Shayarana_fiza... - 3 in Hindi Poems by Utpal Tomar books and stories PDF | शायराना फिज़ा... 3 - इत्तेफ़ाक

Featured Books
  • પિતા

    માઁ આપણને જન્મ આપે છે,આપણુ જતન કરે છે,પરિવાર નું ધ્યાન રાખે...

  • રહસ્ય,રહસ્ય અને રહસ્ય

    આપણને હંમેશા રહસ્ય ગમતું હોય છે કારણકે તેમાં એવું તત્વ હોય છ...

  • હાસ્યના લાભ

    હાસ્યના લાભ- રાકેશ ઠક્કર હાસ્યના લાભ જ લાભ છે. તેનાથી ક્યારે...

  • સંઘર્ષ જિંદગીનો

                સંઘર્ષ જિંદગીનો        પાત્ર અજય, અમિત, અર્ચના,...

  • સોલમેટસ - 3

    આરવ રુશીના હાથમાં અદિતિની ડાયરી જુએ છે અને એને એની અદિતિ સાથ...

Categories
Share

शायराना फिज़ा... 3 - इत्तेफ़ाक

o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o

~तेरा जुनूँ ~

मैं तुझे जीने का सहारा नहीं, 

जीने की वजह बनना चाहत चाहता हूँ ||

मैं तुझे आसमानी ख्वाब नहीं ,

मेरे दिल की ज़मीनी हकीक़त दिखाना चाहता हूँ ||

मैं तुझे अरमानों की झूठी दुनिया नहीं,

मोहब्बत का एक सच्चा जहां दिखाना चाहता हूं ||

मैं जिंदगी के हर पहलू में तुझको नहीं ,

तुझ में जिंदगी के हर पहलू को तुझमे पाना चाहता हूँ ||

o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o 


~ हीर मेरी ~

मालूम नहीं है मेरी मोहब्बत सच है, या उसकी ?

कई दिनों से अपने आप से कहता हूं.....

वो अपनी ही से कहता है, "तुझे महफूज रखूंगा ....

मगर मैं अपनी ही के साथ महफूज रहता हूं...||

o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o 


~ चाहत ~

♡  गुलाम नहीं तेरा, मगर...

मोहब्बत की इस रियासत पर ,

अपनी बादशाहत भी नहीं समझता..

तुझे हक है मुझे छोड़ जाने का, मगर...

मुझे भी हक है ,उम्र भर तुझे चाहते जाने का का..||

o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o 


~ रूह ~

ज़माना जिस्म का दीवाना समझता है मुझे, 

कोई खुश नसीब ,तो कोई ना-गवारा कहता है मुझे,

कैसे अपने दिल के जज्बात इन्हें दिखाऊं मैं,

तेरी ही रूह ने अपनी रूह से मिलाया है मुझे,

तो फिर क्यों ना तुझे और सिर्फ तुझे ही चाहूँ  मैं.....||

o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o 


~ तू ही था ~

तू ही था जिसने मुझे मुझ से मिलाया ,

तुझ से तो मोहब्बत बेतहाशा थी, पर...

तूने मुझे खुद से मोहब्बत करना सिखााया ||

वो कहर खुदाया था... चला ना मेरा जोर उस पर ,

वरना  उठा के  खंजर चलाता अपनी तकदीर पर,

और तेरा नाम लिख देता...

जिस्म - ओ - रूह की हर एक लकीर पर..||

o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o 


~ हमसफ़र ~

मुद्दतों बाद तेरी चौखट पर आया हूं ,

इस फकीर की यह गुजारिश है... ए खुदा, 

 कि मेरा महबूब बेशक उसे बनाना,

जिसे मैं बेहद चाहता हूं ,मगर..

मेरा हमसफ़र उसे बनाना जो मुझे बेहद चाहता हो..||

o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o 


~ इत्तेफ़ाक ~

कुछ अधूरी सी जो जिंदगानी थी मेरी...

मुकम्मल करने को ,कुछ सजदे मैंने कर दिए  ||

जान बाकी थी, धड़कना बंद नहीं किया था दिल ने ...

मेरे सदियों के अरमान थे, जो एक पल ने सब कुचल दिए... ||

दुआ जब हुई मक़म्मल रूबरू होने की...

उन्हें कहा  "इत्तेफ़ाक" और कह के चल दिये ||

o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o