Depression - 1 in Hindi Short Stories by Neeta Batham books and stories PDF | डिप्रेशन - भाग 1

Featured Books
  • My Wife is Student ? - 25

    वो दोनो जैसे ही अंडर जाते हैं.. वैसे ही हैरान हो जाते है ......

  • एग्जाम ड्यूटी - 3

    दूसरे दिन की परीक्षा: जिम्मेदारी और लापरवाही का द्वंद्वपरीक्...

  • आई कैन सी यू - 52

    अब तक कहानी में हम ने देखा के लूसी को बड़ी मुश्किल से बचाया...

  • All We Imagine As Light - Film Review

                           फिल्म रिव्यु  All We Imagine As Light...

  • दर्द दिलों के - 12

    तो हमने अभी तक देखा धनंजय और शेर सिंह अपने रुतबे को बचाने के...

Categories
Share

डिप्रेशन - भाग 1

आज खुद को किसी की जुबान से सुना एक नन्ही सी परी ओर इतने बड़े बड़े शब्दों में सिमटी हुई कुछ तो गुजर रहा होगा जिन्दगी में उसके जो खेलने कूदने खिलकर हंसने की उम्र में डिप्रेशन,एंजायटी, hospital, काउंसलिंग जैसे शब्दों को इतना गहराई से जानती हैं वो नन्हा सा बचपन उस दौर में है जहां जीवन ही बेमाना लगता है यूं तो कई हाथ हैं उसके पास पर वो एक कंधा जिसपे सर रख कर सहमी हुईं वो रोक पाती अपने आसू अपना दर्द अपनी बेचैनी और अपनी घुटन उसे देखा उसकी बातों में एक दोस्त को तलासते हुए जो उसे पूछे किस दर्द ने घेरा है तुम्हे पर ये दुनिया हैं यहां हमदर्द कहा मिलते है लोग तो आपसे जुडते ही इसीलिए हैं कि वो आपका उपहास कर सके हर दर्द दफ़न नहीं होता वक्त के साए में कुछ उभर आते है डिप्रेशन ओर एंजायटी बनकर हर कहानी के अंत में सुकून नही होता कुछ कहानियां डिप्रेशन, एंजायटी, बेचैनी, घुटन, घबराहट, तो कुछ जीवन में डर लेकर आती हैं वो हॉस्पिटल जहां जाना एक खौफ से कम नि होता उसके बेड पर कुछ दिन गुजरना मेरी अन्तर आत्मा को छिंझोर कर रख गया वो डर बया नहीं किया जा सकता जो उस पल महसूस किया गया । कही नीद नही आती और कभी उठने का मन ही नहीं करता कही सारी रात आंखों में गुजर जाती तो कही हफ्तों बेचैनी है सताती कभी बहुत हंसता है चेहरा तो कभी महीनों आंखो का पानी नहीं सूखता बहुत बेचैन सी रहती है दिल की हर धड़कन डिप्रेशन बस डिप्रेशन नही होता वो होता है डर ,दर्द एक ऐसा डर जो लोगो से नहीं ख़ुद से खुद को लगता है बहुत संभालने वाले भी अंत में छोड़ ही देते है पागल कहकर पर जो हर पल खुद से लड़ता है उसे कोई समझ ही नही पाता ख़ुद खुदको बचाने की जंग में कई बार खुदको ही घायल किया है कि जिंदगी से बचते बचते मौत को हासिल किया है।। शब्दों में जाए तो बहुत मामूली सा लगता हैं क्या है डिप्रेशन बस एक गहरी सोच के अलावा पर इसमें गहराई इतनी है कि एक जीवन मिट जाए वो बचपन खो गया एक धुंध के पीछे जहां हर बात दिमाग में एक कहानी बनती हैं फिर उसे सच मानती हैं और उसी के सहारे जीने की कोशिश करती हैं डिप्रेशन डीप सोच का  रिएक्शन है जो खुदको बंद कमरे में घुटने पर मजबूर कर देता हैं वो मन की ऐसी स्थिति है जिसमें पता ही नही चलता हम खुदको ही चोट पहुंचा देते है डिप्रेशन के वो हेवी डोज जिसने मेरे जीवन पर बड़ा गहरा असर डाल है।।जो लोगो को मजाक लगता हैं वो हमारी जिंदगी की हकीकत है हम उसे रोज जी रहे है वो डर हमें रोज डराता है कि न जाने हमारी जिंदगी की कब श्याम हो जाएं हम कल उन लोगों से मिल पाएंगे या नहीं जिनको खोने के डर से हम आज यहां है पर वो नन्ही सी परी जिस खौफ में हैं जाने जिंदगी के किस सच से रूबरू है जो आज इस हाल में है।।

बड़े नाजों से संभाला होगा उस दर्द को दिल ने,

जिसे भी कहा अधूरा ही कहा होगा 

वरना किसी दर्द में इतना डर कहा होता है 

जो डिप्रेशन,एंजायटी बनकर उभर आए 

 खेल तो खेला है दिल ने दिमाग के संग 

यूं ही तो ऐक्शन का रिएक्शन नहीं होता 

जो दिल ओर दिमाग का संतुलन बिगाड़ दे 

हर गहराई में उतरने वाला डिप्रेशन नहीं होता ।।