Devil I Hate You - 23 in Hindi Love Stories by aruhi books and stories PDF | Devil I Hate You - 23

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Devil I Hate You - 23

और फिर वहां सोचने लगती है, ,,,,,वह सोचते हुए ,,,,,अपनी आंखों में आब भी आंसू लिए हुए,,,,,,, एक-एक दिन,,,,,एक-एक पल ,,,,,,,मैंने मौत की तरह बिताया है,,,,,,,,,,,,,और मैं अपने मॉम डैड तक को खो दिया है ,,,,,,,,,,,,,,,आब भगवान ,,,,,,,,,आप मुझसे क्या चाहते हो, ,,,,,,,,, मौत से भी बत्तर जिंदगी जी है मैंने,,,,,,,,,,,,

तो अब बची हुई जिंदगी,,,,,,तो जी लेने दो,,,,,,यह कहते हुए ,,,,,,रूही जोर-जोर से रो और चिल्ला रही थी ,,,,,,,,,जैसे भगवान उसकी प्रार्थना सुन लेंगे ,,,,,,और उसके सारे दुख दर्द दूर हो

वह आप भी भगवान से शिकायतें कर रही थी,,,,,,,,,,,,,, की यह तो उसे,,,,,,इस दुनिया से कहीं दूर कर दे,,,,,,,,, या फिर दुनिया वालों को उससे दूर कर दे,,,,,,,,

वह अब बस भगवान से विनती करी जा रही थी,,,,,,,,अपनी बची हुई जिंदगी की भीख मांग रही थी, ,,,भगवान्, कुछ ही दिन सही,,,,,, लेकिन मुझे चैन की जिन्दगी जीने दो,,,,,,भगवान
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Aab aage,,,,,,,,,,,,,,,, 

ऐसे ही रूही को,,,,,,,वहां बैठे-बैठे,,,,,,,,रोते हुए शाम हो गई थी ,,,,,,,,सूरज चल लगा था और ,,,,,,,,चारों तरफ अधेरा हो गया था,,,,,,,

और अब तो रूही अपना सर अपने पैरों के बीच रख ,,,,,,,,,बस अब भी रो रही थी,,,,,,,, उससे आब सिर्फ पछतावा हो रहा था,,,,,,कि उसने मिहिर से शादी ही क्यों की ,,,,,,,,,,,,वह उसकी जिंदगी में क्यों आए,,,,,,,,,क्यों उसने उसे इतना प्यार किया ,,,,,,,उसे आज खुद से घिन हो रही थी,,,,,,,,,उसे खुद से नफरत हो रही थी ,,,,,,,काश भगवान,,,,,,, वह वक्त दोबारा आ जाए ,,,,,,,,,,और और उसे दुबारा जिंदगी जीने का मौका मिले,,,

कि तभी कोई उसके कंधे पर हाथ रखता है,,,,,,,,,जिसे महसूस कर रुही,,, हड़बड़ा जाती है ,,,,,,,,,और फिर डरते हुए ,,,,,, धीरे धीरे अपना सर;ऊपर कर देखती है तो अपने सामने आयुष को खड़ा पाती है,,,,,

जिससे रूही ,,,,,,उसका हाथ ,,,,, अपने कांधे से हटा,,,,,,जमीन से खड़ी हो,,,,,उसे अपनी दूरी बना ,,,,,,अपनी आंखें नीचे कर खड़ी हो जाती है

,,,,, और वही आयुष रूही को,,,,,,इस तरह देख,,,,क्या हुआ रोहि ,,,,, क्या मैं इतना बुरा हूं ,,,,,,कि; तुम मुझे ,,,,,,अपनी नज़रें भी नहीं मिला रही

जिसे सुन रूही ,,,,,,अपना सर उठा ,,,,,,,,एक नजर आयुष की तरफ देखते हुए ,,,,,,,नजरे उससे मिलाई जाती है ,,,,,,,,,जो कोई अपना हो; लेकिन ,,,,,,,,,,,तुम तो कभी अपने थे ही नहीं ,,,,,,,,अगर होते तो ,,,,,,,,,तुम भी उसका साथ ना देते,,,,,,,मुझ; पर भरोसा करते

