Ishq da Mara - 38 in Hindi Love Stories by shama parveen books and stories PDF | इश्क दा मारा - 38

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इश्क दा मारा - 38

रानी का सवाल सुन कर राधा गुस्से से रानी की तरफ देखने लगती है और उसे चुप रहने को कहती हैं।

तब यूवी के पापा बोलते हैं, "बहु तुम रानी को इतने गुस्से से क्यों देख रही हो, बच्ची एक सवाल ही तो कर रही है"।

तब राधा बोलती है, "काका ये बस फालतू के सवाल ही करती रहती हैं, आप ध्यान मत दीजिए इस पर "।

तब यूवी के पापा राधा की तरफ गुस्से से देखने लगते हैं और बोलते हैं, "तुम काका किसको बोल रही हो "।

तब राधा बोलती है, "आपको"।

तब यूवी के पापा बोलते हैं, "मैं काका हु तुम्हारा "।

तब यूवी की मां हंसने लगती है और बोलती है, "बेटा अब ये तुम्हारे काका नहीं है, अब ये भी यश और यूवी की तरह तुम्हारे पापा ही है"।

तब रानी बोलती है, "देखा काकी आपने की दिमाग किसके पास नहीं है, मगर आप किस लड़की की बात कर रहे हैं "।

तब यूवी की मां बोलती है, "अभी खाना खा लो और आराम से सो जाओ, सुबह मे तुम्हे सब कुछ बता दूंगी "।

सुबह होती है......... 

गीतिका के भाई और भाभी गीतिका के डैड और मॉम के पास जाते हैं। गीतिका का भाई बोलता है, "डैड मैं ये क्या सुन रहा हूं "।

तब गीतिका के डैड बोलते हैं, "ऐसा क्या सुन लिया है तुमने, जो इतना गुस्सा हो रहे हो"।

तब गीतिका का भाई बोलता है, "डैड आप जानते तो है कि मुझे इस राजनीति में कोई इंट्रेस्ट नहीं है, मैं अपने बिजनेस में बहुत ही खुश हूं, तो फिर ये सब क्यों"। 

तब गीतिका की मॉम बोलती है, "मगर हमे तुम्हारे इस बिजनेस से कोई खुशी नहीं है और तुम शायद भूल रहे हो कि मैं एक राजनीतिक फैमिली से बिलोंग करती हूं, और मैं चाहती हूं कि तुम भी राजनीति में ही आओ "।

तब गीतिका की भाभी बोलती है, "मॉम मगर जब किसी को इंट्रेस्ट ही नहीं है तो फिर आप यू जबरदस्ती कैसे कर सकती है "।

तब गीतिका की मॉम गीतिका की भाभी की तरफ गुस्से से देखती है और बोलती है, "मैं एक मां हूं और मैं कुछ भी कर सकती हूं, और तुम मेरे बेटे को बहकाओ मत, वरना जिस तरह से मैने गीतिका को यहां से भेजा है, तुम्हे भी वैसे ही भेज दूंगी "।

तब गीतिका का भाई बोलता है, "मॉम मगर आप जानती तो है कि मैं इस बिजनेस को ले कर कितनी पोजेसिव हू "।

तब गीतिका की मॉम बोलती है, "देखो मुझे तुम्हारी फालतू की बकवास सुनने का कोई शौक नहीं है, इसलिए मुंह बंद करके चुप चाप से जाओ यहां से "।

उसके बाद वो वहां से चले जाते हैं।

तब गीतिका के डैड चुप चाप हो जाते हैं। तब गीतिका की मॉम बोलती है, "अब आपको क्या हो गया है "।

तब गीतिका के डैड बोलते हैं, "गीतिका का नाम सुनते ही उसकी याद आ गई, मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि मेरी बेटी मुझ से दूर चली गई है "।

तब गीतिका की मॉम बोलती है, "मैं उसकी मां हूं कोई दुश्मन नहीं, और उसके भले के लिए ही उसे यहां से भेजा है, और आप इतना परेशान क्यों हो रहे है, वो आपकी बहन के पास ही तो गई है, और जैसे ही सब कुछ नॉर्मल हो जाएगा हम बुला लेंगे उसे "।

उधर गीतिका अपने फूफा जी और बुआ जी के साथ नाश्ता कर रही होती है। और बोलती है, "बुआ जी वैसे वो लड़का जो कल आया था कौन था "।

तब गीतिका की बुआ जी बोलती है, "बेटा वो एक बहुत ही बड़े गुंडे का बेटा है "।

तब गीतिका बोलती है, "तो आप उस गुंडे को कैसे जानती है "।

तब गीतिका की बुआ जी बोलती है, "बेटा वो इसी गांव का है, और उनकी पहुंच सारे गुंडों से है, और वहीं हमारी मदद कर सकते है, लड़कियों का पता लगाने में "।

तब गीतिका बोलती है, "मैं सारा दिन घर में बैठी बैठी बोर होती रहती हूं, मैं भी इस काम में आप लोगों की मदद करु, प्लीज.....

तब गीतिका के फूफा जी बोलते हैं, "नहीं बेटा, तुम ये सब नहीं कर सकती हो, तुम्हारे मां बाप ने तुम्हे यहां पर रहने के लिए भेजा है, कोई काम करने के लिए नहीं"।

तब गीतिका जिद करने लगती है और बोलती है, "प्लीज फूफा जी मान जाइए न.........