Apradh hi Apradh - 52 in Hindi Crime Stories by S Bhagyam Sharma books and stories PDF | अपराध ही अपराध - भाग 52

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अपराध ही अपराध - भाग 52

अध्याय 52

 

“इन्होंने कोई गलती नहीं की है सर…इन्हें भी कैद करेंगे तो कैसा होगा सर?” बीच में कुमार बोला।

“जैसे अप्पा की संपत्ति में बेटे को भी हिस्सा होता है वैसे ही उनके अपराध में भी होता है। अपने अप्पा के लिए बेटा भी अपराध में लिप्त सकता है ना?”

“सर इतने दिनों यह उनके साथ ही नहीं थे। इन्हें हम बहुत मुश्किल से ढूंढ कर लेकर आए हैं। मिस्टर कृष्णराज अपने बेटे को ही अभी देखा है। यही सत्य है” काफी दबाव डालकर धना बोला।

इसे सुनकर बड़ी जोर से वे हंसे।

“क्यों आप हंस रहे हैं?”

“एक इंटरनेशनल क्रिमिनल कैसे-कैसे नाटक करते हैं हमें पता है। अभी तक हमने कृष्णराज के संपत्ति को ब्लॉक नहीं किया इसका कारण इनका एक बेटा वारिस नहीं है। अभी आप कह रहे हो उनका एक बेटा है इसलिए मैं कह रहा हूं। इसके लिए आप क्या कह रहे हो?”

“ऐसा है तो इनका पार्टनर मिस्टर दामोदरन का विवेक एक लड़का है उसे भी आप कैद करेंगे क्या?”

“उसमें क्या संदेह है? विवेक की अब दामोदर उनके सारे कामों को करते हैं ऐसा हम लोगों को समाचार मिला है। हमारे लिस्ट में उनका भी नाम है। वे बचकर भाग नहीं सके, इसीलिए हमने सभी हवाई अड्डों पर सूचना दे दी उनके पासपोर्ट को ब्लॉक कर दिया।”

विवेक के बारे में बोलते ही दूसरे ही क्षण अभी तक चुपचाप खड़े संतोष के चेहरे पर विभिन्न प्रकार के बादलाव आए। उसकी पत्नी सुमति उसे अलग ले जाकर धीमी आवाज में कुछ-कुछ कह रही थी। 

“सुना आपने…अब मैं करोड़पति हूं आप अपनी छाती ठोक रहे थे ना…आपको भी पकड़ कर अब अंदर डालेंगे इसके लिए हम यहां आए हैं!…आप अंदर चले गए तो इन दोनों लड़कियों को रखकर मैं क्या करूंगी?”

“अपने मुंह को बंद रखो। वह ऑफिसर सिर्फ डराना चाहता है। करोड़ों रुपया ऐसा नहीं आ जाएगा। यदि मुझे कैद भी कर लेते हैं तो तुम बंगले में रहो और केस लड़ कर मुझे छुड़ाने की सोचना ।”

“यह क्या कोई साधारण केस हैं…इंटरनेशनल अपराध है। आप अगर चले जाओ तो बस चले गए समझो। आपको जेल भेज कर क्या मैं आराम से जी सकती हूं?”

दोनों आपस में एक दूसरे से तकरार करते समय उनके पास आकर कार्तिका बोली “भैया भाभी…जो कुछ हो रहा है इसे देखकर आप डर गए क्या?”

यदि आपको कैद कर भी लेंगे तो हम बहुत आसानी से बाहर ले आ जाएंगे। आप इतने दिन हमारे पास नहीं रहें हैं इसके लिए हमारे पास बहुत से आधार हैं। आप बिना मतलब मत डरिए” वह बोली। 

“अरे पागल तुम बिना मतलब ही डर रही हो…” संतोष बोला।

उसी वेग में उसने पूछा “उस विवेक को अरेस्ट कर लिया है क्या… नहीं तो अरेस्ट करने वाले हैं क्या?” उसने पूछा।

स्पेशल ऑफिसर चंद्र मोहन ने सुना। 

“हम उन्हें ढूंढ रहे हैं मालूम होते ही वह अंडरग्राउंड हो गया। परंतु पक्का हम उसे पकड़ लेंगे” बोले। 

तुरंत चंद्रमोहन के पास अकेले जाकर संतोष “सर, उसकी छुपने की जगह मुझे पता है। मैं उसे बता दूं तो मुझे आप छोड़ दोगे?”

“आप अभी ही आए हो बताया। फिर आपको विवेक के बारे में कैसे पता?” एकदम सही पूछा उन्होंने। 

“सर सर यह एक साधारण मैकेनिक है कॉर्पोरेशन में काम करने वाले स्वीपर के लड़के हैं। यह अंतरराष्ट्रीय स्मगलर के बारे में इन्हें कुछ नहीं पता। इनको रूपयों का लालच देकर ऐसा नाटक करने के लिए विवेक ने कहा। यह भी इसके लिए मान गए। 

“यही बात सत्य है। सचमुच में वह बड़े आदमी का लड़का कौन है कहां है हमें ही नहीं किसी को भी नहीं मालूम…” ऐसा बोलकर सच्ची बात को संतोष की पत्नी ने कह दिया। 

धनंजयन, कुमार और कार्तिका सभी लोगों के ऊपर जैसे आसमान गिर गया हो ऐसा सदमा लगा।

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