और उस रेस्टोरेंट में ,,,,,,,,,मेरी बेजती ना करते, ,, ,,,,,,, मैं हमेशा तुम्हें अपना सच्चा दोस्त माना था,,,,,,,,,,,लेकिन तुमने भी ,,,,,,,और फिर उस की तरफ पीठ कर ,,,,,वहां से जाने लगती है

रूही जाने लगती है ,,,,,,,,जिसे देख आयुष ,,,,,,,,आगे आ रूही का ,,,,,पीछे से हाथ पकड़ लेता है ,,,,,,

और वही रूही ,,,,,,,आयुष; के इस; तरह ,,,,,हाथ पकड़ने से ,,,,,,,,वही जम जाती है,,,,,,,,,,उसे यह एहसास कुछ जाना पहचाना लग रहा था,,,,,,,,जिसे महसूस कर,,,,,,रूही की आंखें छोटी हो जाती है ,,,,,,,और रुही अपने कदम वही रोक देती है ,,,,,,,,और फिर पलट ,,,,,,,,एक नजर बड़ी गौर से ,,,,,,आयुष को देखती हैं ,,,,,,,,,,,जैसे वह पहचान की कोशिश कर रहे हो ,,,,,,,,,,और फिर अपना सर झटक ,,,,,आंखें मींच लेती है,,,,जैसे वह उन यादों को दूर भागना चाहती हो



की तभी उसे आयुष की आवाज आती है ,,,,,,,,आई एम सॉरी रोहि,,,,; लेकिन मैं क्या करता ,,,,,,,,,,क्योंकि मिहिर भी मेरा दोस्त है ,,,,,,,,और मैं उसे दुखी नहीं देख सकता ,,,,,,,,,,और रही बात रेस्टोरेंट में,,,,,,,,,,तो वह सब मुझे मिहिर ने करने को कहा था ,,,,,,,,,,सच में ,,,,,,,,मैं यह सब नहीं करना चाहता था ,,,,,,,,,,और फिर अपना सर झटकते हुए ,,,,,,,,,खैर छोड़,,,,,,,और वह बात करता हूं,,,,, जिस के लिए,,,,,मैं यहां आया था,,,,तुमसे मिलने

और वही रूही आयुष की बात सुन ,,,,,,,अब भी कोई रिएक्ट नहीं करती ,,,,,,,,,,

कि तभी आयुष,,,,,,रूही मेरी बात मानो,,,,,,तो तुम यहां से बहुत दूर चली जाओ,,,,,,,,,,,क्योंकि तुम यहां पर रहोगी,,,,,,,,,तो तुम्हारी जिंदगी ,,,,,,नरक बन जाएगी,,,,,,,,,क्योंकि मिहिर पागलों की तरह तुमसे,,,,,,,,नफरत करता है

वह तुम्हें दुख दर्द देने के लिए ,,,,,कुछ भी कर सकता है ,,,,,,,,किसी भी हद तक,,,,,गिर सकता है,,,,,,,क्योंकि मैंने उसे खुद ,,,,,,,,कयी बार समझाया था,,,,,,,,की रूही के साथ ऐसा मत कर,,,,,,,,,उस पर ,,,,,,एक बार यकीन करके देख,,,,,,,,,लेकिन वह नहीं मानता ,,,,,,,,,,क्योंकि वह ,,,,,,बस तुझे हामेसा रोता हुआ देखना है

इसलिए मैं कह रह रहा हूं,,,,,,,,कि तुम मेरी बात मानो,,,,,,और यहां से बहुत दूर चली जाओ,,,,,,और फिर अपनी जेब से कुछ पैसे निकाले; ,,,,,,,रोहि के हाथ में रखते हुए

और वही रूही,,,,,,,,अपने हाथ में पैसे देख ,,,,,,,,,,आयुष की तरफ देखते हुए ,,,,,,,आयुष ,,,,,,, यह क्या कर रहे हो,,,,,,,,मुझे यह पैसे पैसे नहीं चाहिए,,,,,,, इसे,अपने पास ही रखो ,,,,,,और यह कहते हुए रूही ,,,,,,,,,सारे के सारे पैसे आयुष के हाथ में दोबारा रख देती है


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