Jungle - 14 in Hindi Thriller by Neeraj Sharma books and stories PDF | जंगल - भाग 14

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जंगल - भाग 14

                 

     (  जंगल ) 14.-----------

           रीना कार मे तेज स्पीड मे, कुछ पिए भी थी, पर अंदाजा नहीं लग सकता था, ये वो एक दम से ब्रेक मार के आगे स्टेरिंग घुमा के यूँ टर्न किया, कि एक भाई के सड़क पे छोले खिलर गए। जो सिर पे रखे थे। पर नीली छत को देखके कहने लगा, "कुछ अक्ल बक्श इनको " 

वही कार रुकी हुई थी, ऑफिस राहुल के सामने।

वही से निकल रहे थे, रीना और राहुल और उनका साथी टकला रंगीला... जिसके साथ रीना कि परसो शादी होने वाली थी।--------- तभी " सर हम मारे गए।"

किसी ने राहुल को झटका दिया।" कया हुआ पटोदी "

उसने चिलाते हुए कहा। कोई जवाब नहीं, दूर जा चूका था.....

राहुल ने कहा, " डिअर परसो आप को मिलुंगा.... जरूर। अब मुझे इजाजत दें। " राहुल ने कार आपनी स्टार्ट की, और जल्दी से उनको छोड़ ते हुए एक रेस्तरा छोटा सा बार मे चला गया।

वहा उसने एक बोतल विस्की पी। और सिगरेट जला 

कर एक छोटा पेग गले मे और उड़ेल लिया। "बहुत पीते हो, आपनी पीते है। कया हुआ ---- कया हुआ खूब जीते हो।" किसी ने मजाक मे पी कर शेयर पढ़ा... राहुल जल्दी उठा... उसकी महगी शो ऐनक वही भूल गया, घर आकर याद आया था। रात गयी, बात गयी।

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                     टकला रंगीना करवट बदलते बोला, " यार को तुम फोन कर लेती, कही लटक ही नहीं गया.." 

ओह.. कया कह रहे हो... वो जिन्दा जिगर है, तुम दोस्त हो, या आस्तीन हो। " घूरी कर रीना ने कहा। " तुम इतना माडा कयो सोचते हो ----किसीका। " रीना ने कहा। हाय मर जाऊ, यार की बहुत फ़िक्र है... चार सौ पार कर गयी, मार्किट... डूब गया... कया करेगा... सब नीलाम होगा.... रीना... रो पड़ो। "

रीना चुप  करवट बदल  सोचने लगी... विचारा... जिसे मैंने चाहा दिल से वो कल डूब जायेगा। " हुँ..... " ये"" सोचते सोचते वो सौ चुकी थी। 

सुबह का सूरज सिर पर था। " अबे नॉनसेन उठाया नहीं " वो ये बड़बड़ाती उठी।

तभी  घंटी वजी.. मोबइल की ----"हेलो... स्पीपकिंग  " 

"ये रीना इंडिया है, दुबई नहीं"... टकला रंगीला बोला।

"कया हुआ "------ " रीना ने शूज कसे ही थे।

----"बस खबर देखो टीवी पर ऑन लाइन चल रही है " 

उधर से मध्यम आवाज़ आयी। फोन कट गया।

टीवी ऑन किया, समाचार चल रहा था, बैंक डिफॉल्टेर, राहुल, लापता था। प्रॉपटी तब तक जब्त नहीं हो सकती थी ज़ब तक उसकी वेळ उसके सामने और वक़ील दो जिम्मेवार शहर के प्रधान व्यक्ति हो, सहमती प्रगटाई  जाये, ज़ब तक बैक लोन उतार नहीं दिया जाता। जायदाद की कुर्की तब तक नहीं होंगी। ज़ब तक ये कोर्ट मे न पढ़ी जाए।

 

 बच्चे का इसमें कोई लेन देन नहीं है।

वो तो शातर दिमाग़ निकला। रीना सोच के हड़बड़ा गयी थी।

"ओह नो " सहसा उसके मुँह से निकला। 

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               तभी उसने उसके गुप्त नम्बर से फोन किया... वो बंद आ रहा था। जल्दी वो जोकिंग वाले कपड़े पहने ही उसके बगले मे गयी.... वहा पे कोई नहीं था। पुलिस और बैंक मुलाजिम बस..... 

80 लाख के आस पास का देन था... "ओह नो " एक बार उसने फिर कहा। "जॉन कहा है "  उसने सब कही ढूढ लिया।

कही नहीं मिला न पता ना कोई रहने का ठिकाना ---------------" आग की तीली जगल मे गिर चुकी थी, अब आग लगती है। या नहीं....

वक़्त ही जाने.................

                                     ----------*--------चलदा