Shoharat ka Ghamand - 107 in Hindi Women Focused by shama parveen books and stories PDF | शोहरत का घमंड - 107

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शोहरत का घमंड - 107

डॉक्टर की बाते सुन कर मीनू और उसकी मम्मी के पैरों तले जमीन खिसक जाती है और मीनू की मम्मी बोलती है, "डॉक्टर साहब आप ये क्या बोल रहे हैं"।

तब डॉक्टर बोलता है, "देखिए अब हम कुछ भी नहीं कर सकते हैं, आप उन्हें ले जाइए"।

मीनू और उसकी मम्मी कांपने लगते हैं और एक दूसरे को पकड़ कर रोने लगते हैं।

आलिया अपने कमरे में चली जाती है। आरू अपने मॉम और डैड के साथ बैठ जाती हैं। आरू की मॉम बोलती है, "बेटा तुम्हे कुछ हुआ तो नहीं है तुम ठीक हो न"।

तब आरू बोलती है, "मॉम मुझे तो कुछ भी नहीं हुआ है मैं तो ठीक हू, मगर भाभी का हाथ बहुत बुरी तरह से कट गया है और बहुत खून भी निकला है, और आपने उनसे कुछ पूछा तक नहीं "।

तब आरू की मां बोलती है, "बेटा वो तुम्हारी भाभी नहीं है"।

ईशा स्कूल से आ जाती है और देखती है कि उसके घर में ताला लगा होता है। तो वो घर के पास ही बैठ जाती हैं। तभी वहां पर एंबुलेंस आती है और उसमें से मीनू और उसकी मम्मी निकलती है।

तब ईशा उनके पास जाती है और बोलती है, "क्या हुआ आप दोनों क्यों रो रहे हो और आप लोग कहा गए थे और पापा कहा है ?????

ये सुनते ही आलिया की मम्मी ईशा को गले लगाती हैं और रोने लगती हैं।

तब ईशा बोलती है, "क्या हुआ मम्मी आप रो क्यों रहे हो, बताओ न और पापा कहा है"।

तब ईशा की मम्मी बोलती है, "तेरे पापा हमे हमेशा के लिए छोड़ कर चले गए मेरी बेटी "।

तब ईशा बोलती है, "ये क्या बोल रहे हो आप, पापा कहा चले गए, उनसे तो खुद चला भी नहीं जाता है, क्या हुआ बताओ न मम्मी, आपकी लड़ाई हो गई है क्या पापा से "। तभी एम्बुलेब से लोग आलिया के पापा की लाश को निकालते हैं और घर के पास रख देते हैं।

तब ईशा बोलती है, "ये कौन है ????

तब मीनू बोलती है, "पापा .....

तभी ईशा लाश पर से कपड़ा हटाती है , और अपने पापा को देख कर चिल्ला पड़ती है, "पापा.......

उसके बाद ईशा बेहोश हो जाती है। जिससे आलिया की मम्मी और मीनू और ज्यादा परेशान हो जाते है।

उधर आर्यन घर पहुंचता है और आरू से बोलता है, "आरू क्या हुआ तुम्हे तुम ठीक तो हो बच्चा"।

तब आरू बोलती है, "मैं तो ठीक हू "।

तब आर्यन की मॉम बोलती है, "आर्यन तुम से एक बहन पर ध्यान नहीं दिया जाता है, अगर इसे आज कुछ हो जाता तो, तुम तो सच में किसी भी काम के नहीं हो, कल से मैं खुद इसे कॉलेज ले कर जाऊंगी और खुद ही ले कर आऊंगी "।

तब आरू बोलती है, "भाई मैं तो बिल्कुल नहीं हूं, मगर मेरी वजह से भाभी के हाथ में चोट लग गई है और बहुत खून भी निकला है, और अगर मैं आज यहां पर सही सलामत खड़ी हु न तो सिर्फ और सिर्फ भाभी की वजह से "।

तब आर्यन की मॉम बोलती है, "बस करो आरू, क्या ये भाभी भाभी लगा रखा है तुमने "।

तब आरू बोलती है, "जो सच है मैं वही बता रही हूं "।

आरू कमरे में चुप चाप गुमसुम सी बैठी रहती है और अपने पापा के बारे में सोचती रहती है। तभी वहां पर आर्यन आता है और बोलता है, "थैंक्स मेरी बहन की हेल्प करने के लिए"।

मगर आलिया कुछ भी नहीं बोलती है, बस चुप चाप बैठी रहती है।

उधर मीनू और उसकी मम्मी पानी छिड़क कर ईशा को उठाते हैं। और ईशा उठते ही पापा की लाश से लिपट कर रोने लगती है और बोलती है, "मम्मी मैं जब सुबह गई थी तो पापा बिल्कुल ठीक थे, तो फिर इन्हें अचानक क्या हो गया"।

तभी वहां पर नरेश अंकल आ जाते हैं और बोलते हैं, "अरे ये सब क्या हो गया और मुझे किसी ने कुछ बताया क्यों नहीं ..........