Apradh hi Apradh - 51 in Hindi Crime Stories by S Bhagyam Sharma books and stories PDF | अपराध ही अपराध - भाग 51

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अपराध ही अपराध - भाग 51

अध्याय 51

 

पिछला सारांश: 

कृष्णा राज का लड़का कहकर टू व्हीलर मैकेनिक संतोष को नकली बेटा बनाकर, दामोदरन के लड़के विवेक ने भेजा। सच्चाई मालूम नहीं होने से संतोष को अपना लड़का समझ कर उसकी आने की बहुत धूमधाम तैयारी कृष्णा राज और उसकी बेटी कार्तिका ने कर दी। संतोष की पत्नी सुमति को यह बात पसंद ना होने के कारण बार-बार वह अपने पति को समझाती रही। परंतु संतोष ने उसकी कोई बात नहीं सुनी। 

संतोष से बार-बार फोन पर बात करके वह उसके कहे अनुसार नाटक कर रहा है क्या? मालूम करता रहा विवेक। संतोष को लेकर धना और कुमार कृष्णा राज के घर पहुंचे। उसी समय विवेक फोन करके संतोष से बात की। रहस्य में ढंग से धीमी आवाज में संतोष ने बात की। इस बात से उन्हें संदेह हो गया। ऐसी स्थिति में ही कृष्णराज के बंगले पर पुलिस पहुंच गई। 

चंद्र मोहन आई.पी.एस. और दो पुलिस ऑफिसर साथ में थे। लाल रंग के पुलिस के शूं और शर्ट के ऊपर लगा हुए मोहर उनके नाम के बिल्लों में दिखाई दिए।

वे तीनों किसी की भी अनुमति लिए बिना अंदर घुसे। हाल में जो काम करने वाले थे वे लोग स्तंभित रह गए। 

उससे पूछा ‘श्री कृष्णराज है क्या? बंगले में और कौन-कौन है ?’ उन्होंने पूछा। 

अंदर की तरफ नौकर भागा।

अगले कुछ क्षणों में कार्तिका, धनंजयन एवं कुमार बाहर आकर तीनों को देखकर स्तंभित रह गए। संतोष और सुमति बच्चों के साथ हाल में आ गए। 

“सर आप?”

“आई एम चंद्रमोहन। स्पेशल इन्वेस्टिगेशन ऑफीसर। मिस्टर कृष्णराज कहां है?”

“पिताजी की तबीयत ठीक नहीं है। वे बेड रिडन हैं…” घबराते हुए कार्तिका ने कहा।

“वे अभी किसी भी हालत में हो, तो भी हमें उन्हें हर हालत में कैद करना होंगा।”

चंद्र मोहन के कठोर आदेश से कार्तिका घबरा गई। 

बीच में “एक्सक्यूज मी सर…उन्होंने क्या गलती की? पिछले 1 साल से ही वे चलने फिरने लायक नहीं है। उनकी हालत खराब है। ऐसे समय में उन्हें कैद करेंगे तो कैसे?” धनंजयन बोला। 

“आपकी बातों का जवाब इंटरपोल इंटरनेशनल पुलिस ही ठीक से विस्तार से जवाब दे सकती है। हम इंटरपोल के सहयोगी क्राइम ब्रांच ऑफिसर हैं। बाय दी बाय…हम मिस्टर कृष्णराज को देख सकते हैं?”

“नो…अप्पा को ऐसे सब लोग नहीं देख सकते।’इम्यून प्रॉब्लम’होने से डॉक्टर की अनुमति जरूरी है…” चंद्रमोहन को रोकने की कार्तिका ने सोचा। 

“ठीक, ठीक है, डॉक्टर कहां है? जरूरी हो तो हम करोना किट, पर्सनल पर प्रोटेक्टिव अचीवमेंट्स पहन कर उन्हें देखेंगे।”

“अब इस किट के लिए हम कहां जाएं?”

