Nashe Ki Raat - Part- 6 in Hindi Women Focused by Ratna Pandey books and stories PDF | नशे की रात - भाग - 6

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नशे की रात - भाग - 6

राजीव को इस तरह देखकर अनामिका का दिल टूट गया। सुहाग रात के सुंदर सपने पल भर में शराब ने चकना चूर कर दिए। उसने राजीव को रोकने की बहुत कोशिश की। उसे ऐसा लग रहा था कि यह प्यार नहीं, बल्कि एक प्रकार की जबरदस्ती है। वह उसकी मर्जी के खिलाफ ऐसा हरगिज़ नहीं होने देगी।

उसने राजीव से कहा, "राजीव छोड़ो मुझे, कल शराब के बिना मेरे पास आना हम तभी एक हो सकेंगे ... ऐसे तो बिल्कुल नहीं।"

"अरे शराब के बिना कैसे बुला रही हो? शराब के साथ ही शबाब का मज़ा आता है। मैं तो हर रोज़ ऐसे ही शराब पीकर आता हूँ, तुम्हें आदत डाल लेनी होगी।"

" राजीव यह तुम क्या बक रहे हो?"

नशे में धुत्त राजीव कहने लगा, "अरे पत्नी हो तुम मेरी ... मेरी जब इच्छा होगी तब ..."

अनामिका ने राजीव को एक धक्का दिया और कमरे से बाहर जाते हुए कहा, "राजीव मैं कोई गाड़ी नहीं हूँ जो तुम्हें शादी करके उसे चलाने का लाइसेंस मिल गया है। तुमने मेरी मर्जी के खिलाफ कुछ भी किया तो वह बलात्कार ही होगा," कहते हुए वह कमरे से बाहर चली गई और बाहर से दरवाज़ा बंद कर दिया।

राजीव ने इधर उधर देखा, कुछ समय तक दरवाज़ा भी खटखटाया, 'अनामिका' कहकर उसे पुकारा, फिर वहीं बिस्तर पर लुढ़क गया।

बाहर निकल कर अनामिका को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे? किससे कहे? रात काफ़ी हो चुकी थी, सभी सो रहे थे। वह भी चुपचाप ड्राइंग रूम में जाकर सोफे के ऊपर बैठ गई।

इस समय उसके दिमाग़ में अभी भी वही प्रश्न घूम रहा था, "क्या करूं? मम्मी पापा को फ़ोन करूं? नहीं वह परेशान हो जाएंगे। विदाई के समय भी वे दोनों कितने परेशान और दुखी लग रहे थे। छुप-छुप कर रो रहे थे। आंसुओं को बार-बार पोछते जा रहे थे। ऐसे में यह सब बताकर वह उन्हें और परेशान नहीं करेगी।"

इस समय उसे अपने भविष्य की चिंता खाए जा रही थी। अनामिका निराश होकर सोफे पर लेट गई। उसकी आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे। उसके साथ यह क्या हो गया है? कहीं यह सच में रोज़ की बात तो नहीं हो जाएगी? कहीं उसका जीवन एक शराबी के साथ तो नहीं बंध गया? कहीं उसका जीवन नर्क तो नहीं बन जाएगा?

उसे आज अपनी मम्मी की वह बात याद आ रही थी कि उन्हें अपनी ख़्वाहिशें, अपने सपनों का कितनी बार त्याग करना पड़ा था। उनके लिए पापा के असीम प्यार से ज़्यादा महत्त्वपूर्ण यह सांसारिक वस्तुएँ हैं। यदि उन्हें राजीव जैसा पति मिला होता, तब वह कोई सपना देखने के लायक ही नहीं बचतीं। ख़ुद को बचाने के सपनों में ही दिन-रात बीत जाते। बेचारे पापा ...! यही सोचते-सोचते सुबह की घड़ी नज़दीक आ गई, तब अनामिका की आँख लग गई।

इस समय लगभग आठ बजे थे, अनामिका गहरी नींद में सोफे पर सो रही थी। कमरे में राजीव भी शराब की खुमारी में सो रहा था। लेकिन सरगम और संजीव का अब तक सब कुछ हो चुका था। वे ऑफिस जाने के लिए तैयार थे और उन्होंने नाश्ता भी कर लिया था।

घर में काम करने वाले भी सब मौजूद थे। उनमें आपस में कानाफूसी हो रही थी। घर में साफ़ सफ़ाई का काम करने वाली सुधा ने दूसरी नौकरानी मधु से कहा, "छोटी मैडम बाहर ही क्यों सो गई होंगी?"

मधु ने कहा, "हाँ देखो तो सुहाग रात को कोई ऐसा करता है क्या? ज़रूर दोनों में झगड़ा हो गया होगा।"

रत्ना पांडे, वडोदरा (गुजरात)
स्वरचित और मौलिक 
क्रमशः