Ishq Da Mara - 37 in Hindi Love Stories by shama parveen books and stories PDF | इश्क दा मारा - 37

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इश्क दा मारा - 37

गीतिका के फूफा जी की बाते सुन कर यूवी बोलता है, "काका ये कौन है और आपके घर में क्या कर रही है"।

तब गीतिका के फूफा जी बोलते हैं, "ये तुम्हारी काकी के भाई की बेटी है और ये यहां पर रहने के लिए आई है "।

तब यूवी बोलता है, "क्यों शहर वालो ने इसको भगा दिया है, जो ये यहां पर रहने के लिए आई है"।

तब गीतिका के फूफा जी बोलते हैं, "तुम जानते हो क्या इसे "।

तब यूवी बोलता है, "नहीं नहीं मैं भला इसे क्यों जानने लगा"।

तब गीतिका के फूफा जी बोलते हैं, "तो फिर लड़ क्यों रहे हो इससे "।

तब गीतिका बोलती है, "फूफा जी ये है कौन और यहां पर क्या कर रहा है ????

तब गीतिका के फूफा जी बोलते हैं, "बेटा ये इसी गांव का है"।

तब गीतिका बोलती है, "तो फिर यहां पर क्या कर रहा है"।

तब गीतिका के फूफा जी बोलते हैं, "किसी काम से आया है"।

तब गीतिका बोलती है, "आपको इससे क्या काम है"।

तब गीतिका के फूफा जी बोलते हैं, "कुछ जरूरी काम है बेटा"।

तब यूवी बोलता है, "काका मैने पूरे शहर में अपने लोगों को भेज कर देख लिया, मगर कही पर एक भी लड़की का पता नहीं लगा "।

तब गीतिका बोलती है, "कैसी लड़कियां "।

तब यूवी बोलता है, "तुम मुंह बंद करो और जाओ यहां से"।

तब गीतिका बोलती है, "मैं कही नहीं जाऊंगी ये मेरे फूफा जी का घर है तुम जाओ यहां से"।

तब गीतिका के फूफा जी बोलते हैं, "तुम दोनों ये कैसे छोटे बच्चों की तरह लड़ रहे हो "।

तब गीतिका बोलती है, "बताइए न फूफा जी ये किन लड़कियों की बात कर रहा है "।

तब गीतिका के फूफा जी बोलते हैं, "बेटा तुम्हारी बुआ जी ने बताया नहीं था कि वो हमारे गांव की जो भी लड़की शहर में काम करने जाती हैं, वो कभी वापस ही नहीं आती है, और उसके बारे मे कुछ पता भी नहीं चलता है "।

तब यूवी बोलता है, "क्या करे काका शहर की हवा ही इतनी खराब है "।

तब गीतिका बोलती है, "ओह हेलो मैं भी शहर से ही आई हूं"।

तब यूवी  धीरे से बोलता है, "तभी इतनी टेढ़ी हो"।

तब गीतिका के फूफा जी बोलते हैं, "बेटा ऐसा कैसे हो सकता है कि, इतनी सारी लड़कियों में से किसी का भी कुछ भी पता ना चले"।

तब यूवी बोलता है, "मुझे भी ये समझ में नहीं आ रहा है काका, सारी का नहीं कम से कम कुछ का तो पता चलता न "।

तब गीतिका बोलती है, "मुझे तो ये मिस्ट्री समझ में ही नहीं आ रही है "।

तब यूवी बोलता है, "तुम्हे समझने की जरूरत भी नहीं है , काका मैं सोच रहा था कि अब कुछ दिनों के लिए यहां की लड़कियों को शहर ही ना भेजे"।

तब गीतिका के फूफा जी बोलते हैं, "बेटा कब तक नहीं भेजोगे, कभी ना कभी तो कोई न कोई तो जरूर जाएगी "।

तब यूवी बोलता है, "कुछ दिनों के लिए तो रोकना ही पड़ेगा "।

तब गीतिका बोलती है, "फूफा जी अगर आप बुरा ना माने तो मैं आपकी हेल्प करु, लड़कियों को ढूंढने में "।

तब यूवी गुस्से में गीतिका को देखने लगता है और बोलता है, अब कही उन लड़कियों को ढूंढ़ते ढूंढते तुम ही मत खो जाना"।

तब गीतिका बोलती है, "तुम मुंह बंद रखो अपना"।

तब गीतिका के फूफा जी बोलते हैं, "नहीं नहीं बेटा तुम इन सब चीजों से दूर रहो, हम है ना, हम सब देख लेंगे"।

तब यूवी बोलता है, "अच्छा काका अब मैं चलता हूं, और कुछ काम हो तो बता देना "।

उसके बाद यूवी चला जाता है वहां से"।

रात होती है..........

यूवी घर पहुंचता है और जा कर खाने की टेबल पर बैठ जाता है। तब यूवी के पापा बोलते हैं, "लड़कियों के बारे में कुछ पता चला "।

तब यूवी बोलता है, "नहीं.......

तब रानी बोलती है, "कौन सी लड़की........