुम कॉल करो घर पर और पता लगवाओ उसका, और हा अपने पापा को ये बात पता मत चलने देना, वरना बहुत गुस्सा करेंगे "।

उसके बाद मीरा घर में कॉल करती है और उसकी भाभी यूवी के पास जाती हैं और बोलती है, "यूवी तुम्हे गीतिका को कही देखा है क्या ????

तब यूवी बोलता है, "वो मीरा के पास होगी"।

तब मीरा की भाभी बोलती है, "वो मीरा के पास नहीं है और कही मिल भी नहीं रही है, पता नहीं कहा चली गई"।

ये सुनते ही यूवी भी घबरा जाता है और बोलता है, "उससे चला तो जा नहीं रहा है तो अकेली कहा जायेगी ?????

तब मीरा की भाभी बोलती है, "पता नहीं कहा चली गई, जरा उसे ढूंढो तो"।

उसके बाद वो उसे ढूंढने लगता है।

गीतिका का कही पर भी पता नहीं चलता है सब उसे ढूंढते रहते हैं। तब बंटी यूवी से बोलता है, "यार देख सच सच बता क्या किया है तूने उस लड़की के साथ ????

तब यूवी बोलता है, "बंद कर अपनी बकवास, ये क्या बोल रहा है"।

तब बंटी बोलता है, "आखिरी बार मैने उसे तेरे साथ देखा था और तूने उसका हाथ पकड़ रखा था और तू बहुत ही गुस्से में था "।

तब यूवी बोलता है, "बकवास बंद कर और जा कर जल्दी से ढूंढ उसे "।

यूवी काफी परेशान हो जाती है और सोचने लगता है कि कही गीतिका गुस्से में तो उन गुंडों के पास नहीं चली गई है..........