Jungle - 13 in Hindi Thriller by Neeraj Sharma books and stories PDF | जंगल - भाग 13

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जंगल - भाग 13

                               (   13)

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कपनी मे अंदर  गए। साथ मे सगीना वास्तव थी। राहुल उसे काम  दिखा रहा था। तभी "मेमसाहब " किसी ने कहा। राहुल को लगा, जिसने कहा उसे अंदर बुला लिया जाये।

राहुल और सगीना बैठे थे, तभी वो आदमी अंदर आया। मुस्कराते हुए राहुल ने पूछा, "मेमसाहब कैसे दिखी आपको, मोहन दास जी।"

मोहन दास की सीटी बीटी गुम। "घबराओ नहीं "

राहुल ने कहा। " सच बताओ, शायद भटके हुए जुड़ जाए। " ये सुनकर मोहन दास भी  थोड़े लजित भी हुए, और संगीना जयादा शून्य हो गयी थी।

सच ये है, आप और मैडम मेमसाब बिलकुल माधुरी है, वो लम्मे है, ये थोड़े छोटे.... "मोहन दास चुप होने के बाद फिर हैरत मे बोला," सर कहते है, सृष्टि की रचना दौरान पांच जीव मे एक डप्लीकेट है " राहुल ये सुन  के मेज पे हाथ मार के हसा..... मोहन दास चुप थे। सगीना छुईमुई थी। "जाओ, आज की छूटी दी हमने तुम्हे, रजन  को भेज के जाओ।"

"जी, सर।" मोहन दास चुप होकर निकल गया।

" कपनी के शेयर रजन कैसे जा रहे है। " 

रजन ने साब फार्मेल्टी कर कहा "सर गिर रहे है, एक रूपये गिरा है " 

कयो? रीजन ढूढो... कयो गिरे। " 

"अच्छी कवलती भेजो, नट बोल्ट का " रजन ने कहा....

---"ओके सर, इस से अच्छी कया भेजे सर। "

गिरना नहीं सीखा मैं, सुन लो, खड़ा करो जैसे भी शेयर होता है। " फिर वो चला गया।

दोनों ने काफ़ी पी।

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"कोशिश करते रहो,"- दादा जी की वही बात याद आती, तो आँखे भरती उसकी।जॉन कब ट्युशन से वापिस आ गया। और गुल्फ का उसे शौक था, मेरी (राहुल ) तरा। मन भरा सा लगा उसका। सगीना को याद किया फोन पे, आधे घंटे मे वो आ गयी।"जॉन जो छुपा रहा है, निकालो, वकील बन के, अंदर से।" मेरा हुक्म है, सगीना। "वो बारूद न बन जाए, कौन है, जो उसे मिल नहीं रहा, या कौन है उसे तंग कर रहा।"

बाप का इतना प्यार हो सकता है, इस तरा की ईमारतो मे, नहीं, जो पिता दौलत के पीछे भागता रहता है, औलाद करवट बदल लेती है। अच्छी तरा से जानता था, वो।

"जॉन  बाबा, गोल्फ खेल रहे हो, बेटा।" सगीना उसी मोके गयी थी उसके पास।" पापा, माँ मुझे मिस नहीं करते। " टपाक से बोला।

"कल से उसने कोई बात नहीं की " बाग़ सुन के सगीना पलटी.... "पता है तुम्हे कितना चाहता है "सगीना की आँखे भर आयी। माँ रोती थी। जॉन गोल्फ छोड़ के बैठ गया। "रोती कयो हो तुम।" -----" मै जॉन हुँ। तेरा पुत्र।"

चुप होते समय लगा " मुझे तुम ही दिखते हो बेटा, एक वादा करो, "पापा से कभी नराज नहीं होंगे।" जॉन ने सगीना के हाथ मातर भाव से चुम लिए, "नहीं माँ।" 

तभी राहुल आ गया। " कैसे हो बेटे, कोई  तुझे दिगरेट तो नहीं करता " एका एक आवाज़ सुनी तो राहुल पापा से सिमट गया। "पापा सॉरी " "मैं आपको तंग करता हुँ " राहुल के हाथ सिर पे थे। उगलिया आठखेली कार रही थी वालों मे, घुगराले वाल..... पापा ने शैतानी की " किसी को पसंद करते होकालज़ मे, बता देना बेटा। "

हाथ हिलाते दूर जाते घर से निकलते हुए कहा। माया का फोन की घंटी वजी, " आज कया कार रहे हो " 

अकेले तो हो नहीं सकते। " माया ने एक सिगरेट सुलगा ते हुए कहा राहुल से।---------------------(चलदा )