Nafrat e Ishq - 5 in Hindi Love Stories by Sony books and stories PDF | नफ़रत-ए-इश्क - 5

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नफ़रत-ए-इश्क - 5

 विराट अपने आंखों को तपस्या की आंखों से हटाकर उसके कांप ते होठों पर डाल देता है। जो विराट के क़रीब होने से अपने आप ही कांप ने लगे थे।इस वक्त विराट उसके इतने नजदीक था कि उसकी गर्म सासें वो अपने चेहरे पर महसूस कर पा रही थी। तपस्या की नजरें अब भी विराट के गहरी नीली आंखों में खोए हुए थे ।इस वक्त उसकी धड़कन नॉर्मल से बहुत तेज बड़ी हुई थी जो विराट बखूबी महसूस कर पा रहा था ।विराट एक इंटेंस स्माइल  कर.....तपस्या से थोड़ा दूर होते हुए हल्के और  सिडैक्टिव आवाज में बोला "आप ठीक तो है मिस रायचंद?"तपस्या के चेहरे के सामने चुटकी बजाते हुए वो पूछने लगा। तपस्या अपने ख्यालों से बाहर आते हुए ,"जी जी हम बिल्कुल ठीक हैं ।"वो कुछ हड़बड़ाते हुए बोलि।विराट उसके नजरों में गहरी नजर डालकर इंट्रेंस voice में,"ऐसा लग तो नहीं रहा?"आप कहें तो मैं आपके घर ड्रॉप कर दूं ?"तपस्या सवालिया नजर से उसे देखकर ,"आप हमें कैसे जानते हैं ?"विराट एक सर्ककास्टिक  स्माइल देते हुए ,"एशिया के टॉप मोस्ट बिजनेस टाइकून यशवर्धन के फैमिली को कौन नहीं जानता ।खास कर जब वो खुद बिजनेस वर्ल्ड से ताल्लुक रखता हो ।"बात करते हुए ही वो तपस्या के चेहरे के करीब झुकने लगा था ।और उसकी आवाज जानबूझकर सनक भरी थी।तपस्या खुद को संभाल कर ,"थैंक यू फॉर आस्किंग ।लेकिन हमें हमारे घर से भाई लेने आ रहे हैं ।बस पहुंचते ही होंगे।"विराट व्यंग भरे अंदाज में निराश होते हुए , "शीट, जस्ट मिस्ड द चांस।"बोलकर हल्का मुस्कुराते हुए पलट कर जाने लगा।बस वो जाने केलिए एक कदम बढ़ता ही हे के तपस्या उसे रोक कर,"एक्सक्यूज मि"बोल कर ही वो रूक गई।विराट हवा में उठाए हुए उसके कदम रोक कर एक इविल स्माइल करते हुए मन ही मन बोला,

"गुजरते तूफान को न्योता देकर रोकना आपके बचपन की आदत है प्रिंसेस । तब तो आप को हर तूफान से बचाने केलिए आप के पास आप का डफर था। जिसे आप ने ख़ुद एक चलता फिरता तूफान बनादिया। अब आपको इस तूफान से कौन बचायेगा?"

