Jungle - 17 in Hindi Thriller by Neeraj Sharma books and stories PDF | जंगल - भाग 17

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जंगल - भाग 17

 ----(17)---

सूरज दुपहर को कुछ गर्मी दें रहा था, इतनी ठंड नहीं थी, वो भी दिल्ली का, जो दिल वाले कि।

"रीना को फोन पर कुछ" ऐसा समझा ता है, दूर से कुछ इशारे ही नजर आते थे, ये फोन कनाट प्लेस के बूथ से हो रहा था।

राहुल दरवाजा खोल निकल जाता है, वही जिसका उसने  अड्रेस दिया था। बेकरी बॉयज पर आ कर लाल रंग कि गाड़ी रूकती है।

रीना के साथ उस गाड़ी मे वो उसके फ्लेट मे जाता है, जो कभी यहाँ इकठे सब कोई न कोई उत्स्व मनाते थे।

लॉक बड़ी मुश्किल से खुलता है। दरवाजा  खुला, दोनों अंदर आये। कमरे मे किताबें खिलरी हुई, पर्दे इतने मैले थे, उसपे आज तक भी केक गिरने के निशान ही होंगे, जो काले जख्मो जैसे हो गए होंगे। गर्द इतनी जमी हुई थी कोई चीज ऐसी नहीं थी, कि यहाँ न हो।

बैग कि जिप्प खोली... एक करोड़ मेज पर बंडल पे बधा हुआ पड़ा था। दूसरा निकाल कर रख दिया।

" रीना ये एक करोड़ मेरी तरफ से तुम लो। " बैंक का लोन तुम उतारों। " मेरे शेयर बैंक के पास है --" उसे भी तुम लोगी, जो मर्जी क़ीमत हो, आधी क़ीमत पे वेच कर जो होगा -----!"रीना ने टोकते हुए कहा, " विश्वाश अचनक मेरे ऊपर... " राहुल ने टपाक से कहा, " तुम मुझे धोखा नहीं दें सकती, तुम मुझे प्यार करती हो "

रीना उसकी और देखती रह गयी। " वाओ आप तो भगवान है, महाराज " रीना और वोह कुछ देर ऐसे ही सिमटे रहे एक दूसरे को, फिर जैसे एक हवा का तेज झोका आया। बे कुछ याद कर कमरे से निकले।

               -----*-----

काम सिमट चूका था। रीना घर जानी बगले क़ी मालकिन बन गयी थी, इंन्कमटेक्स कोई लाख के करीब भर के चाबी राहुल के छोटे लडके जॉन को सौंप दी थी। मैंजर साहब क़ी तरफ इशारा करके बोली, " ये चाबी एक साल के लिए आप को राहुल जी सौंप रही हुँ। " राहुल चुप था।

और अगले पल वो बगले मे थे। "पापा अब तो आप कही छोड़ के नहीं जाओगे।" 

"नहीं, बेटा, पहले भी कहा गया था.... थोड़ा बिजनेस ही ऐसा है। "

उसे याद था, शिपजेंसी के शेयर का चढ़ाव एक लाख एक आस पास था। जो लालच और डूबा सकता था।

वो शेयर उसने एक लाख प्रॉफ्ट पर वेच दिए थे। कया करता, लालच इंसान को लचार और कमीना सा कर देता है। जुआ तो जिंदगी भी है, खेलते है हम रोज जुआ ही तो है। इसमें बस सिधात और प्रश्न है।

             अब बात वही आ के रुक गयी। ददा जी क़ी बात को विचार ते, सोचा "--- किसी को कुछ बताना गलत था। उस भावक शातिर बंदे तक एक पहुंच रखनी एक मदे हुए व्यक्ति को कैसे जाल मे फासा जाये। किसी क़ी कोई कमजोरी होती है... कया थी, समझना कठिन था। ये बात रीना से हो, किस तरा.....

बगले पर रीना और जॉन वो सगीना.... रीना एक दम से हैरान ---' कया, माधुरी "  उसने बात राहुल से क़ी।

भावक होके रीना ने पूछा, "मम्मी जॉन समझता है, समझने दो "-----

रीना हस पड़ी। हुबू माधुरी, भलेखा.... जबरदस्त।

रीना आगे कया पलेन करेगी। सोचने के लिए उसने प्रश्न दें दिया... दौलत चद शिमला क़ी सकरी गली का।

------------*--------चलता।