“आप फिकर मत कीजिएगा हम सब साथ लेकर आए हैं” चंद्र मोहन के कहते ही उनके साथ आए ऑफिसर में से एक को देखते ही वह अपने वाहन में रखे हुए सामान को लेकर आने के लिए दौड़े। 

“अचानक एक पेशेंट को कैद करना है कैसे होगा सर। मिस्टर कृष्णराज सोसाइटी में बहुत बड़े आदमी है। उनके भरोसे हजारों परिवार हैं।”

“आप?”

“मैं उनका सेक्रेटरी हूं। मेरा नाम धनंजयन है।”

“मिस्टर धनंजयन आपके मुताबिक बड़े आदमी दिखने वाले मिस्टर कृष्णराज सचमुच में सभी देशों के वांटेड एक अपराधी हैं। सोना, भगवान की मूर्तियां नशीले पदार्थ सभी का स्मगलिंग करने वाले तमिलनाडु के एजेंट हैं मिस्टर कृष्णराज।”

“सर, यह बेचारे हैं। दामोदरन ही सचमुच का एजेंट है। उनको जानने के कारण के ही यह उनसे मिलते जुलते थे। वह भी आजकल तो वह भी नहीं है।”

“मिस्टर धनंजयन उस दामोदर को हमने अरेस्ट कर लिया है। वे और कृष्णराज दोनों पार्टनर हैं। इसके कई साक्ष्य हमारे पास है। आप बिना विवाद के हमें अपना काम करने दोगे?” चंद्र मोहन के यह कहते ही पी पी ई किट आ गया और तीनों ने जल्दी से उसे से पहन लिया। 

“एक मिनट सर…हम अपने वकील को बुलाते हैं । यदि वे अनुमति दें तो आप उन्हें कैद करके ले जाइए” धनंजयन ने बोला।

उस समय व्हीलचेयर में बैठे हुए क्रिच-क्रिच की आवाज करते हुए उनकी तरफ कृष्णा राज आने लगे। 

चंद्र मोहन को देखकर “ऑफिसर…मैं अपराधी हूं मैं मानता हूं। मुझे कैद कर लीजिए। आपके पास हाथकड़ी है क्या? कम ऑन…” अपने दोनों हाथों को हथकड़ी लगवाने के लिए अपने हाथों को उन्होंने ऊपर उठाया। 

“अप्पा अप्पा…” घबराकर चिल्लाने लगी कार्तिका ।

“दुखी मत हो कार्तिका मैं अपराधी हूं तुम लोगों को मालूम है ना? मैं स्वयं ही पुलिस में सरेंडर करने वाला ही था ना। वही सब अच्छी तरह हो गया है । तुम्हारा अन्ना भी आ गया। वह एक तरफ दूसरी तरफ धनंजयन। तुम उसे देखकर खुश हो। 

“ऐसे भी और कुछ हफ्तों या कुछ महीनों का हीं मैं मेहमान हूं। वही ज्यादा है। मरने के पहले न्याय के आगे सर झुकाकर अपने दंड को मैं स्वीकार कर मरूं तो ही मुझे तृप्ति मिलेगी।

कार्तिका के आंखों से आंसू बहने लगे। 

उनका बेटा कह कर आए संतोष इस नाटक को देखकर खड़ा था। परंतु उसकी पत्नी सुमति परेशान थी। 

“हां यह कौन है?” कृष्णराज के हाथों को कैद करते हुए संतोष को देखकर चंद्र मोहन ने पूछा। 

“यही मेरे सर के इकलौते लड़के हैं…” संतोष को देखकर धना बोला।

“सिर्फ एक डॉटर है ऐसा ही रिकॉर्ड में लिखा था।”

“अफकोर्स…यह कल तक। अब सिर्फ लड़की नहीं एक लड़का भी है।”

“आवश्यकता पड़ने पर इन्हें भी हमें अरेस्ट  करने की जरूरत पड़ेगी” ऐसा चंद्र मोहन के कहते ही अगले ही क्षण घबरा गई सुमति। आगे पढ़िए –