बोलकर वो पीछे मुड़कर तपस्या को देखता है। जो उसे ही खोए हुए देखे जा रही थे।"क्या हम पहले मिल चुके हैं ?"विराट के पलटते ही तपस्या ने उसे पूछा ।"शायद हां ,या फिर शायद नहीं।"विराट ने उसके और कदम बढ़ाते हुए कहा ।तपस्या की हार्टबीट तेजी से बढ़ने लगी। और बजे उसके समझ में नहीं आ रही थी ।वो तो विराट से शायद पहली बात मिल रही थी।फिर क्यों उसे ऐसा महसूस हो रहा था के वो उसे वर्षों से जानती हो , वो भी बेहद करीब से ।जैसे वो  उन नजरों को पहचानती हो। जिनमें देखते ही  वो खुद को धड़कनों पर काबू ही नहीं कर पा रही है । उसके इतने करीब होने के एहसास क्यों उसे नया नहीं महसूस हो रहा ?क्यों उसे उस अजनबी के इतने करीब होने पर भी  डर या झिझक नहीं महसूस हो रही?ऐसे नजाने कितने सवाल इन कुछ पलों में विराट के आंखों में देखते हुए तपस्या के जहन में उथल-पुथल मचा रही थी । विराट एकदम से नजदीक आकर तपस्या के चेहरे के सामने झुक जाता हे। इतने करीब कि दोनों की सांस इस वक्त एक दूसरे में घुल रही थी।विराट एक सेडक्टिव स्माइल लिए तपस्या की आंखों में झांक कर उसकी पलकों को ब्लू कर बंद कर देता हे। उसके तरफ झुक कर अपनी गहरी सांसें उसपर छोड़ते हुए दबे इंट्रेंस वॉयस में बोला,"सायद हम पहले मिले हों, लिकिन सायद वो मुलाकातें इतनी असरदार नहीं थी के आप के यादों पर कब्जा कर पाते।"कहते हुए उसने अपने उंगलियों से उसके गालों को एक अदा से हल्का सा टच किया। उस पर पड़े एक विश हेयर को उठाकर एक नजर डालकर तपस्या के बंद गहरी पलकों को देखने लगा ।तपस्या की सांस ऊपर नीचे हो रही थी ।उसके होंठ कांप रहे थे ।और धड़कने बेकाबू सी थी ।जिसे उसके हर एक एहसास को कोई और कंट्रोल कर रहा हो।विराट उसके चेहरे के हर एक्सप्रेशन को कुछ पल तक गहरे नजरों से देखने लगा ।फिर अचानक से अपने चेहरे के भाव बदल कर दर्द और नफरत भरी नजरों से उसे देखते हुए मन ही मन बोलने लगा ,"अपनी जिंदगी की आखिरी दुआ मांग लीजिए प्रिंसेस और दुआ में मेरी मौत मांग लेना। क्योंकि अगर मैं जिंदा रहा तो आपको ये जिंदगी रास नहीं आएगी ।"कहते हुए वो तपस्या के हाथों को थाम कर उस पर विश हेयर रखकर अपने होठों को उसके कानों के करीब कर उसके कानों को अपने लबों से छू ते हुए कसक भरी आवाज में बोला ,"May all your dreams come true except one।" बोल कर ही तपस्या के इयरलोब को अपने होठों से हल्का चूम लेता है ।तपस्या अपनी पलकें के और  कसकर बंद कर देती है।     तपस्या, तपस्या"अजीब सी बेचैनी और  एहसास के बीच तपस्या अचानक से एक जानी पहचानी आवाज सुनकर अपनी आंखें धड़ से खोल देती है ।सामने खडा सक्स उसका नाम पुकारते हुए उसे अजीब सी शक्ल बनाकर देख रहा था। देखना भी वाजिब था ,क्योंकि तपस्या एयरपोर्ट के एग्जिट डोर के बीचो-बीच खडी होकर अपने हाथ की मुट्ठियां बनाए  चेहरे के सामने रख आंखें बंद किए खड़ी थी।"भाई, आप कब आए?"तपस्या सवालिया नजरों से अभय को देखकर पूछने लगी।अभय उसे अभी भी अजीब सी नजरों से देखते हुए,"हम तो अभी आए हैं ,लेकिन आप यूं रास्ते के बिचमे आंखें बंद कीए किन खयालों में खोए हुए हैं ?"फिर थोड़ा मुस्कुराते हुए  शरारती अंदाज में,"अगर सिद्धार्थ के बारे में सोच रहे हैं ,तो घर जाने से पहले उनसे मिलकर चलते हैं।"तपस्या को तो उसकी बात जेसे सुनाई ना पड़ी हो।वो अपने ही ख्यालों में खोई हुई चारों ओर नजर घुमाते हुए देखती हे।आते जाते लोग घूर कर उसे ही देख रहे थे । लेकिन उसकी  नजरों किसी और को ही ढूंढ रही थी। उसकी नजर अपने मुठ्ठी पर रखें विष हेयर पर पड़ती हे । जो अभी तक वही टिकी हुई थी।"वो .... वो..कहां गए?"तपस्या बेकरारी में इधर उधर देख पुछने लगी।"कौन ?"अभय उसे सावलिया नजरों से देखते हुए पूछा ।"वहीं,जिनके साथ अभी हम बात कर रहे थे ।"तपस्या अपनी नज़रें चारों ओर घुमाते हुए बोलि।" लेकिन जब हम आए तो यहां कोई भी नहीं था आप ही अकेले पागलों की तरह बीच में खड़ी थी ।"अभय ने उसे समझाते हुए कहा और उसके लगेज उठाकर बोला ,"जल्दी चलिए वरना अगर एक भी रिपोर्टर की नजर आप पर पड़ी तो हिटलर हमारा जीना हराम कर देंगे ।"बोलकर अभय गाड़ी की तरफ चला गया।लिकिन तपस्या वहीं खड़े खुद में ही खोए हुए खुद से बात करने लगे।"कौन है आप?आपके करीब होकर यूं अजीब सा क्यों महसूस हो रहा है।"सोचते हुए ही वो अपने मुट्ठियों में पड़े हुए विश हेयर को देखकर होठों के करीब लाकर आंखें बंद कीए ब्लू करते हुए बोलि,

"इफ विशेष कम ट्रू ,आई विश टू मीट यू अगेन ।"

सोचते हुए ही वो अपने आंखें खोल कर एक और उम्मीद भरी नजर चारों ओर डालकर फिर निराशा में वहां से गाड़ी के पास भाग गई।जहां अभय गाड़ी में बैठे कर हॉर्न मारते हुए उसका इंतजार कर रहा था। तपस्या के बैठते ही वो गाड़ी रायचंद हाउस की ओर बढ़ा देता है।             





  कहानी आगे जारी हैं ❤️❤️

क्या तपस्या की विश पुरी होगी?? और अगर होगी तो इसका नतीजा क्या होगा?जानने केलिए आगे पढ़ते रहीं.. और कमेंट रिव्यू देना प्लीज भूलिए मत.. साइलेंट रीडर्स प्लेस रेटिंग ही दे दीजिए बहत मेहनत लगती है लिखने में यार 🥹💗💗